रोम के पहले सम्राट कैसर औगुस्तुस (ई.पूर्व 63─14 ई.सन्) चाहते थे कि उन्हें एक कानून-व्यवस्था शासक के रूप में जाना जाए। भले ही उसने दास श्रम, सैन्य विजय, और वित्तीय रिश्वतखोरी के बल पर अपने साम्राज्य का निर्माण किया, लेकिन उसने कानूनी नियत प्रक्रिया का एक उपाय स्थापित किया और अपने नागरिकों को लुस्टितिआ दी, एक देवी जिसे आज हमारी न्याय प्रणाली लेडी जस्टिस(न्याय की देवी) के रूप में संदर्भित करती है। उसने एक जनगणना का भी आह्वान किया जो मरियम और युसूफ को बेथलहम ले आया ताकि एक लम्बे समय से प्रतीक्षित शासक का जन्म हो सके जिसकी महानता पृथ्वी के छोर तक पहुंचेगी (मीका 5:2-4)।

न तो औगुस्तुस और न ही बाकी दुनिया यह अनुमान लगा सकती थी कि कैसे एक सर्वश्रष्ठ महान राजा जीकर और मरकर यह दिखाएगा कि वास्तव में न्याय किस प्रकार होता है। सदियों पहले, भविष्यवक्ता मीका के दिनों में, परमेश्वर के लोग एक बार फिर झूठ, हिंसा, और “गलत धन” की संस्कृति में खो गए थे (6:10-12)। परमेश्वर के प्रिय राष्ट्र ने उसकी दृष्टि खो दी थी। वह उनसे चाहता था कि वे संसार को दिखाएँ कि एक दूसरे के द्वारा सही काम करने का क्या मतलब है और उसके साथ नम्रता से चले(पद.8)।

एक दास समान राजा ने मनुष्य रूप में होकर उस तरह के न्याय को व्यक्त किया जिसे दुखित,, भूलाए गए और असहाय लोग लंबे समय से चाहते थे। यीशु में ही मीका की भविष्यवाणी पूरी हो सकी जिसके द्वारा परमेश्वर और मनुष्य, और मनुष्यों के बीच में सही संबंधो की स्थापना हो पाई। यह कैसर के बाहरी प्रवर्तन जैसी कानून-व्यवस्था से नहीं आ सकता था, बल्कि हमारे दास राजा यीशु की दया, भलाई और आत्मा की स्वतंत्रता से आया है।