स्पष्ट रोना
जब कोई बच्चा रोता है, तो यह संकेत है कि वह थका हुआ है या भूखा है, है ना! ब्राउन यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों के अनुसार, नवजात शिशु के रोने में हल्का सा अंतर भी अन्य समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण संकेत दे सकता है। डॉक्टरों ने एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया है जो रोने के कारकों जैसे पिच (उतार चढ़ाव), तीव्रता, और रोने की आवाज में स्पष्टता को मापता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि बच्चे के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (baby’s central nervous system) में कुछ गड़बड़ है या नहीं।
यशायाह ने भविष्यवाणी करी कि परमेश्वर अपने लोगों की स्पष्ट पुकार सुनेंगे, उनके दिलों की हालत समझेंगे, और अनुग्रह के साथ जवाब देंगे। यहूदा ने, परमेश्वर से परामर्श करने के बजाय, उसके भविष्यवक्ता की उपेक्षा की थी और मिस्र के साथ गठबंधन में मदद मांगी थी (यशायाह 30:1–7)। परमेश्वर ने उनसे कहा कि यदि उन्होंने अपना विद्रोह जारी रखा, तो वह उनके सामने उनकी हार और अपमान लाएगा। हालाँकि वह उन पर “अनुग्रह करने की भी और उन पर दया दिखाने की इच्छा रखता था” (पद 18)। बचाव आएगा, लेकिन केवल उनके पश्चाताप और विश्वास के रोने से। यदि परमेश्वर के लोग उसे पुकारते, तो वह उनके पापों को क्षमा कर देता और उनकी आत्मिक शक्ति और जीवन शक्ति को नया कर देता (पद 8–26)।
यही बात आज यीशु में विश्वास करने वालों के लिए भी सच है। जब पश्चाताप और विश्वास की हमारी स्पष्ट पुकारें (दोहाई) हमारे स्वर्गीय पिता के कानों तक पहुँचती हैं, तो वह उन्हें सुनता है, हमें क्षमा करता है, और उसमें हमारे आनंद और आशा को नया करता है।
परमेश्वर के लिए अच्छी परेशानी
एक दिन, छठी कक्षा के एक विद्यार्थी ने एक सहपाठी को एक छोटे उस्तरा से अपना हाथ काटते देखा l सही काम के प्रयास में, उसने उससे लेकर फेंक दिया l आश्चर्यजनक रूप से, सराहना के बजाय, उसे दस दिन का स्कूल निलंबन प्राप्त हुआ l क्यों? उसके पास कुछ समय के लिए उस्तरा था—जिसकी स्कूल में अनुमति नहीं थी l यह पूछे जाने पर कि क्या वह दोबारा ऐसा करेगी, उसने उत्तर दिया : “भले ही मैं परेशानी में पड़ जाऊं . . . मैं इसे दोहराउंगी l” जिस तरह इस लड़की के अच्छे काम करने की कोशिश ने उसे परेशानी में डाल दिया (उसका निलंबन बाद में उलट दिया गया था), यीशु का राज्य के हस्तक्षेप के कार्य ने उसे धार्मिक अगुओं के साथ अच्छी परेशानी में डाल दिया l
फरीसियों ने यीशु द्वारा एक विकृत हाथ वाले व्यक्ति की चंगाई को उनके नियमों का उल्लंघन बताया l l मसीह ने उनसे कहा, कि अगर परमेश्वर के लोगों को सब्त के दिन गंभीर परिस्थितियों में पशुओं की देखभाल करने की अनुमति थी, तो “मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़कर है!” (मत्ती 12:12) l क्योंकि सब्त का प्रभु होकर, यीशु जो अनुमत है और जो नहीं है को ठीक कर सकता था (पद.6-8) l यह जानते हुए कि इससे धार्मिक अगुवों को ठेस पहुंचेगी, उसने वैसे भी मनुष्य के हाथ को ठीक कर दिया (पद.13-14) l
