परमेश्वर पर भरोसा रखना
मुझे तत्काल दो दवाओं की आवश्यकता थी। एक मेरी माँ की एलर्जी के लिए था और दूसरा मेरी भतीजी के एक्जिमा के लिए था। उनकी परेशानी बिगड़ती जा रही थी, लेकिन दवाएँ अब फार्मेसियों में उपलब्ध नहीं थीं। मैंने हताश और असहाय होकर बार-बार प्रार्थना की, हे प्रभु, कृपया इनकी सहायता करें।
हफ़्तों बाद, उनकी स्थितियाँ कुछ ठीक हुआ। परमेश्वर कह रहे थे: “कभी-कभी मैं ठीक होने के लिए दवाइयों का उपयोग करता हूँ। लेकिन दवाइयों अंतिम उपाय नहीं होता; मैं करता हूं। उन पर नहीं, बल्कि मुझ पर भरोसा रखो।”
भजन 20 में, राजा दाऊद ने परमेश्वर की विश्वसनीयता पर सांत्वना व्यक्त की। इस्राएलियों के पास एक शक्तिशाली सेना थी, लेकिन वे जानते थे कि उनकी सबसे बड़ी ताकत "प्रभु के नाम" से आती है (पद 7)। उन्होंने परमेश्वर के नाम पर भरोसा रखा—वह कौन है, उसके अपरिवर्तनीय चरित्र और अटल वादों पर। वे इस सत्य पर कायम रहे कि वह जो सभी स्थितियों पर प्रभु और शक्तिशाली है, वह उनकी प्रार्थना सुनेगा और उन्हें उनके शत्रुओं से बचाएगा (पद 6)।
यद्यपि परमेश्वर हमारी सहायता के लिए इस संसार के संसाधनों का उपयोग कर सकता है, अंततः, हमारी समस्याओं पर विजय उसी से मिलती है। चाहे वह हमें कोई संकल्प दे या सहन करने की कृपा, हम भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारे लिए वही सब होगा जो वह कहता है कि वह है। हमें अपनी परेशानियों से घबराना नहीं है, बल्कि हम उनकी आशा और शांति के साथ उनका सामना कर सकते हैं।
यीशु से लिपटे रहना
दफ्तर की सीढ़ी पर मुझे चक्कर आ गया। विचलित, मैंने रेलिंग पकड़ ली क्योंकि सीढ़ियाँ घूमती हुई प्रतीत हो रही थीं। जैसे ही मेरा धड़कन तेज हुआ और मेरे पैर लड़खड़ाने लगे, मैं रेलिंग से चिपक गया, उसकी ताकत के लिए आभारी था। जांच से पता चला कि मुझे एनीमिया है। हालाँकि यह गंभीर नहीं था और मेरी हालत ठीक हो गई थी, लेकिन मैं यह कभी नहीं भूलूँगा कि उस दिन मुझे कितना कमज़ोर महसूस हो रहा था।
इसीलिए मैं उस महिला की सराहना करता हूं जिसने यीशु को छूआ। वह न केवल अपनी कमजोर अवस्था में भीड़ के बीच से गुजरी, बल्कि उसने बाहर निकलकर उनके पास आने का साहस भी किया (मत्ती 9:20-22)। उसके पास डरने का अच्छा कारण था: यहूदी कानून ने उसे अशुद्ध के रूप में परिभाषित किया और दूसरों को उसकी अशुद्धता उजागर करने से उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे (लैव्यव्यवस्था 15:25−27)। लेकिन यह विचार यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी, उसे प्रेरित करती रही। मत्ती 9:21 में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद "छू " के रूप में किया गया है, वह केवल छूना नहीं है, बल्कि इससे गहरा अर्थ "पकड़ना" या "अपने आप को जोड़ना" है। स्त्री ने यीशु को कसकर पकड़ लिया। उसे विश्वास था कि वह उसे ठीक कर सकता है।
