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Articles by लिसा एम समरा

पृथ्वी दिवस पर आभार

पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को मनाया जानेवाला एक वार्षिक आयोजन है। हाल के वर्षों में, लगभग 200 देशों में एक अरब से अधिक लोगों ने शैक्षिक और सेवा गतिविधियों में हिस्सा लिया है l प्रति वर्ष, पृथ्वी दिवस हमारे अद्भुत ग्रह की देखभाल के महत्व की ताकीद है l परंतु पर्यावरण की देखभाल के लिए अधिदेश इस वार्षिक आयोजन से कहीं अधिक पुरानी है─यह पूरी तरह से पृथ्वी की सृष्टि तक जाती है l 

उत्पत्ति में, हम सीखते हैं कि परमेश्वर ने सारी सृष्टि को रचा और पृथ्वी को मनुष्यों के रहने के लिए बनाया l उसने न केवल पर्वतों के शिखर और हरे मैदान बनाए, परमेश्वर ने अदन का बगीचा भी बनाया, एक सुंदर स्थान जो वहां रहनेवालों के लिए भोजन, आश्रय, और सुन्दरता प्रदान करता था (उत्पत्ति 2:8-9)।

जीवन के श्वास को अपनी सबसे महत्वपूर्ण रचना, मानव में, फूंखने के बाद, परमेश्वर ने उन्हें इस बगीचे में रख दिया (पद. 8, 22) और उन्हें “उसमें काम [करने] और उसकी रक्षा [करने]”  की जिम्मेदारी दी (पद.15)। आदम और हव्वा को बाग से निकाल दिये जाने के बाद, परमेश्वर की सृष्टि की देखभाल और कठिन हो गई (3:17-19 ), परंतु आज के दिन तक परमेश्वर खुद ही हमारे इस ग्रह की और उसके प्राणियों की देखभाल करता है (भजन संहिता 65:9-3) और हमसे भी ऐसा ही करने को कहता है (नीतिवचन 12:10)।

चाहे हम घनी आबादी वाले शहरों में या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, परमेश्वर ने जो क्षेत्र हमें सौंपे हैं हम सभी के पास उनकी देखभाल करने के तरीके हैं l और जब हम पृथ्वी की देखभाल करते हैं, तो यह इस सुंदर ग्रह के लिए हमारा उसको आभार व्यक्त करना हो।

उसकी शांति का क्रूस

समकालीन डच कलाकार एगबर्ट मॉडडरमैन की पेंटिंग साइमन ऑफ साईरेने(Simon of Cyrene) से उदास आँखें झांकती हैं l शमौन की आँखें उसके अत्यधिक भौतिक एवं भावनात्मक बोझ को प्रगट करती हैं l बाइबल के वर्णन मरकुस 15 में, हम सीखते हैं कि शमौन को दर्शकों की भीड़ से खींच कर यीशु का क्रूस उठाने के लिए विवश किया गया था l 

मरकुस हमें बताता है कि शमौन उत्तर अफ्रीका के एक बड़े शहर कुरेन का था जहाँ यीशु मसीह के समय यहूदियों की बहुत बड़ी आबादी रहती थी l शमौन शायद फसह का पर्व मनाने यरूशलेम आया था l जहां पहुंचकर वह अपने आप को एक अन्यायपूर्ण वध के बीच पाता है लेकिन यीशु को एक छोटा लेकिन अर्थपूर्ण सहयोग देता है (मरकुस 15:21) l 

इससे पूर्व मरकुस रचित सुसमाचार में, यीशु अपने चेलों को कहता है, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आपे से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछे हो ले” (8:34)। जो यीशु अपने चेलों से सांकेतिक रूप में कह रहे थे वो गोलगता के मार्ग में जाते समय‌ शमौन ने वास्तव में करके ही दिखा दिया : उसने उस क्रूस को जो उसे दिया गया था यीशु के लिए उठा लिया।

हमारे पास भी उठाने के लिए “क्रूस” हैं हो सकता हैं : शायद वह बीमारी, सेवा का कोई चुनौतीपूर्ण कार्यभर, किसी प्रिय की मृत्यु, या हमारे विश्वास के लिए सताव l जब हम इन दुखों  का सामना विश्वास द्वारा करते हैं तो हम लोगों को यीशु का दुःख और क्रूस पर उसके बलिदान की ओर संकेत करते हैं l यह उसका उसका क्रूस था जो परमेश्वर और हमारे बीच शांति स्थापित किया और हमारी अपनी यात्रा के लिए सामर्थ्य प्रदान की l