कभी-कभी मसीह में विश्वासी “अच्छी मुसीबत” में पड़ सकते हैं—जो उसे आदर देता है लेकिन जिससे कुछ लोग खुश नहीं होते—जब वे दूसरों की मदद करते हैं l जब हम परमेश्वर के मार्गदर्शन में ऐसा करते हैं, हम यीशु का अनुकरण करते हुए दर्शाते हैं कि लोग नियमों और रीति-रिवाजों से अधिक महत्वपूर्ण हैं l
परमेश्वर के साथ रास्ते पर रहना
वर्षों पहले, उत्तर-पश्चिमी स्पेन में 218 लोगों को ले जा रही एक ट्रेन पटरी से उतर गई थी, जिसमें 79 लोगों की मौत हो गई और 66 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती थे। चालक दुर्घटना का व्याख्या नहीं कर सका, लेकिन वीडियो फुटेज कर सकता था और किया। जानलेवा मोड़ से टकराने से पहले ट्रेन बहुत तेज गति से जा रही थी। ट्रेन में सवार सब के सुरक्षा के लिए स्वीकार्य गति सीमा बनाया गया था। स्पेन के राष्ट्रीय रेल कंपनी का तीस वर्षीय अनुभवी होने के बावजूद, हालाँकि, चालक ने किसी भी कारण से गति सीमा को अनदेखा किया और कई लोगों की जान चली गई।
व्यवस्थाविवरण 5 में, मूसा ने अपने लोगों के लिए परमेश्वर के मूल वाचा सीमाओं का समीक्षा किया। मूसा ने नई पीढ़ी को परमेश्वर के निर्देश को उसके साथ अपने वाचा के रूप में मानने के लिए प्रोत्साहित किया (पद 3), और फिर उसने दस आज्ञाओं (पद. 7-21) को दोहराया। आज्ञाओं को दोहराने और पिछले पीढ़ी के अनाज्ञाकारिता से सबक लेने के द्वारा, मूसा ने इस्राएलियों को श्रद्धावान, विनम्र और परमेश्वर के विश्वासयोग्यता के प्रति सचेत होने के लिए आमंत्रित किया। परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए एक मार्ग बनाया था ताकि वे अपने या दूसरों के जीवन को नष्ट न करें। यदि उन्होंने उसके बुद्धि का अवहेलना किया, तो वे अपने जोखिम पर ही ऐसा करते।
आज, जैसे परमेश्वर हमारा अगुवाई करता है, आइए हम पूरे पवित्रशास्त्र को अपना आनंद, परामर्शदाता और अपने जीवनों के लिए सुरक्षा कवच बनाएं। और जैसे आत्मा हमारा मार्गदर्शन करता है, हम उसकी बुद्धिमत्तापूर्ण सुरक्षा के दायरे में रह सकते हैं और अपना जीवन पूरे हृदय से उसके लिए समर्पित कर सकते हैं।
मदद के लिए एक पुकार
डेविड विल्स वाटरस्टोन्स बुकशॉप में ऊपर था जब वह नीचे आया और उसने पाया कि बत्तियाँ बंद थीं और दरवाज़े बंद थे। वह दुकान के अंदर फंसा हुआ था! और, यह नहीं जानते हुए, की क्या करना है उन्होंने ट्विटर की ओर रुख किया और ट्वीट किया: "हाय @Waterstones मैं आपके ट्राफलगर स्क्वायर किताबों की दुकान में 2 घंटे से बंद हूँ। कृपया मुझे बाहर निकाले। उसके ट्वीट के तुरंत बाद ही उसे छुड़ाया गया।
जब हम मुसीबत में हों तो मदद पाने का रास्ता होना अच्छा है। यशायाह ने कहा कि कोई है जो हमारे पुकार का उत्तर देगा जब हम अपने ही बनाये हुए समस्यायों में फँस जाते हैं। भविष्यवक्ता ने लिखा है कि अपने लोगों पर परमेश्वर ने गैर-जिम्मेदार तरीके से धार्मिक भक्ति का अभ्यास करने का आरोप लगाया था। वे धर्म की गतियों से गुजर रहे थे लेकिन गरीबों के अपने उत्पीड़न को खोखले और स्वार्थी कर्मकांडों से छिपा रहे थे (यशायाह 58:1-7)। इसे प्रभु खुश नहीं थे । परमेश्वर ने उनसे अपनी आँखें छिपा लीं और उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया (1:15)। उन्होंने उनसे पश्चाताप करने और दूसरों की परवाह करने के बाहरी कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए कहा (58:6-7)। वे ऐसा करते तो उन्होंने उनसे कहा, “तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दुहाई देगा और वह कहेगा, 'मैं यहाँ हूँ।' यदि तू अंधेर करना और उँगली उठाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे,” (पद 9)।