यीशु ने भीड़ के बीच में एक महिला का व्याकुल विश्वास को देखा। जब हम भी विश्वास में आगे बढ़कर अपनी ज़रूरतों में मसीह से लिपट जाते हैं, तो वह हमारा स्वागत करता है और हमारी सहायता के लिए आता है। हम उसे अस्वीकृति या सज़ा के डर के बिना अपनी कहानी बता सकते हैं। यीशु आज हमसे कहते हैं, "मुझसे लिपटे रहो।"
आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं
जब मेरी बिल्ली मिकी की आंखों में संक्रमण (infection) हुआ, तो मैं उसकी आंखों में रोजाना आँख की दवाई डालता था। जैसे ही मैंने उसे बाथरूम काउंटर पर रखा, वह बैठ गया, मुझे भयभीत आँखों से देखा, और फिर अपने आप को दवाई डलवाने के लिए तैयार कर लिया। "अच्छा लड़का," मैंने कहा। हालाँकि उसे समझ नहीं आया कि मैं क्या कर रहा हूँ, फिर भी उसने उछल-कूद नहीं की, सिसकारा नहीं, या मुझे खरोंचा नहीं। इसके बजाय, वह मेरे और नज़दीक आ गया, मेरे – जो उसे कष्ट पहुंचा रहा था। वह जानता था कि वह मुझ पर भरोसा कर सकता है।
जब दाऊद ने भजन 9 लिखा, तो संभवतः उसे पहले से ही परमेश्वर के प्रेम और विश्वासयोग्यता का बहुत अनुभव हो चुका था। वह अपने शत्रुओं से सुरक्षा के लिए उसकी ओर मुड़ा था, और परमेश्वर ने उसकी ओर से कार्य किया था (पद- 3−6)। दाऊद की ज़रूरत के समय में, परमेश्वर ने उसे निराश नहीं किया। परिणामस्वरूप, दाऊद को पता चला कि वह कैसा था—वह शक्तिशाली और धर्मी, प्यारा और वफादार था। और इसलिए, दाऊद ने उस पर भरोसा किया। वह जानता था कि परमेश्वर भरोसेमंद है।
जिस रात मैंने मिकी को सड़क पर एक छोटे, भूखे बिल्ली के बच्चे के रूप में पाया था, तब से मैंने कई बीमारियों के दौरान उसकी देखभाल की है। वह जानता है कि वह मुझ पर भरोसा कर सकता है—तब भी जब मैं उसके साथ ऐसी चीजें करता हूं जो उसे समझ में नहीं आतीं। इसी प्रकार, हमारे प्रति परमेश्वर की निष्ठा और उसके चरित्र को याद करने से हमें उस पर भरोसा करने में मदद मिलती है जब हम यह नहीं समझ पाते कि वह क्या कर रहा है। हम जीवन के कठिन समय में भी परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें।
हमारी आशा का लंगर
मैंने एक धुंधली गली में गत्ते के टुकड़ों के नीचे सो रहे लोगों की एक तस्वीर उठाई। "उन्हें क्या चाहिए?" मैंने अपनी छठी कक्षा की संडे स्कूल कक्षा से पूछा। "खाना," किसी ने कहा। "पैसा," दूसरे ने कहा। "एक सुरक्षित जगह," एक लड़के ने सोच-समझकर कहा। तभी एक लड़की बोली: "आशा।"
"आशा अच्छी चीजें होने की उम्मीद करती है," उसने समझाया। मुझे यह दिलचस्प लगा कि उसने अच्छी चीजों की "आशा" करने के बारे में बात की, जबकि चुनौतियों के कारण, जीवन में अच्छी चीजों की उम्मीद न करना आसान हो सकता है। फिर भी बाइबल आशा के बारे में एक तरह से बात करती है जो मेरे छात्र से सहमत है। यदि “विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय,और अनदेखी हुई चीज़ों को प्रमाण है” (इब्रानियों 11:1) तो हम जो यीशु में विश्वास रखते हैं, अच्छी चीजें होने की आशा कर सकते हैं।
