हमारी बाकी कहानी
छह दशकों से अधिक समय तक, समाचार पत्रकार पौलूस हार्वे अमेरिकी रेडियो पर एक जानी–पहचानी आवाज थे। सप्ताह में छह दिन वह रंगीन लहजे़ के साथ कहते, “आप जानते हैं कि खबर क्या है, एक मिनट में आप बाकी की कहानी सुनने जा रहे हैं”। एक संक्षिप्त विज्ञापन के बाद, वह एक प्रसिद्ध व्यक्ति की एक कम जानी कहानी सुनाते थे। लेकिन अंत तक उस व्यक्ति के नाम या किसी अन्य प्रमुख बात को न बताकर, वह नाटकीय तरीके से रुक रुक कर और खास वाक्य (टैगलाइन) बोलकर श्रोताओं को प्रसन्न करते थे — “और अब आप जानते हैं — — बाकी की कहानी।”
अतीत और भविष्य की चीजों के बारे में प्रेरित यूहन्ना का दर्शन एक समान प्रतिज्ञा के साथ प्रकट होता है। हालाँकि, उनकी कहानी की शुरूआत दुखभरी होती है। वह रोना बंद नहीं कर सका जब उसने देखा कि स्वर्ग में या पृथ्वी पर कोई भी इस योग्य नहीं जो यह बता सकै कि इतिहास किस ओर जा रहा है (प्रकाशितवाक्य 4:1; 5:1–4)। तब उस ने यहूदा के गोत्र के सिंह में आशा व्यक्त करने का शब्द सुना (पद 5)। परन्तु जब यूहन्ना ने दृष्टि की, तो विजयी सिंह को देखने के स्थान पर उसने एक मेम्ने को देखा, जो ऐसा लग रहा था मानो उसका वध किया हुआ हो (पद 5–6)। परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर उत्सव की लहरों का अविश्वसनीय दृश्य दिखाई पड़ा। चौबीस प्राचीनों के साथ अनगिनत स्वर्गदूत और फिर पूरे स्वर्ग और पृथ्वी की सब सृजी हुई वस्तु जुड़े थे (पद 8–14) ।
कौन कल्पना कर सकता था कि एक क्रूस पर चढ़ाया हुआ उद्धारकर्ता सारी सृष्टि की आशा, हमारे परमेश्वर की महिमा, और हमारी बाकी कहानी होगी।
पीछे की ओर से पढ़ना
एक रहस्यमय उपन्यास के अंतिम अध्याय को पहले पढ़ना उन लोगों के लिए एक बुरे विचार की तरह लग सकता है जो एक अच्छी कहानी के रहस्य को पसंद करते हैं l लेकिन कुछ लोगों को पुस्तक पढ़ने में अधिक आनंद आता है अगर वे जानते हैं कि इसका अंत कैसे होता है l
रीडिंग बैकवर्ड्स(Reading Backwards) पुस्तक में, लेखक रिचर्ड हेज़ बताते हैं कि हमारी समझ के लिए यह अभ्यास कितना महत्वपूर्ण है l यह बताते हुए कि कैसे पवित्रशास्त्र के खुलनेवाले शब्द और घटनाएं बताती हैं, प्रतिध्वनित होती हैं, और एक दूसरे पर प्रकाश डालती हैं, प्रोफ़ेसर हेज़ हमें अपनी बाइबल को आगे और पीछे पढ़ने का कारण देते हैं l
हेज़ पाठकों को स्मरण कराते हैं कि यीशु के पुनरुत्थान के बाद ही उनके शिष्यों ने तीन दिनों में एक विध्वस्त मंदिर के पुनर्निर्माण के उसके दावे को समझा l प्रेरित यूहन्ना हमें बताता है, “मंदिर जिसकी चर्चा उसने की थी वह उसकी देह थी” (यूहन्ना 2:21) l केवल तभी वे अपने फसह के पर्व का अर्थ समझ सकते थे जिसे पहले कभी नहीं समझा गया था (देखें मत्ती:26:17-29) l केवल पुनरवलोकन में ही वे इस बात पर विचार कर सकते थे कि कैसे यीशु ने परमेश्वर के मंदिर के लिए एक प्राचीन राजा की गहरी भावनाओं को अर्थ की परिपूर्णता दी (भजन 69:9; यूहन्ना 2:16-17) l केवल परमेश्वर के सच्चे मंदिर (स्वयं यीशु) के प्रकाश में अपने धर्मग्रंथों को फिर से पढ़ने से ही शिष्य समझ सकते थे कि कैसे इस्राएल के धर्म की क्रियापद्धति और मसीह(Messiah एक दूसरे पर प्रकाश डालेंगे l