चैटी बस(Chatty Bus)

2019 में ऑक्सफोर्ड बस कंपनी ने एक नयी “चैटी बस (Chatty बस)” का लोकार्पण किया जो तुरंत लोकप्रिय हो गयी, बस जिसमें नियुक्त लोग रूचि रखने वाले यात्रियों से बात कर सकें l इस बस मार्ग की पहल सरकार की रिसर्च के प्रतिउत्तर में थी जिसमें यह पाया गया कि 30 फीसदी ब्रिटनवासी कम से कम सप्ताह में एक दिन व्यर्थ संवाद करते हुए यात्रा करते हैं l  

हममें से कई लोग कदाचित अकेलेपन का अनुभव किये हैं जिनके साथ आवश्यकता के समय किसी ने बातचीत नहीं की l जब मैं अपने जीवन में विशेष संवादों के महत्व पर विचार करता हूँ, मुझे वे चर्चाएँ याद आती हैं जो अनुग्रह से परिपूर्ण थीं l वे समय मेरे जीवन में आनंद और प्रोत्साहन लेकर आए, और वे घनिष्ठ सम्बन्ध बनाने में मदद किये l 

कुलुस्से की कलीसिया को लिखी अपनी पत्री के अंत में, पौलुस अपने पाठकों को यीशु में विश्वासियों के लिए सच्चे जीवन के सिद्धांतों से उत्साहित करता है, जिसमें हमारे संवाद के वे तरीके शामिल हैं जो उन सभी के समक्ष प्रेम प्रगट कर सकते हैं जिनसे हमारा सामना होता है l प्रेरित यह लिखते हुए, “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित हो” (पद 4-6) अपने पाठकों को याद  दिलाता है कि न केवल शब्दों द्वारा परंतु शब्दों की गुणवत्ता─"अनुग्रह से परिपूर्ण"─जो उन्हें दूसरों को वास्तविक प्रोत्साहन देनेवाले बनाएगा l 

अगली बार जब आपको किसी से बातचीत द्वारा गहराई से जुड़ने का अवसर मिले─एक दोस्त, एक सहकर्मी या फिर आपके साथ बस में बैठे एक यात्री या फिर वेटिंग रूम में बैठे हुए किसी व्यक्ति के साथ─कोई ऐसा अवसर ढूंढ लें जिसके कारण साथ बिताया गया समय आप दोनों के जीवन के लिए आशीष का कारण बनें।

परिवार का हिस्सा

एक लोकप्रिय अंग्रेजी टेलीविजन नाटक जो एक काल्पनिक परिवार का अनुसरण करता है क्योंकि उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में एक बदलती सामाजिक संरचना को दिशा निर्देश  किया था। प्रमुख पात्रों में से एक, परिवार में सबसे छोटी बेटियों से शादी करने से पहले सभी को चौंकाने से पहले परिवार के नौकर के रूप में काम किया। निर्वासन की अवधि के बाद, युवा जोड़ा परिवार के घर लौट आया और नया दामाद परिवार का हिस्सा बन गया, अधिकारों और विशेषाधिकारों तक पहुंच प्राप्त करने से उसे एक कर्मचारी के रूप में वंचित कर दिया गया था।

हमें एक बार “विदेशी और अजनबी” (इफिसियों 2:19) के रूप में माना जाता था और उन लोगों को दिए गए अधिकारों से बाहर रखा गया था जो परमेश्वर के परिवार का हिस्सा हैं। परन्तु यीशु के कारण, सभी विश्वासी, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लेते हैं और “उसके घराने के सदस्य” कहलाते हैं (v 19)।

परमेश्वर के परिवार का सदस्य होना अविश्वसनीय अधिकार और विशेषाधिकार लाता है। हम “स्वतंत्रता और विश्वास के साथ परमेश्वर के पास जा सकते हैं” (3:12) और परमेश्वर तक असीमित, निर्बाध पहुंच का आनंद ले सकते हैं। हम एक बड़े परिवार का हिस्सा बन जाते हैं, विश्वास का एक समुदाय जो हमें समर्थन और प्रोत्साहित करता है (2:19–22)। परमेश्वर के परिवार के सदस्यों को परमेश्वर के भव्य प्रेम की विशालता को समझने में एक दूसरे की मदद करने का विशेषाधिकार प्राप्त है (3:18)।

