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Articles by जुली ऑकरमैन लिंक

पवित्र, पवित्र, पवित्र

"मौज-मस्ती का समय बहुत जल्दी बीत जाता है"। यह बात तथ्य पर आधारित नहीं है, परन्तु अनुभव सत्य लगता है। जब जीवन सुहाना हो, समय तेज़ी से गुजरता है। कोई ऐसा काम, या ऐसा व्यक्ति जो मुझे पसंद हैं, मुझे दे दो, और समय महत्वहीन लगेगा।

मेरे इस अनुभव ने प्रकाशित वाक्य 4 में वर्णित दृश्य का मुझे एक नया दर्शन दिया। परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर बैठे चार जीवित प्राणियों के निरन्तर एक ही बात दोहरने पर, जब मैं पहले विचार किया करती थी, तो लगता था, कि कितनी बोरिंग स्थिति है!

अब मैं वैसा नहीं सोचती। मैं उन दृश्यों के बारे में सोचती हूँ जिन्हें वे अपनी अनेकों आँखों से निहारते होंगे (पद 6, 8)। स्वच्छंद भाव वाले पृथ्वीवासियों के प्रति परमेश्वर के विवेकपूर्ण और करुणामयी व्यवहार से वो कितने चकित रह जाते होंगे। तब लगता है कि, इससे बेहतर प्रतिक्रिया और क्या हो सकती है? वहाँ "पवित्र, पवित्र, पवित्र" के अलावा और कहने के लिए और क्या हो सकता है?

उन चार प्राणियों की तरह, हमें भी परमेश्वर का गुणगान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यदि हम उन पर अपना ध्यान केंद्रित रखें और इस उद्देश्य को पूरा करते रहें तो हमारा जीवन कभी बोरिंग नहीं होगा।

परमेश्वर प्रावधान करता है

मेरे ऑफिस के बाहर, गिलहरियाँ ठण्ड के मौसम के लिए अपने बाँझफल सुरक्षित और सुगम स्थान में छिपा रही हैं l उनका शोर मेरा मनोरंजन करता है l हिरणों का एक झुण्ड हमारे पीछे के आँगन से बिना आवाज़ किये हुए निकल सकता है, किन्तु एक गिलहरी की आवाज़ एक आक्रमण सा लगता है l

ये दोनों प्राणियों में एक और अंतर भी है l हिरण सर्दियों के लिए तैयारी नहीं करते l बर्फ गिरने पर कुछ भी(आँगन के सजावटी पौधे भी ) खा लेते हैं l किन्तु गिलहरियाँ हिरन का अनुसरण कर भूखों मर जाएंगी l वे उचित भोजन नहीं ढूंढ पाएंगी l

हिरण और गिलहरी हमारे लिए परमेश्वर की देखभाल दर्शाती हैं l वह हमें काम करके भविष्य के लिए बचत करने देता है, और संसाधन कम होने पर भी वह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है l जैसे कि बुद्धि साहित्य सिखाती है, परमेश्वर हमें बहुतायत का मौसम देता है ताकि हम ज़रूरत के समय के लिए तैयारी कर सकें (नीतिवचन 12:11) l और भजन 23 कहता है, वह हमें घोर अंधकार से भरी तराईयों से ले कर हरी चराइयों में भी बैठाता है l

परमेश्वर भरपूर लोगों के द्वारा भी ज़रुरतमंदों की पूर्ति करता है (व्यव. 24:19) l इसलिए जब प्रावधान की बात आती है, बाइबिल का सन्देश यह है : जब तक काम कर सकते हैं करें, जो बचत कर सकते हैं करें, जो बाँट सकते हैं बाँटें, और अपनी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए परमेश्वर पर भरोसा करें l

स्वतंत्रता का उत्सव

अगवा किये जाने और 13 दिनों तक बंधक रहकर स्वतंत्र होने के बाद, न्यूज़ीलैण्ड न्यूज़ कैमरामैन ओलाफ़ वीग़ ने, खूब मुस्करा कर बोला, “मैं अपने सम्पूर्ण जीवन की अपेक्षा अभी सबसे अधिक जीवित महसूस करता हूँ l

समझ से परे कारणों से, स्वतंत्र रहने से अधिक स्वतंत्र होना अधिक हर्षित करता है l

प्रतिदिन स्वतंत्रता का आनंद लेनेवालों के लिए, ओलाफ़ का आनंद एक नेक ताकीद है कि हम भूल जाते हैं कि हम कितना धन्य हैं l यह वास्तव में आत्मिक भी है l हम लम्बे समय से मसीही रहकर अक्सर भूल जाते हैं कि पाप द्वारा बंधक होना कैसा होता है l हम लापरवाह और कृतघ्न हो जाते हैं l किन्तु परमेश्वर एक नए विश्वासी की उल्लसित साक्षी द्वारा उसके जीवन में अपना काम दर्शाकर, हमें याद दिलाता है कि हम भी अपने उस आनंद को स्मरण करें, कि हम भी “पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र” हैं (रोमियों 8:2) l