और अब, केवल उन्हीं शास्त्रों को पीछे और आगे पढ़कर, हम यीशु में वह सब कुछ देख सकते हैं जिसकी हममें से किसी को कभी आवश्यकता या लालसा थी l
शब्दों से परे
थॉमस एक्विनास (1225-1274) कलीसिया में विश्वास के रक्षकों में से एक बहुत नामी व्यक्ति थे। फिर भी उनकी मृत्यु से ठीक तीन महीने पहले, किसी कारणवश उन्होंने अपनी सुम्मा थियोलॉजिका को अधूरा छोड़ दिया, जो उनके जीवन के काम की विशाल विरासत थी। अपने उद्धारकर्ता के टूटे हुए शरीर और बहाए गए रक्त पर चिंतन करते हुए, एक्विनास ने एक ऐसे दर्शन को देखने का दावा किया जिसने उन्हें बिना शब्दों के छोड़ दिया। उन्होंने कहा, 'मैं और नहीं लिख सकता। मैंने ऐसी चीजें देखी हैं जो मेरे लेखन को तिनके की तरह बनाती हैं।”
एक्विनास से पहले, पौलुस ने भी एक दर्शन देखा था। 2 कुरिन्थियों में, उसने उस अनुभव का वर्णन किया: मैं, चाहे शरीर में हो या शरीर के अलावा, मैं नहीं जानता, लेकिन भगवान जानता है - स्वर्ग तक उठा लिया गया और अकथनीय बातें सुनी" (12:3-4)।
पौलुस और एक्विनास हमें अच्छाई के एक महासागर पर चिंतन करने के लिए छोड़ते है जिसे न तो शब्द और न ही तर्क व्यक्त कर सकते हैं। एक्विनास ने जो देखा उसके निहितार्थों ने उसे अपने काम को पूरा करने के लिए आशारहित छोड़ दिया इस तरह की यह एक ऐसे परमेश्वर के साथ न्याय हो जिसने अपने पुत्र को हमारे लिए क्रूसित होने के लिए भेजा। इसके विपरीत, पौलुस ने लिखना जारी रखा, लेकिन उसने ऐसा किया इस जागरूकता के साथ कि वह उसे बयान नहीं कर सकता और न पूरा कर सकता है अपनी खुद की सामर्थ द्वारा।
पौलुस ने मसीह की सेवा में जिन सभी मुसीबतों का सामना किया (2 कुरिन्थियों 11:16-33; 12:8-9), वह पीछे मुड़कर देख सकता था, अपनी कमजोरी में, शब्दों और आश्चर्य से परे एक अनुग्रह और भलाई को।
जब सारी दुनिया गाती है
1970 के दशक के एक विज्ञापन गीत ने एक पीढ़ी को प्रेरित किया जो कोका कोला के “द रियल थिंग” विज्ञापन अभियान के हिस्से के रूप में बनाया गया था, जिसे एक ब्रिटिश संगीत बैंड ने अंततः एक पूरे लम्बे गीत के रूप में गाया जो दुनिया भर के संगीत चार्ट की चोटी पर था। लेकिन कई लोग रोम के बाहर एक पहाड़ी की चोटी पर युवाओं द्वारा गाए गए मूल टेलीविजन संस्करण को कभी नहीं भूलेंगे। मधुमक्खियां और फलों के पेड़ों के दर्शन के साथ यह अद्भुत था, दुनिया को, दिल से गाना और प्यार की सद्भावना सिखाने के लिए हम गीतकार की इच्छा के साथ प्रतिध्वनित हुए ।
प्रेरित यूहन्ना उस आदर्श स्वप्न के समान कुछ वर्णन करता है, जो केवल बहुत बड़ा है। उसने “स्वर्ग और पृथ्वी पर और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र के सब प्राणी, और जो कुछ उन में है के द्वारा गाए गए एक गीत” की कल्पना की थी (प्रकाशितवाक्य 5:13)। इस गाने में कुछ भी अजीब नहीं है। जिसके लिए यह गीत गाया गया है, उसके द्वारा चुकाई गई कीमत से अधिक वास्तविक कुछ नहीं हो सकता। युद्ध, मृत्यु, और परिणाम के दर्शन की तुलना में न ही इससे अधिक पूर्वाभास हो सकता है कि उसके प्रेम के बलिदान को जीतना होगा।
