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Articles by जॉन ब्लैस

इसे एक पत्र में भेज दें

अधिकतर चार साल के बच्चों के समान रूबी को दौड़ना, गाना, और खेलना पसन्द था। परन्तु उसने घुटने में दर्द की शिकायत करना शुरू कर दिया। रूबी के माता-पिता उसे जाँच के लिए ले गए। जाँच के परिणाम आश्चर्यचकित कर देने वाले थे, उसे 4 स्तर का न्युरोब्लास्टोमा का कैंसर बताया गया था। रूबी कठिनाई में थी। उसे शीघ्र ही अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया।

अस्पताल में रूबी का रुकना लम्बा होता गया, यह क्रिसमस के समय तक पहुँच गया, वह समय जब घर से दूर रहना बहुत ही कठिन होता है। रूबी की नर्सों में से एक को रूबी के कमरे के बाहर एक लेटर बॉक्स रखने का विचार आया ताकि उसका परिवार उसके लिए प्रार्थनाओं और प्रोत्साहन से भर पत्र उसके लिए भेज सके। उसके बाद एक विनती का संदेश फेसबुक पर भी चला गया, तो मित्रों और पूरी तरह से अजनबियों से आने वाले पत्रों की संख्या ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, और सबसे अधिक रूबी को। उसे मिले हुए प्रत्येक पत्र (कुल मिलाकर 100,000 से भी अधिक) से रूबी प्रोत्साहित होती गई और अंततः वह घर जा पाई।

कुलुस्से के लिए पौलुस का पत्र-एक पत्र भी ऐसा ही था। पृष्ठ पर पेन से लिखे गए शब्द जो निरन्तर फलदायी होने और पहचान और सामर्थ और धीरज और सहनशीलता की आशाएँ ले कर आए (पद 10-11) । क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे शब्द कुलुस्से के वफ़ादार लोगों के लिए एक कितनी अच्छी औषधि की खुराक जैसे रहे होंगे? बस इतना जानना, कि कोई उनके लिए बिना रुके प्रार्थना कर रहा था, यीशु में उनके विशवास में स्थिर रहने के लिए सशक्त बने रहने के लिए काफ़ी था। 

प्रोत्साहन के हमारे शब्द जरुरतमंदों की नाटकीय रूप से सहायता कर सकते हैं।

कान सुनने के लिए बने थे

अभिनेत्री डायने क्रूगर को एक भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया गया जो उन्हें एक घर-परिवार वाली अभिनेत्री का नाम प्रदान कर देगा। परन्तु इसमें उन्हें एक युवा पत्नी और एक माता की भूमिका अदा करनी होगी जो अपने पति और बच्चे की मृत्यु का सामना कर रही है, और उसने अब तक कभी इतना कठोर दुःख व्यक्तिगत रूप से अनुभव नहीं किया है। उन्हें नहीं पता था कि वह इस भूमिका में खरी उतर पाएँगी। परन्तु उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और तैयारी के लिए उन्होंने उन लोगों की सहयोग सभाओं में जाना आरम्भ कर दिया, जो चरम दुःख की घाटी से हो कर गुजर रहे थे।

आरम्भ में तो उन्होंने अपने सुझाव और विचार प्रदान किए, जब उस समूह के लोगों ने आपबीती को बताया। हम में से अधिकत्तर लोगों के समान वह सहायता करना चाहती थी। परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने बात करना बन्द कर दिया और चुपचाप सुनना आरम्भ कर दिया। यही समय था जब उन्होंने उनकी परिस्थिति को व्यक्तिगत रूप से समझा। और उन्हें यह पहचान अपने कानों के द्वारा आई।

लोगों के विरुद्ध यिर्मयाह का अभियोग यह था कि उन्होंने परमेश्वर के स्वर को सुनने के लिए अपने “कानों” का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था। नबी ने अपने शब्दों को हल्का नहीं किया और उन्हें “मूर्ख और निर्बुद्धि लोग” कहा (यिर्मयाह 5:21) । परमेश्वर निरन्तर हमारे जीवनों में कार्यरत है और प्रेम , निर्देश, प्रोत्साहन और चेतावनी के शब्द बोल रहा है। पिता कि इच्छा यह है कि आप और मैं सीखें और परिपक्व बनें और हम में से प्रत्येक को ऐसा करने के लिए औजार, जैसे कि कान, प्रदान किए गए हैं। तो फिर प्रश्न यह है कि क्या हम अपने पिता के दिल की बात को सुनने के लिए इसका प्रयोग करेंगे ?