यह परम (ultimate) भलाई क्या है जिसकी मसीह में विश्वास करने वाले भरोसे के साथ आशा कर सकते हैं?—“उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा” (4:1)। विश्वासियों के लिए, परमेश्वर के आराम में उसकी शांति, उद्धार का विश्वास, उसकी सामर्थ्य पर निर्भरता और भविष्य के स्वर्गीय घर का आश्वासन शामिल है। परमेश्वर के आश्वासन (guarantee) और यीशु द्वारा प्रदान किए जाने वाले उद्धार के कारण ही आशा हमारा लंगर बन सकती है, जो हमें ज़रूरत के समय मजबूती से पकड़े रखती है (6:18-20)। दुनिया को वास्तव में आशा की ज़रूरत है: परमेश्वर का सच्चा और निश्चित आश्वासन कि अच्छे और बुरे समय में, अंतिम निर्णय उसका होगा और वह हमें निराश नहीं करेगा। जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो हम जानते हैं कि वह अपने समय में हमारे लिए सभी चीजें ठीक कर देगा।
छोड़ दो
किताबों की जिस दुकान में कीथ काम करता था उसका मालिक केवल दो दिनों के लिए छुट्टी पर था लेकिन कीथ, जो उसका सहायक था पहले से ही घबरा रहा था। संचालन ठीक चल रहा था, लेकिन कीथ चिंतित था कि वह स्टोर की देखरेख ठीक से नहीं कर पायेगा । बैचेन होकर, जितना बारीकी से वह प्रबंधन कर सकता था उसने किया।
उसके बॉस ने आखिरकार उसे एक वीडियो कॉल पर कहा “ऐसा करना बन्द करो। तुम केवल उन निर्देशों का पालन करो जो मैं तुम्हें प्रतिदिन ईमेल करता हूँ। चिंता मत करो कीथ। बोझ तुम पर नहीं है, मुझ पर है।”
अन्य राष्ट्रों के साथ संघर्ष के समय में इस्राएल को परमेश्वर से एक ऐसा ही संदेश मिला था: “चुप हो जाओ” भजन संहिता 46:10 । “संघर्ष करना बंद करो”, उसने संक्षेप में कहा “मैं जो कहता हूं केवल उसका पालन करो। मैं तुम्हारे लिए लड़ूंगा।” परमेश्वर ने इस्राएल को निष्क्रिय या लापरवाह होने के लिए नहीं बल्कि सक्रिय रूप से स्थिर रहने के लिए ऐसा कहा था — स्थिति पर नियंत्रण और अपने प्रयासों के परिणामों को परमेश्वर पर छोड़ते हुए ईमानदारी से परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए कहा जा रहा था।
हमें भी ऐसा करने के लिए बुलाया गया है। और हम यह कर सकते हैं क्योंकि जिस परमेश्वर पर हम भरोसा करते हैं वह संसार के ऊपर प्रभुता करता है। “यदि वह बोलता है तो पृथ्वी पिघल जाती है, और वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटा सकता है” (पद 6, 9); तो निश्चित रूप से हम उसकी शरण की सुरक्षा और उसके बल पर भरोसा कर सकते हैं (पद 1)। हमारे जीवन पर नियंत्रण का बोझ हम पर नहीं है — परमेश्वर पर है।
जब आप थके हुए हो
मैं एक कार्यदिवस के अंत की शांति में बैठी थी, मेरा लैपटॉप मेरे सामने था l उस दिन के काम से मुझे खुश होना चाहिए था, लेकिन मैं थक गयी थी l काम पर एक समस्या की चिंता से मेरे कन्धों में दर्द था, और एक परेशान रिश्ते से मेरा दिमाग थका हुआ था l उस रात इन सबसे बचने के लिए मैं टीवी देखने लगी l
लेकिन “प्रभु,” मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं l मैं अत्यधिक थकान से और अधिक नहीं कह पायी l मेरी सारी थकान उस एक शब्द में समा गयी l और किसी तरह, मैं जान गयी कि मुझे कहाँ जाना चाहिए l