तौभी परमेश्वर के मेमने को हमारे पापों को सहने और मृत्यु को पराजित करने, मृत्यु के हमारे भय पर विजय पाने, और संपूर्ण स्वर्ग और पृथ्वी को पूर्ण सामंजस्य में गाना सिखाने के लिए यही करना पड़ा।
परमेश्वर के मित्रों का मित्र
जब दो व्यक्तियों को पता चलता है कि उनका एक मित्र उन दोनों का भी मित्र है, तो पहली मुलाक़ात ही बहुत सुहावनी हो जाती है। इसका सबसे विस्मरणीय रूप क्या हो सकता है, एक बड़े दिल वाला मेजबान एक अतिथि का स्वागत कुछ इस तरह से करता है, “आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। विजय का या हिना का कोई भी मित्र मेरा मित्र है।"
यीशु ने कुछ ऐसा ही कहा। वह बहुतों को चंगा करके भीड़ को आकर्षित कर रहे थे। लेकिन स्थानीय धार्मिक अगुवे जिस तरह से मंदिर का व्यवसायीकरण करते और अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते, उससे असहमत होने के कारण उनके दुश्मन भी बन रहे थे। बढ़ते हुए संघर्ष के बीच में, उन्होंने अपनी उपस्थिति के आनंद, मूल्य और आश्चर्य को बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया। उन्होंने अपने शिष्यों को दूसरों को चंगा करने की क्षमता दी और उन्हें यह घोषणा करने के लिए भेजा कि परमेश्वर का राज्य निकट है। उसने चेलों को आश्वासन दिया: "जो कोई तुम्हारा स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है" (10:40), और बदले में, उनके पिता का स्वागत करता है जिसने उन्हें भी भेजा।
मित्रता के अधिक जीवन बदलने वाले प्रस्ताव की कल्पना करना कठिन है। जो कोई अपना घर खोलना चाहेगा, या यहां तक कि उसके चेलों में से एक को एक प्याला ठंडा पानी देगा, उसके लिए यीशु ने परमेश्वर के हृदय में एक स्थान का आश्वासन दिया है। जबकि वह बहुत पहले हुआ था, पर उसके वचन हमें याद दिलाते हैं कि दयालुता और आतिथ्य के बड़े और छोटे कार्यों में अभी भी परमेश्वर के मित्रों के मित्र के रूप में स्वागत पाने और स्वागत करने के तरीके हैं।
न्याय और यीशु
रोम के पहले सम्राट कैसर औगुस्तुस (ई.पूर्व 63─14 ई.सन्) चाहते थे कि उन्हें एक कानून-व्यवस्था शासक के रूप में जाना जाए। भले ही उसने दास श्रम, सैन्य विजय, और वित्तीय रिश्वतखोरी के बल पर अपने साम्राज्य का निर्माण किया, लेकिन उसने कानूनी नियत प्रक्रिया का एक उपाय स्थापित किया और अपने नागरिकों को लुस्टितिआ दी, एक देवी जिसे आज हमारी न्याय प्रणाली लेडी जस्टिस(न्याय की देवी) के रूप में संदर्भित करती है। उसने एक जनगणना का भी आह्वान किया जो मरियम और युसूफ को बेथलहम ले आया ताकि एक लम्बे समय से प्रतीक्षित शासक का जन्म हो सके जिसकी महानता पृथ्वी के छोर तक पहुंचेगी (मीका 5:2-4)।
न तो औगुस्तुस और न ही बाकी दुनिया यह अनुमान लगा सकती थी कि कैसे एक सर्वश्रष्ठ महान राजा जीकर और मरकर यह दिखाएगा कि वास्तव में न्याय किस प्रकार होता है। सदियों पहले, भविष्यवक्ता मीका के दिनों में, परमेश्वर के लोग एक बार फिर झूठ, हिंसा, और "गलत धन" की संस्कृति में खो गए थे (6:10-12)। परमेश्वर के प्रिय राष्ट्र ने उसकी दृष्टि खो दी थी। वह उनसे चाहता था कि वे संसार को दिखाएँ कि एक दूसरे के द्वारा सही काम करने का क्या मतलब है और उसके साथ नम्रता से चले(पद.8)।