यीशु ठीक आपके पीछे है

मेरी बेटी स्कूल जाने के लिए सामान्य से थोड़ी देर पहले ही तैयार हो गई थी, इसलिए उसने पूछा कि क्या हम मार्ग में कॉफी की दूकान पर रुक सकते हैंl जिसपर मैं सहमत हो गईl जब हम उस दूकान पर पहुँचे, तो मैंने कहा, “क्या आज सुबह तुम कुछ खुशी फैलाना चाहोगी?” उसने कहा, “बिलकुलl”

हम ने अपना आर्डर दिया और खिड़की को खोला तो बारिस्ता वाले ने हमें बताया कि हम ने कितना भुगतान करना हैl मैंने कहा, “हम हमारे पीछे वाली लड़की के लिए भी भुगतान करना चाहते हैंl” मेरी बेटी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट थीl

बड़ी-बड़ी चीज़ों में हो सकता है एक कप कॉफ़ी कोई बड़ी बात प्रतीत न होl या क्या यह हो सकती है? मुझे अचम्भा होगा कि क्या यह हमारे लिए उन लोगों की देखभाल करने के लिए यीशु की इच्छा को पूरा करना हो सकता है, जिन्हें उसने “छोटे से छोटा” कहा था? (मत्ती 25:40)l मेरा एक विचार है: लाइन में हमारे पीछे या साथ वाले व्यक्ति को एक उपयुक्त व्यक्ति समझने के बारे में क्या विचार है? और उसके बाद “जो सही लगे” वह करो—हो सकता है यह एक कप कॉफ़ी हो या इससे कुछ अधिक हो या इससे कुछ कम होl परन्तु जब यीशु ने कहा “तुम ने एक के साथ किया” (पद 40) यह हमें दूसरों की सेवा करने में उसकी सेवा करने की एक आज़ादी प्रदान करता हैl  

जब हम वहाँ से निकले हम ने हमारे पीछे वाली महिला और बारिस्ता वाले के चेहरे को देखा जब उसने उस महिला के हाथ में वह कॉफी दीl दोनों के चेहरों पर एक बड़ी मुस्कुराहट थीl

माँगना अच्छा है

मेरे पिता के पास दिशा समझने की ऐसी समझ थी जिससे मुझे हमेशा ईर्ष्या होती थीl उन्हें बस पता है कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम किस तरफ हैंl यह ऐसे है जैसे कि वह इस बोध के साथ ही पैदा हुएl और उनका अनुमान हमेशा सही रहा था, उस रात तक जब यह गलत साबित हुआl

यह वह रात थी जब मेरे पिता जी खो गयेl वह और मेरी माँ एक अजनबी शहर में किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गये और जब वहाँ से निकले तो अँधेरा हो चुका थाl मेरे पिता जी को यकीन था कि उन्हें मुख्य सड़क तक पहुंचने का रास्ता अच्छे से पता है, लेकिन ऐसा नहीं थाl वह घूमते रहे, फिर उन्हें कुछ समझ न आया, और अंत में निराश हो गयेl मेरी माँ ने उन्हें विश्वास दिलाया, “मुझे पता है आपके लिए यह कठिन है, लेकिन अपने फोन से दिशा पूछ लीजिएl यह कोई बड़ी बात नहीं हैl”

उनके जितने जीवन से मैं अवगत हूँ, यह पहली बार था जब मेरे छिहत्तर वर्ष के पिता जी ने दिशा पूछी, वह भी अपने फोन सेl

भजनकार जीवन के अनुभव से प्रचुर एक व्यक्ति थाl लेकिन भजन कुछ ऐसे पलों को प्रगट करते हैं जब लगता है कि दाऊद आत्मिक और भावात्मक रूप से खोया हुआ महसूस कर रहा थाl भजन संहिता 143 में ऐसे ही एक समय का उल्लेख हैl महान राजा का मन निराश था (पद 4)l वह मुश्किल में था (पद 11)l इसलिए वह रुकता है और यह प्राथना करता है, “जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे” (पद 8)l और किसी फोन का सहारा लेने से कहीं परे, भजनकार ने प्रभु को पुकारते हुए कहा, “क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है” (पद 8)l

यदि “[परमेश्वर के] मन के अनुसार व्यक्ति” (1 शमूएल 13:14) ने समय समय पर खोया हुआ महसूस किया, तो यह निश्चित है कि परमेश्वर के दिशा-निर्देश को पाने के लिए हमें भी उसकी ओर मुड़ना होगाl