यीशु हमसे कहता है, “मेरे पास आओ,” जो थके हुए और बोझ से दबे हुए हुए हो, “मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28) l रात की अच्छी नींद से, टेलीविजन द्वारा प्रदान की जाने वाली वास्तविकता से विश्राम नहीं l समस्या समाधान से भी राहत नहीं मिलती l हालाँकि ये आराम के अच्छे श्रोत हो सकते हैं, लेकिन ये अल्पकालिक हैं और हमारी परिस्थितयों पर निर्भर करती हैं l
इसके विपरीत, यीशु द्वारा प्रदत्त विश्राम उसके अपरिवर्तनीय चरित्र द्वारा स्थायी और निश्चित है l वह हमेशा अच्छा है l वह हमें हमारी आत्मा के लिए सच्चा विश्राम देता है क्योंकि सब कुछ उसके वश में है l हम उस पर भरोसा कर सकते हैं और उसके प्रति समर्पित हो सकते हैं, सहन कर सकते हैं और यहाँ तक कि कठिन स्थितियों में भी बढ़ सकते हैं क्योंकि वही सामर्थ्य और पुनर्स्थापन दे सकता है l
“मेरे पास आओ,” यीशु हमसे कहता है l “मेरे पास आओ l”
मेरा उद्देश्य क्या है?
हेरोल्ड ने कहा, "मुझे बहुत बेकार महसूस हुआ।" "विधवा और सेवानिवृत्त, बच्चे अपने परिवारों के साथ व्यस्त, दीवार पर छाया देखते हुए शांत दोपहर बितता।" वह अक्सर अपनी बेटी से कहता, "मैं बूढ़ा हो गया हूँ और मैंने एक भरपूर ज़िंदगी जी है। मेरा अब कोई उद्देश्य नहीं है। परमेश्वर मुझे कभी भी ले सकता है।
हालाँकि, एक दोपहर, एक बातचीत ने हेरोल्ड के दिमाग को बदला। हेरोल्ड ने कहा “मेरे पड़ोसी को उसके बच्चों के साथ कुछ समस्या था, इसलिए मैंने उसके लिए प्रार्थना किया। बाद में, मैंने उनके साथ सुसमाचार साझा किया। इस तरह मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास अभी भी एक उद्देश्य है! जब तक ऐसे लोग हैं जिन्होंने यीशु के बारे में नहीं सुना है, मुझे उन्हें उद्धारकर्ता के बारे में बताना चाहिए।”
जब हेरोल्ड ने एक आम, साधारण मुलाकात का प्रतिउत्तर अपने विश्वास को साझा करने के द्वारा दिया, उसके पड़ोसी का जीवन बदल गया था। 2 तीमुथियुस 1 में, प्रेरित पौलुस दो स्त्रियों का उल्लेख करता है जिनका उपयोग परमेश्वर द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बदलने के लिए किया गया था: पौलुस के युवा सहकर्मी, तीमुथियुस का जीवन। लोइस, तीमुथियुस की दादी, और यूनीके, उसकी माँ, के पास एक "निष्कपट विश्वास" था जो उन्होंने उसे दिया था (पद. 5)। एक साधारण घर में प्रतिदिन के कार्यों के द्वारा, युवा तीमुथियुस ने एक सच्चा विश्वास सीखा यह यीशु के एक विश्वासयोग्य शिष्य के रूप में उसके विकास को आकार देने के लिए था और अंततः, इफिसुस में कलीसिया के अगुवे के रूप में उसकी सेवकाई।
हमारा उम्र, पृष्ठभूमि, या परिस्थितियां चाहे जो भी हों, हमारा एक उद्देश्य है—दूसरों को यीशु के बारे में बताना।
जब आप अकेले हों