एक दास समान राजा ने मनुष्य रूप में होकर उस तरह के न्याय को व्यक्त किया जिसे दुखित,, भूलाए गए और असहाय लोग लंबे समय से चाहते थे। यीशु में ही मीका की भविष्यवाणी पूरी हो सकी जिसके द्वारा परमेश्वर और मनुष्य, और मनुष्यों के बीच में सही संबंधो की स्थापना हो पाई। यह कैसर के बाहरी प्रवर्तन जैसी कानून-व्यवस्था से नहीं आ सकता था, बल्कि हमारे दास राजा यीशु की दया, भलाई और आत्मा की स्वतंत्रता से आया है।
नायक, तानाशाह, और यीशु
बीथोवेन (एक प्रसिद्ध संगीतकार) गुस्से में था। वह अपनी तीसरी सिम्फनी को "द बोनापार्ट" नाम देना चाहता था। धार्मिक और राजनीतिक अत्याचार के युग में, उन्होंने नेपोलियन को लोगों के नायक और स्वतंत्रता के चैंपियन के रूप में देखा। लेकिन जब फ्रांसीसी सेनापति ने खुद को सम्राट घोषित किया, तो प्रसिद्ध संगीतकार ने अपना विचार बदल दिया। अपने पूर्व नायक को एक दुष्ट और अत्याचारी बताते हुए, उसने बोनापार्ट के नाम को मिटाने के लिए इतनी मेहनत की कि उसने मूल संगीत में एक कमी छोड़ दिया।
यीशु में प्रारंभिक विश्वासियों को अवश्य ही निराशा हुई होगी जब उनकी राजनीतिक सुधार की आशाओं को धराशायी कर दिया गया था। उसने कैसर के भारी करों और सैन्य उपस्थिति के अत्याचार के बिना जीवन की आशाओं को उभारा। फिर भी, दशकों बाद, रोम अभी भी दुनिया पर राज करता था। यीशु के संदेश-दूत भय और दुर्बल थे। उसके चेलों को अपरिपक्वता और आपसी लड़ाई के द्वारा चिह्नित किया गया था (1 कुरिन्थियों 1:11-12; 3:1-3)।
लेकिन एक अंतर था। पौलुस ने परे देखा कि क्या अपरिवर्तित रह गया था। उसके पत्र मसीह के नाम के साथ शुरू हुए, समाप्त हुए, और भरपूर थे l मसीह जी उठे। मसीह लौटकर राज करने के वादे के साथ। हर चीज और हर किसी के फैसले में मसीह। हालाँकि, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, पौलुस चाहता था कि यीशु में विश्वासियों को क्रूस पर चढ़ाए जाने के अर्थ और निहितार्थ पर आधारित हो (2:2; 13:1-13)।
यीशु के बलिदान में व्यक्त प्रेम ने उन्हें एक अलग तरह का अगुआ बना दिया। दुनिया के परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में, उनका क्रूस सब कुछ बदल देता है। यीशु का नाम हमेशा के लिए जाना जाएगा और हर नाम के ऊपर उसकी प्रशंसा की जाएगी।
बद को बदतर करना
रेडियो के स्वर्ण युग के दौरान, फ्रेड ऐलन (1894-1956) ने हास्यप्रद निराशा का उपयोग आर्थिक मंदी के साए में रहनेवाली पीढ़ी और युद्ध में संलग्न संसार में मुस्कराहट लाने के लिए किया । उनके हास्यभाव व्यक्तिगत दर्द से जन्मा था । तीन साल का होने से पहले अपनी माँ को खोने के बाद, उन्हें अपने पिता से अलग कर दिया गया जो नशे की लत से संघर्ष कर रहे थे । उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी के एक व्यस्त सड़क से एक किशोर लड़के को एक यादगार के साथ बचाया, “ऐ लड़के तुम्हारे साथ क्या बात है? क्या तुम बड़े नहीं होना चाहते हो और परेशान होना नहीं चाहते हो?