डर या संदेह हमें आसानी से एक बाहरी व्यक्ति की तरह महसूस करा सकता है, जो हमें परमेश्वर के परिवार का हिस्सा होने के लाभों तक पूरी तरह से पहुंचने से रोकता है। लेकिन परमेश्वर के प्रेम के स्वतंत्र और उदार उपहार (2:8-10) की वास्तविकता को एक बार फिर से सुनें और गले लगाएं और उसके होने के आश्चर्य का आनंद लें।

विविधता का जश्न

एक विश्वविद्यालय में 2019 के ग्रेजुएशन समारोह में, 608 छात्रों ने अपने प्रमाण पत्र प्राप्त करने की तैयारी की। प्रिंसिपल ने छात्रों को उस देश का नाम पढ़ने के लिए खड़े होने के लिए कहा जहां वे पैदा हुए थे: अफगानिस्तान, बोलीविया, बोस्निया। . . . प्रिंसिपल तब तक पढ़ते रहे जब तक उन्होंने साठ देशों का नाम नहीं लिया और हर छात्र एक साथ खड़े होकर जय-जयकार कर रहा था। साठ देश; एक विश्वविद्यालय।

विविधता के बीच एकता की सुंदरता एक शक्तिशाली छवि थी जिसने परमेश्वर के दिल के करीब कुछ मनाया गया─एकता में रहने वाले लोग।

हम भजन 133 में परमेश्वर के लोगों के बीच एकता के लिए प्रोत्साहन के विषय में पढ़ते हैं, आरोहण का एक भजन─एक गीत गाया जाता था जब लोग वार्षिक समारोहों के लिए यरूशलेम में प्रवेश करते थे। भजन ने लोगों को सामंजस्य के साथ रहने के लाभों के बारे में याद दिलाया (पद 1) मतभेदों के बावजूद जो विभाजन का कारण बन सकते हैं। विशद कल्पना में, एकता को ताज़ा ओस (पद 3) और तेल के रूप में वर्णित किया गया है─याजकों का अभिषेक करने के लिए उपयोग किया जाता था (निर्गमन 29:7)─एक याजक के सिर, दाढ़ी और कपड़ों के "नीचे बहना" (पद 2)। साथ में, ये छवियां इस वास्तविकता की ओर इशारा करती हैं कि एकता में परमेश्वर के आशीर्वाद इतने भव्य रूप से प्रवाहित होते हैं कि उन्हें समेटा नही जा सकता है।

यीशु में विश्वासियों के लिए, जातीयता, राष्ट्रीयता, या उम्र जैसे मतभेदों के बावजूद, आत्मा में एक गहरी एकता है (इफिसियों 4:3)। जब हम एक साथ खड़े होते हैं और उस सामान्य बंधन का जश्न मनाते हैं जब यीशु हमारी अगुवाई करते हैं, तो हम अपने ईश्वर प्रदत्त मतभेदों को स्वीकार कर सकते हैं और सच्ची एकता के स्रोत का जश्न मना सकते हैं।

विरोध के सामने परमेश्वर पर भरोसा

एस्तर की परवरिश फिलिपीन्स में एक जनजाति में हुई  जो मसीह में विश्वास के विरुद्ध था । उसने जीवन-घातक बीमारी से अपनी लड़ाई के दौरान एक चाची की प्रार्थना के बाद यीशु के द्वारा उद्धार को स्वीकार किया । आज हिंसा और यहाँ तक कि मृत्यु के जोखिम के बावजूद एस्तेर अपने स्थानीय समुदाए में बाइबल अध्ययन में अगुवाई करती है । वह यह कहते हुए आनंदित सेवा करती है, “मैं यीशु के विषय लोगों को बताना छोड़ नहीं सकती हूँ क्योंकि मैंने अपने जीवन में परमेश्वर की सामर्थ्य, प्रेम, भलाई, और विश्वासयोग्यता का अनुभव किया है ।”

