अधिकतर चार साल के बच्चों के समान रूबी को दौड़ना, गाना, और खेलना पसन्द था। परन्तु उसने घुटने में दर्द की शिकायत करना शुरू कर दिया। रूबी के माता-पिता उसे जाँच के लिए ले गए। जाँच के परिणाम आश्चर्यचकित कर देने वाले थे, उसे 4 स्तर का न्युरोब्लास्टोमा, कैंसर बताया गया । रूबी कठिनाई में थी। उसे शीघ्र ही अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया।
अस्पताल में रूबी का रुकना लम्बा होता गया, यह क्रिसमस के समय तक पहुँच गया, वह समय जब घर से दूर रहना बहुत ही कठिन होता है। रूबी की नर्सों में से एक को रूबी के कमरे के बाहर एक लेटर बॉक्स रखने का विचार आया ताकि उसका परिवार उसके लिए प्रार्थनाओं और प्रोत्साहन से भरे पत्र उसके लिए भेज सके। उसके बाद एक विनती का संदेश फेसबुक पर भी चला गया, तो मित्रों और पूरी तरह से अजनबियों से आने वाले पत्रों की संख्या ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, और सबसे अधिक रूबी को। उसे मिले हुए प्रत्येक पत्र (कुल मिलाकर 100,000 से भी अधिक) से रूबी प्रोत्साहित होती गई और अंततः वह घर जा पाई।
कुलुस्से के लिए पौलुस का पत्र भी ऐसा ही था। पृष्ठ पर पेन से लिखे गए शब्द जो निरन्तर फलदायी होने और पहचान और सामर्थ और धीरज और सहनशीलता की आशाएँ ले कर आए (पद 10-11) । क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे शब्द कुलुस्से के वफ़ादार लोगों के लिए कितनी अच्छी औषधि की खुराक जैसे रहे होंगे? बस इतना जानना, कि कोई उनके लिए बिना रुके प्रार्थना कर रहा था, यीशु में उनके विशवास में स्थिर रहने के लिए सशक्त बने रहने के लिए काफ़ी था।
प्रोत्साहन के हमारे शब्द जरुरतमंदों की नाटकीय रूप से सहायता कर सकते हैं।
परमेश्वर, मेरे मन में उस व्यक्ति को ले कर आइए, जिसे प्रोत्साहन की आवश्यकता है। और फिर मुझे आपकी अगुवाई पर कार्य करने में सहायता करें।