यदि स्वतंत्रता आपके लिए उदासीन हो गया है, अथवा यदि आपका ध्यान अपनी अक्षमता पर है, इस को विचारें : अब आप पाप के दास नहीं, किन्तु मसीह यीशु के साथ पवित्रता और अनंत जीवन का आनंद लेने हेतु स्वतंत्र किये गए हैं (6:22) l

परमेश्वर को उन बातों के लिए धन्यवाद देने के लिए समय निकालकर मसीह में अपनी स्वतंत्रता का उत्सव मनाएँ जो आप उसका सेवक होकर स्वतंत्रता से कर सकते हैं l

परमेश्वर को देखना

व्यंग-चित्र कलाकार,  सार्वजनिक स्थानों में अपने चित्र-फलक लगाकर उन लोगों का चित्र बनाते हैं जो अपने हास्यपद-चित्र के लिए ठीक कीमत देने के इच्छुक है l ये चित्र हमें आनंद देते हैं क्योंकि ये हमारे भौतिक मुखाकृति के किसी एक या अनेक भाग को इस तरह  बढ़ाकर दिखाते हैं जो पहचान जाता है किन्तु हास्यकर होता है l

अपितु परमेश्वर के व्यंग-चित्र, हास्यकर नहीं l उसके किसी गुण को बढ़ाने से उसका विकृत छवि दिखता है जिसे लोग सरलता से नकार देते हैं l व्यंग-चित्र की तरह, परमेश्वर का एक विकृत छवि गंभीरता से स्वीकारा नहीं जाता l परमेश्वर को क्रोधित और रौब जमानेवाले न्यायी के रूप में देखनेवाले लोग सरलता से करुणा को प्रमुखता देनेवाले की ओर उन्मुख होते हैं l उसे दयालु दादा के रूप में देखनेवाले लोग न्याय की आवश्यकता के समय उस छवि को नकार देंगे l उसे जीवित, प्रेमी व्यक्तित्व की अपेक्षा उसे बौद्धिक विचार माननेवाले लोगों के लिए आख़िरकार दूसरे और विचार चिताकर्षक होंगे l उसे परम मित्र के रूप में देखनेवाले अधिक पसंदीदा मानवीय मित्र मिलने पर उसे पीछे छोड़ देते हैं l

परमेश्वर खुद को करुणामय और अनुग्रहकारी घोषित करता है, किन्तु दोषी को दण्डित करता है (निर्ग. 34:6-7) l

अपने विश्वास को कार्य रूप देते समय, हमें परमेश्वर में केवल पसंदीदा गुण नहीं दिखने चाहिए l हम परमेश्वर को सम्पूर्ण मानकर उपासना करें, केवल जो हमें पसंद है उसकी नहीं l

अपने बाल खोल दें

यीशु के क्रूसित होने से कुछ पहले, मरियम नाम की स्त्री ने उसके पाँवों पर बहुमूल्य इत्र डालकर अपने बालों से उसको पोंछकर एक निर्भीक कार्य किया (यूहन्ना 12:3) l उसने केवल अपने जीवन की सम्पूर्ण बचत ही नहीं बल्कि अपना मान-मर्यादा भी न्योछावर कर दिया l प्रथम शताब्दी के मध्य-पूर्व संस्कृति में, शरीफ स्त्रियाँ सब के सामने अपने बाल नहीं खोलती थीं l किन्तु दूसरे हमारे विषय क्या सोचते हैं, सच्ची उपासना इसके विषय नहीं है (2 शमू. 6:21-22) l यीशु की आराधना में, मरियम ने खुद को लोगों के विचार में अशिष्ट, शायद अनैतिक भी मानने को तैयार थी l

हममें से कुछ लोग चर्च जाते समय सिद्ध बनने का तनाव महसूस करते हैं कि लोग हमारे विषय भला सोचेंगे l अलंकारिक रूप में, हम निश्चित करने के लिए मेहनत करते हैं कि सब कुछ यथास्थिति है l किन्तु एक स्वस्थ कलीसिया ऐसी जगह है जहाँ हम अपनी सभी रुकावटें हटा सकते हैं और सिद्धता के मुखौटा में हमें अपना दोष छिपाने की ज़रूरत नहीं है l चर्च में, हम सामर्थ्य पाने के लिए अपनी गलतियों को शक्तिशाली दर्शाने की जगह उसे प्रगट कर सकें l

मानो कुछ भी गलत नहीं, आराधना में ऐसा आचरण ठीक नहीं l यह पक्का करना है कि परमेश्वर और एक दूसरे के साथ सब कुछ सही है l जब अपनी कमजोरी बताना हमारा सबसे बड़ा भय हो, शायद उसे छुपाना सबसे बड़ा पाप हो सकता है l