शाम 7 बजे, हुई–लियांग अपनी रसोई में था, वह चावल और बचे हुए मछली के कोफते खा रहा था। अगले अपार्टमेंट में चुआ परिवार भी रात का खाना खा रहा था, और उनकी हंसी और बातचीत हुई–लियांग के घर की चुप्पी को बेध रही थी,जहां वह अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद से अकेले रह रहे थे। वर्षों से उसने अकेलेपन के साथ जीना सीख लिया था अकेलेपन का तीखा दर्द अब हल्का पड़ गया था। लेकिन आज रात, उसकी मेज पर एक कटोरी और चॉपस्टिक के जोड़े को देखकर उसे गहरा आघात लगा।
उस रात सोने से पहले, हुई–लियांग ने भजन संहिता 23 पढ़ा, जो उसका पसंदीदा भजन था। उसके लिए जो शब्द सबसे अधिक मायने रखते थे, वे केवल चार शब्दांश हैं: “तू मेरे साथ रहता है” (पद 4) । चरवाहे द्वारा भेड़ों की देखभाल के व्यावहारिक कार्यों से अधिक, भेड़ों के जीवन की हर बात पर उसकी अटल उपस्थिति और प्रेम भरी दृष्टि थी (पद 2−5) जिसने हुई–लियांग को शांति दी।
केवल यह जानना कि कोई है, कोई हमारे साथ है, हमारे अकेले पलों में बहुत शान्ति देता है। परमेश्वर अपने बच्चों से वादा करता है कि उसका प्यार हमेशा हमारे साथ रहेगा भजन संहिता 103:17, और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा इब्रानियों 13:5। जब हम अकेला और अनदेखे महसूस करते हैं — चाहे अपने शांत रसोई में, काम से घर जाने वाली बस में, या भीड़ वाली सुपरमार्केट में भी, हम जान सकते हैं कि चरवाहा हमेशा हमें देख रहा है। हम कह सकते हैं,“तू मेरे साथ रहता हैं।”
आप सुन रहे हैं
भौतिक-शास्त्र के पुस्तक में, लेखक चार्ल्स रिबोर्ग मान और जॉर्ज रैनसम ट्विस पूछते हैं: "जब एक सुनसान जंगल में एक पेड़ गिरता है, और कोई जानवर इसे सुनने के लिए पास में नहीं होता है, तो क्या वह आवाज करता है?" वर्षों से, इस प्रश्न ने ध्वनि, धारणा और अस्तित्व के बारे में दार्शनिक और वैज्ञानिक चर्चाओं को प्रेरित किया है। हालाँकि, एक निश्चित उत्तर अभी तक सामने नहीं आया है।
एक रात, जब मैं किसी समस्या के बारे में अकेला और उदास महसूस कर रहा था, जिसे मैंने किसी के साथ साझा नहीं किया था, तो मुझे यह प्रश्न याद आया। जब मदद के लिए मेरी पुकार कोई नहीं सुनता, तो मैंने सोचा, क्या परमेश्वर सुनता है?
मृत्यु के खतरे का सामना करते हुए और संकट से उबरते हुए, भजन 116 के लेखक ने त्यागा हुआ महसूस किया होगा। इसलिए उसने परमेश्वर को पुकारा—यह जानते हुए कि वह सुन रहा है और उसकी सहायता करेगा। भजनकार ने लिखा, “उसने मेरी सुन ली,” उसने दया के लिए मेरी दोहाई सुनी। . . . [उसने] मेरी ओर कान लगाया” (पद. 1-2)। जब हमारा दर्द कोई नहीं जानता, परमेश्वर जानता है। जब कोई हमारी पुकार नहीं सुनता, तब परमेश्वर सुनता है।
यह जानते हुए कि परमेश्वर हमें अपना प्रेम और सुरक्षा दिखाएगा (पद. 5-6), हम कठिन समय में आराम से रह सकते हैं (पद. 7)। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद "विश्राम" (मनोआख) किया गया है, वह शांति और सुरक्षा के स्थान का वर्णन करता है। हम शांति से रह सकते हैं, परमेश्वर की उपस्थिति और मदद के आश्वासन से मजबूत हो सकते हैं।
मान और ट्विस द्वारा पूछे गए प्रश्न के कई उत्तर मिले। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर, क्या परमेश्वर सुनता है? बस हाँ है।