विरोध की सूरत में ईश्वर की सेवा करना आज भी कई लोगों के लिए एक वास्तविकता है, जैसा कि बेबीलोन की कैद में रहनेवाले तीन युवा इस्राएली, शद्रक, मेशक, अबेदनगो के लिए था । दानिय्येल की पुस्तक में, हम सीखते हैं कि उन्होंने आसन्न मृत्यु के सामने भी राजा नबूकदनेस्सर की एक बड़ी सोने के मूरत के सामने प्रार्थना करने से इनकार कर दिया । पुरुषों ने गवाही दी कि परमेश्वर उनको बचाने में सक्षम था, लेकिन “यदि नहीं” भी बचाता है तो भी उन्होंने उसकी सेवा करने का चुनाव किया था (दानिय्येल 3:18) । जब उन्हें आग में फेंक दिया गया, परमेश्वर वास्तव में उनकी पीड़ा में उनके साथ शामिल हुआ (पद.25) । सभी के विस्मय में, वे बच गए और उनके “सिर का एक बाल भी न झुलसा” (पद.27) । 

यदि हम विश्वास के कार्य के कारण दुःख या सताव का सामना करते हैं, प्राचीन और वर्तमान उदाहरण हमें याद दिलाते हैं कि जब हम उसकी आज्ञा मानने का चुनाव करते हैं, परमेश्वर का आत्मा हमें सामर्थ्य देने और हमें थामने के लिए उपस्थित है “भले ही” चीजें हमारी उम्मीद से अलग हों । 

बुद्धि की आवश्यकता

पिता के बिना बड़े होने पर, रॉब ने महसूस किया कि वह बहुत सारे व्यवहारिक ज्ञान से वंचित रह गए हैं जो पिता अक्सर अपने बच्चों को देते हैं l न चाहते हुए कि किसी को महत्वपूर्ण जीवन कौशल की कमी हो, रॉब ने विडियो श्रृंखला “डैड, मैं कैसे करूँ?” बनाया जिसमें उसने एक शेल्फ कैसे सजाते हैं से लेकर एक टायर कैसे बदलते हैं, सब कुछ दर्शाया l अपने हितकर संवेदना और स्नेही शैली में, रॉब ने एक यूट्यूब सनसनी बनकर लाखों सब्सक्राइबर इकठ्ठा किये हैं l 

हममें से कई लोग हमें मूल्यवान कौशल सिखाने के साथ-साथ कठिन परिस्थितियों को पार करने में मदद करने के लिए एक माता-पिता जैसे व्यक्तित्व की विशेषज्ञता की चाह रखते हैं l मूसा और इस्राएलियों के मिस्र के दासत्व से भागने के बाद और एक राष्ट्र के रूप में स्थापित होते समय उसे कुछ बुद्धि की आवश्यकता पड़ी l मूसा के ससुर, यित्रो ने उस तनाव को देखा जो लोगों के विवादों को हल करने में मूसा को हो रहा था l इसलिए यित्रो ने मूसा को नेतृत्व में जिम्मेदारियों को किस तरह बांटना है की विचारशील सलाह दी (निर्गमन 18:17-23) l “अपने ससुर की यह बात मन कर मूसा ने उसके सब वचनों के अनुसार किया” (पद.24) l 

परमेश्वर जानता है कि हम सब को बुद्धि की ज़रूरत है l कुछ को धर्मी माता-पिता की आशीष मिलती है जो बुद्धिमान सलाह देते हैं, लेकिन यदि नहीं तो, हम परमेश्वर से बुद्धि मांग सकते हैं, जो उन सबको देता है जो मांगते हैं (याकूब 1:5) l वह पवित्रशास्त्र के पन्नों में भी बुद्धि दिया है, जो हमें याद दिलाता है कि जब हम दीनता और सच्चाई से बुद्धिमान की सुनते हैं, हम “अनंतकाल तक बुद्धिमान ठहरें” (नीतिवचन 19:20) और दूसरों के साथ साझा करने के लिए बुद्धि हो l 

स्वतंत्रता में उछलना कूदना

एक तीसरी पीढ़ी का किसान, बाला तब इतना अधिक द्रवित हुआ जब उसने पढ़ा “तुम्हारे लिए जो मेरे नाम का भय मानते हो . . . तुम निकलकर पाले हुए बछड़ों के समान कूदोगे और फाँदोगे”(मलाकी 4:2) कि उसने यीशु के अनंत जीवन के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए प्रार्थना की l जब बाला ने अपने बछड़ों को अपने तंग गौशालों से तीव्र गति से निकलकर उत्साह से उछल-कूद करने को सजीव ढंग से याद किया तो उसने आखिरकार परमेश्वर के वास्तविक स्वतंत्रता के वादे को समझ लिया l  