आइए हम गरीबों के करीब जाएं, उनसे कहें: "मैं यहां हूं।" क्योंकि परमेश्वर हमारी दोहाई को सुनता है और हम से कहता है, “मैं यहां हूं।”
एक प्रेमभरी चेतावनी
सन् 2010 में, सुमात्रा के इंडोनेशियाई द्वीप पर सूनामी आया, जिसमें चार सौ से अधिक लोग मारे गए। परन्तु यदि सुनामी की चेतावनी प्रणाली ठीक से काम कर रही होती तो उन मौतों को रोका या कम किया जा सकता था। सूनामी का पता लगाने वाले तंत्र (buoys) अलग हो गए थे और बहकर दूर चले गए थे।
यीशु ने कहा कि उसके चेलों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने साथी चेलों को उन बातों के बारे में चेतावनी दें जो उन्हें आत्मिक रूप से हानि पहुँचा सकती हैं, जिसमें वह पाप भी शामिल है जिसका पश्चाताप नहीं किया गया है। उसने एक ऐसी प्रक्रिया को रेखांकित किया जिसमें एक विश्वासी जिसने दूसरे के विरुद्ध पाप किया हो, वह विनम्रतापूर्वक, निजी तौर पर, और प्रार्थनापूर्वक अपराधी विश्वासी के पाप की ओर “संकेत” कर सकता है (मत्ती 18:15)। यदि वह व्यक्ति पश्चाताप करे, तो उस संघर्ष को सुलझाकर सम्बन्ध को बहाल किया जा सकता है। यदि वह विश्वासी पश्चाताप करने से इन्कार करता है, तो “एक या दो अन्य लोग”उस संघर्ष को सुलझाने में सहायता कर सकते हैं (पद 16)। यदि वह पापी व्यक्ति फिर भी पश्चाताप नहीं करता, तो इस मुद्दे को “कलीसिया” के सामने लाया जाना चाहिए (पद 17)। यदि वह अपराधी फिर भी पश्चाताप न करे,तो उस व्यक्ति को मंडली की संगति से निकाल देना चाहिए, परन्तु निश्चित रूप से उसके लिए अब भी प्रार्थना की जा सकती है और उस पर मसीह का प्रेम प्रकट किया जा सकता यीशु में विश्वासियों के रूप में,
आइए हम उस ज्ञान और साहस के लिए प्रार्थना करें जिसकी हमें आवश्यकता है, अपश्चातापी पाप के खतरों के बारे में एक दूसरे को प्यार से चेतावनी देने के लिए और हमारे स्वर्गीय पिता और अन्य विश्वासियों के लिए पुनःस्थापन की खुशियों के बारे में बताने के लिए। जब हम ऐसा करेंगेतो यीशु “वहाँ ... [हमारे] साथ” होगा (पद 20)।
प्यार की खातिर
लंबी दौड़ दौड़ना शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को आगे बढ़ाने के बारे में है। एक हाई स्कूल धावक के लिए, हालांकि, एक क्रॉस-कंट्री दौड़ में प्रतिस्पर्धा करना किसी और को आगे बढ़ाने के बारे में है। हर अभ्यास और मुलाकात में, चौदह वर्षीय सुसान बर्गमैन अपने व्हीलचेयर में बड़े भाई जेफरी को धक्का देती है। जब जेफरी बाईस महीने का था, तो वह कार्डियक अरेस्ट में चला गया - जिससे उसे गंभीर मस्तिष्क क्षति और सेरेब्रल पाल्सी हो गई। आज, सुसान व्यक्तिगत चल रहे लक्ष्यों का त्याग करती है ताकि जेफरी उसके साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। क्या प्यार और बलिदान!