अय्यूब का जीवन ऐसे परेशान यथार्थ में खुलता है । जब उसके विश्वास का आरंभिक प्रगटीकरण अंततः निराशा के सामने हार मान लेता है, उसके मित्रों ने उसके दर्द को बदतर करके उसे गुणित किया । अच्छे लगनेवाले तर्कों के साथ उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है (4:7-8) और ईश्वर के सुधार से सीख सकता है, तो वह अपनी समस्याओं के सामने हँसने की शक्ति पाएगा (5:22) ।
अय्यूब के “दिलासा देनेवाले” भलाई चाहते थे जबकि इतने गलत थे (1:6-12) । वे कभी भी कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक दिन वे “ऐसे मित्रों के साथ, किसे दुश्मन की ज़रूरत हो सकती है? के उदाहरण के रूप में उपयोग किए जाएंगे । कभी भी उन्होंने अपके लिए अय्यूब की राहत की प्रार्थना की कल्पना नहीं की होगी, या फिर उन्हें प्रार्थना की ज़रूरत किसी भी तरह से क्यों होगी (42:7-9) । कभी भी उन्होंने कल्पना नहीं की होगी कि किस तरह वे उसका जिसने हमारे महानतम आनंद का श्रोत बनने के लिए अत्यधिक गलतफहमियों को झेला के आरोपियों का पूर्वाभास दे रहे थे ।
सुसमाचार की सामर्थ्य
प्राचीन रोम के पास “सुसमाचार”──अच्छी खबर──का अपना संस्करण था l कवि वर्जिल के अनुसार, देवताओं के राजा ग्युस ने रोमियों के लिए एक राज्य की घोषणा की थी जिसकी सीमाएं अंतहीन थीं l देवताओं ने अगुस्तुस को दिव्य पुत्र और विश्व के उद्धारकर्ता के रूप चुनकर शांति और समृद्धि के सुनहरे युग का आरम्भ किया था l
हालाँकि, यह सभी के विचार से अच्छी खबर नहीं थी l कई लोगों के लिए यह सम्राट की सेना और जल्लादों की तानाशाही द्वारा लागू एक अप्रिय वास्तविकता थी l साम्राज्य की महिमा उन दास लोगों की ताकत पर बनायी गई थी, जिन्होंने उन पर शासन करने वाले स्वामी की ख़ुशी में कानूनी व्यक्तित्व या संपत्ति के बिना सेवा की थी l
यह वह संसार था जिसमें पौलुस ने खुद को मसीह के सेवक के रूप में पेश किया था (रोमियों 1:1) l एक समय कैसे पौलुस──यीशु──इस नाम से नफरत करता था l और कैसे यीशु खुद को यहूदियों का राजा और संसार का उद्धारकर्ता होना स्वीकार करने के कारण दुःख उठाया था l
यही वह सुसमाचार था जो पौलुस पत्र के अपने बाकी हिस्से में रोमियों को समझानेवाला था l यह सुसमाचार “हर एक विश्वास करनेवाले के लिए . . . उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ्य [था]” (पद.16) l ओह, कैसर के आधीन पीड़ित लोगों को इसकी कितनी आवश्यकता थी! यहाँ एक क्रूस पर चढ़ाए गए और पुनारुथित उद्धारकर्ता का समाचार था──छुटकारा देनेवाला जिसने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करके दिखाया कि वह उनसे कितना प्यार करता था l