बाला की बेटी ने मुझे यह कहानी बतायी क्योंकि हम मलाकी 4 में काल्पनिक चित्र पर विचार कर रहे थे, जहाँ पर नबी ने जो परमेश्वर का भय मानते हैं, या उसके प्रति विश्वासयोग्य है, और जो केवल खुद पर भरोसा करते हैं के बीच एक भेद करता है (4:1-2) l नबी एक ऐसे समय में इस्राएलियों को परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करता है जब बहुत सारे लोग, जिसमें धार्मिक अगुए भी शामिल थे, परमेश्वर और वफादार रहन-सहन के मानक को भूल गए थे (1:12-14; 3:5-9) l मलाकी ने  एक आनेवाले समय के कारण जब परमेश्वर दोनों समूहों के बीच एक अंतिम भेद करेगा के कारण लोगों को विश्वासयोग्यता से जीने का आह्वान किया l इस सन्दर्भ में, मलाकी ने बयान से बाहर आनंद का वर्णन करने के लिए एक उछलते-कूदते हुए बछड़े का एक अनापेक्षित चित्र उपयोग किया जो विश्वासी समूह अनुभव करेगा जब “धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे” (4:2) l 

यीशु इस प्रतिज्ञा का असली पूर्णता है, सुसमाचार को लानेवाला कि सभी लोगों के लिए वास्तविक स्वतंत्रता उपलब्ध है (लूका 4:16-21) l और एक दिन, परमेश्वर के नवीकृत और पुनर्स्थापित सृष्टि में, हम इस स्वतंत्रता का पूर्ण अनुभव करेंगे l वहाँ उछल-कूद करने का आनंद कितना अवर्णनीय होगा!

सर्वश्रेष्ठ चंगाई देनेवाला

जब एक परिवार के सदस्य की गंभीर खाद्य एलर्जी(food allergies) के लिए एक चिकित्सा उपचार ने राहत देना शुरू किया, तो मैं इतना उत्साहित हो गया कि मैंने हर समय इसके बारे में बात की l मैंने गहन प्रक्रिया का वर्णन किया और उस डॉक्टर की प्रशंसा की जिसने योजना बनायीं थी l अंत में, कुछ दोस्तों ने टिप्पणी की, “हमें लगता है कि परमेश्वर को हमेशा चंगे का श्रेय मिलना चाहिए l” उनके इस कथन ने मुझे रोक दिया l क्या मैंने अपनी आँख सर्वश्रेष्ठ चंगाई देनेवाले से हटा दी थी और चंगे को एक मूर्ति बना दिया था?

इस्राएल राष्ट्र एक ऐसे ही जाल में घिर गया जब वे एक पीतल के साँप के सामने धूप जलाने लगे जिसे परमेश्वर ने उन्हें चंगा करने के लिए उपयोग किया था l वे आराधना के इस कार्य को तब तक करते रहे जब तक हिजिकिय्याह ने इसे मूर्तिपूजा के रूप में नहीं पहचाना और “पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था, उसको . . . चूर-चूर कर दिया” (2 राजा 18:4) l 

कई शताब्दी पहले, विषैले साँपों के एक समूह ने इस्राएल के शिविर पर आक्रमण किया था l साँपों ने लोगों को काटा और कई लोग मर गए (गिनती 21:6) l हालाँकि आध्यात्मिक विद्रोह ने इस समस्या को पैदा किया था, फिर भी लोग ने मदद के लिए परमेश्वर को पुकारा l दया दिखाते हुए, उसने मूसा को एक पीतल का साँप बनाने, और उसे एक खम्बे पर बाँधने और सभी को देखने के लिए उसे पकड़ने के लिए निर्देशित दिया l जब लोगों ने इसे देखा, तो वे चंगे हो गए (पद.4-9) l 

आपके लिए परमेश्वर के उपहार के बारे में विचार करें l क्या इनमें से कोई भी उसकी दया और कृपा के साक्ष्य के बजाय तारीफ़ की वस्तु तो नहीं बन गई है? केवल हमारा पवित्र परमेश्वर──हर एक अच्छे उपहार का श्रोत (याकूब 1:17) ──आराधना के योग्य है l