प्रेरित पौलुस के मन में प्रेम और बलिदान था जब उसने अपने पाठकों को "एक दूसरे के प्रति समर्पित" रहने के लिए प्रोत्साहित किया (रोमियों 12:10)। वह जानता था कि रोम में विश्वासी ईर्ष्या, क्रोध और तीखी असहमति (पद 18) से संघर्ष कर रहे थे। इसलिए, उसने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे दिव्य प्रेम को अपने दिलों पर राज करने दें। इस प्रकार का प्रेम, जो ख्रीस्त के प्रेम में निहित है, दूसरों की यथासंभव भलाई के लिए संघर्ष करेगा। यह निष्कपट होगा, और यह उदार साझेदारी की ओर ले जाएगा (पद. 13)। जो इस प्रकार से प्रेम रखते हैं, वे दूसरों को अपने से अधिक आदर के योग्य समझने के लिए उत्सुक रहते हैं (पद 16)।
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम दूसरों को भी दौड़ पूरी करने में मदद करते हुए प्रेम की दौड़ में भाग ले रहे हैं। यद्यपि यह कठिन हो सकता है, यह यीशु के लिए आदर लाता है। इसलिए, प्रेम के लिए, आइए हम दूसरों से प्रेम करने और उनकी सेवा करने के लिए हमें सशक्त बनाने के लिए उन पर भरोसा करें।
एक छोटे से टुकड़े से ज्यादा
जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं तो हम सभी अपने आप का कुछ थोड़ा पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन विलास लास एस्ट्रेलस, अंटार्कटिका, एक ठंडी और उजाड़ जगह का एक दीर्घकालिक निवासी बनने के लिए, अपने आप को पीछे छोड़ना एक शाब्दिक बात है। निकटतम अस्पताल ही 625 मील दूर है, यदि उनका किसी व्यक्ति का अपेंडिक्स फट जाए तो गंभीर संकट में पड़ जाएगा। इसलिए प्रत्येक नागरिक को वहां जाने से पहले एपेन्डेक्टॉमी से गुजरना होता है।
कठिन, है ना? लेकिन यह परमेश्वर के राज्य का निवासी बनने जितना कठिन नहीं है। क्योंकि लोग यीशु का अनुसरण अपनी शर्तों पर करना चाहते हैं न कि उसकी (मत्ती 16:25-27), वह इसे पुनः परिभाषित करता है कि चेला होने का क्या अर्थ है। उसने कहा, "जो कोई मेरा चेला बनना चाहे वह अपने आप से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले" (पद. 24)। इसमें हमारा हर उस चीज़ को छोड़ना शामिल है जो उसके और उसके राज्य के बीच में आए। और जैसे ही हम अपना क्रूस उठाते हैं, हम मसीह की भक्ति के लिए सामाजिक और राजनीतिक उत्पीड़न और यहाँ तक कि मृत्यु को सहने की इच्छा की घोषणा करते हैं। जाने देने और क्रूस उठाने के साथ-साथ, हमें वास्तव में उसका अनुसरण करने की इच्छा भी रखनी है। ये पल दाई पल उसकी अगुवाई में चलने का ढंग है जैसे-जैसे वह अपनी सेवा और बलिदान में हमारा मार्गदर्शन करता है।
यीशु के पीछे चलने का अर्थ हमारे जीवन के एक छोटे से हिस्से को पीछे छोड़ने से कहीं अधिक है। जैसे -जैसे वह हमारी मदद करता है, तो यह हमारे पूरे जीवन को उसके आधीन और उसे समर्पित करने की बात है - हमारे शरीर सहित - केवल उसी को।
हमारे सभी लेन-देन में