समय पर

कभी-कभी मैं मज़ाक करती हूँ कि मैं समय पर  शीर्षक पर एक पुस्तक लिखूंगी l मुझे जाननेवाले हँसते हैं क्योंकि मैं अक्सर विलंबित होती हूँ l मेरा तर्क है कि मेरा विलम्ब आशावाद के कारण है, प्रयास की कमी से नहीं l मैं आशावादी बनकर झूठे विश्वास से लिपटी रहती हूँ कि मैं पहले से अधिक “इस बार” कम समय में अधिक करुँगी l किन्तु मैं कर नहीं सकती, और करती नहीं, इसलिए विलम्ब होने के कारण पुनः क्षमा मांगनी पड़ती है l

इसके विपरीत, परमेश्वर हमेशा समय से कार्य करता है l हमारी सोच में वह विलंबित दिख सकता है, किन्तु ऐसा है नहीं l सम्पूर्ण बाइबिल में हम लोगों को परमेश्वर के समय के साथ अधीर होते देखते हैं l इस्राएलियों ने अपेक्षित उद्धारकर्ता के लिए बहुत इंतज़ार किया l कुछ ने आशा छोड़ दी l किन्तु शमौन और हन्ना मंदिर में प्रार्थना और इंतज़ार करते रहे (लूका 2:25-26, 37) l और उनका विश्वास पुरस्कृत हुआ l उन्होंने बालक यीशु को देखा जब मरियम और यूसुफ उसको समर्पण के लिए लेकर आए (पद. 27-32, 38) l

परमेश्वर द्वारा हमारे समयानुसार प्रत्युत्तर नहीं देने पर निराशा में, क्रिसमस ताकीद देता है कि “जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा ... ताकि ... हम को लेपालक होने का पद मिले” (गला. 4:4-5) l परमेश्वर का समय सम्पूर्ण है , और इंतज़ार करना सार्थक l

आनंद फैलाना

जब जेनेट विदेश में एक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने गयी, वातावरण मनहूस और निराशाजनक था l  लोग अपने कार्य करते थे, लेकिन कोई खुश नहीं लगते थे l वे परस्पर मदद या उत्साहित नहीं करते थे l किन्तु, परमेश्वर के समस्त प्रावधानों के लिए कृतघ्न, जेनेट, अपने कार्यों में दर्शाती थी l वह मुस्कराती और मित्रवत थी l वह आगे बढ़कर लोगों की मदद करती थी l वह गाने और गीत गुनगुनाती थी l

धीरे-धीरे, जेनेट द्वारा अपना आनंद बांटते समय, स्कूल का वातावरण बदल गया l एक-एक करके लोग मुस्कराने और परस्पर मदद करने लगे l जब एक अतिथि प्रशासनिक अधिकारी प्राचार्य से पूछा क्यों उसका स्कूल भिन्न है, प्राचार्य जो विश्वासी नहीं था, जवाब दिया, “यीशु आनंद लता है l” जेनेट प्रभु के उमंडनेवाले आनंद से पूर्ण थी और यह उसके चारों ओर के लोगों तक छलक रहा था l

लूका का सुसमाचार हमें बताता है कि परमेश्वर ने स्वर्गदूत को साधारण चरवाहों तक असाधारण जन्म की घोषणा करने हेतु भेजा l स्वर्गदूत ने चकित करनेवाली घोषणा की कि नवजात शिशु “सबके लिए आनंद लेकर आएगा” (लूका 2:10), जो उसने किया l

उस समय से यह सन्देश सदियों से हम तक पहुँच रहा है, और अब हम आनंद फैलानेवाले मसीह के संदेशवाहक हैं l अंतर्निवास करनेवाले पवित्र आत्मा द्वारा, हम यीशु के  आदर्श पर चलकर और दूसरों की सेवा करके उसका आनंद फैलाते हैं l

जब वन जाग जाते हैं

ठण्डी, बर्फीली सर्दियों में हम मिशिगन निवासियों को बसंत की आशा संभालती है l मई महीने में आशा पूरी होती है l रूपांतरण अद्भुत है l मृत दिखती डालियाँ मई 1 से आरंभ होकर माह के अंत तक हरी पत्तियों वाली टहनियों में बदलकर अभिवादन करती हैं l यद्यपि दैनिक परिवर्तन अहस्तांतरनीय है, माह के अंत तक मेरे घर के…

मधुर ताकीद

1922 में मिली मिस्री राजा तुतनखामेन के कब्र में अनेक वस्तुएँ मिलीं जिन्हें मिस्री लोग अगले जीवन के लिए अनिवार्य समझते थे l स्वर्ण वेदियाँ, आभूषण, वस्त्र,फर्नीचर, और हथियारों के मध्य एक बर्तन शहद था - 3,200 वर्ष बाद भी खाने योग्य!

आज हम शहद को मिठास देने वाली वस्तु समझते है, किन्तु प्राचीन संसार में इसका अनेक उपयोग था…