1524 में, मार्टिन लूथर ने देखा: “आपस में व्यापारियों का एक सामान्य नियम होता है जो उनका मुख्य सिद्धांत है... जब तक मेरे पास मेरा लाभ है और मेरे लालच को संतुष्ट करता है, मुझे अपने पड़ोसी की कुछ परवाह नहीं है ।” दो सौ से अधिक वर्षों के बाद, माउंट होली, न्यू जर्सी से जॉन वूलमैन, यीशु के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने दर्जी की दुकान पर उनकी लेन-देन को प्रभावित किया। गुलामों की मुक्ति के समर्थन में, उसने उन कंपनियों से जो बंधुआ मज़दूरी कराती थी कोई भी कपास या रंगने का द्रव्य खरीदने से इनकार कर दिया। स्पष्ट विवेक के साथ, उन्होंने अपने पड़ोसियों से प्रेम किया और अपने सारे लेन-देन में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ जिए।
प्रेरित पौलुस ने “पवित्रता और सच्चाई” से जीने का प्रयास किया (2 कुरिंन्थ्यों 1:12)। जब कुरिन्थ में कुछ लोगों ने यीशु के लिए प्रेरित के रूप में उसके अधिकार को कम करने की कोशिश की, उसने उनके बीच अपने चाल-चलन की रक्षा की। उसने लिखा की उनके शब्द और कार्य को निकटतम जांच का सामना कर सकते है (पद 13)। ) उसने यह भी दिखाया कि वह प्रभावशीलता के लिए परमेश्वर की शक्ति और अनुग्रह पर निर्भर है, खुद पर नहीं (पद 12)। संक्षेप में, पौलुस का मसीह में विश्वास उसके सभी लेन-देन में व्याप्त था..
हम मसीह के राजदूत के रूप में जीते हैं, इसलिए हम इस बात का ध्यान रखे कि हमारे सब लेन-देन में सुसमाचार ज़ोर से सुनाई दे - परिवार, व्यवसाय और बहुत कुछ। जब हम परमेश्वर के सामर्थ्य और अनुग्रह के द्वारा उनके प्रेम को दूसरों को प्रकट करते, हम अपने पड़ोसियों से प्रेम करते और उनका सम्मान भी करते हैं।
केवल पर्याप्त
फिल्म फिडलर ऑन द रूफ में, किरदार तेवी, एक गरीब किसान अपनी तीन बेटियों की शादी करने की कोशिश कर रहा परमेश्वर से अर्थशास्त्र के बारे में ईमानदारी से बात करता है, “आपने बहुत से, बहुत से गरीब लोगों को बनाया है। बेशक, मुझे पता है कि गरीब होना कोई शर्म की बात नहीं है। लेकिन यह कोई बड़ा सम्मान भी नहीं है! तो, अगर मेरे पास थोड़ी सी सम्पति होती, तो क्या होता!... यदि मैं एक धनी व्यक्ति होता— क्या वह किसी विशाल, शाश्वत योजना को खराब कर देती?”
लेखक शोलेम एलेकेम के, तेवी की जीभ पर ये ईमानदार के शब्द डालने से सदियों पहले, नीतिवचन की पुस्तक में आगूर ने परमेश्वर से उसी के समान ईमानदार लेकिन कुछ अलग प्रार्थना की। आगूर ने परमेश्वर से उसे न ही निर्धन और न ही धनी बनाने को कहा-केवल उसकी “प्रतिदिन की रोटी” (नीतिवचन 30:8)। उसे पता था की “बहुत अधिक” उसे घमंडी बना देता और परमेश्वर के चरित्र को नकारते हुए-उसे एक व्यावहारिक नास्तिक बना देता। इसके अलावा, उसने परमेश्वर से “निर्धन” न बनाने को भी कहा क्योंकि वह उसे दूसरों से चोरी करके परमेश्वर के नाम का अपमान करा सकता है (पद 9)। आगूर ने परमेश्वर को अपना एकमात्र प्रदाता माना, और उनसे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कहा। उसकी प्रार्थना ने परमेश्वर की खोज और उस सन्तुष्टि को प्रकट किया जो केवल उसी में पाई जाती है।
हम में आगुर की वृत्ति हो, परमेश्वर को जो कुछ हमारे पास है उसका प्रदाता मानना। और जब हम आर्थिक भण्डारीपन का पीछा करते हैं जो उसके नाम का सम्मान करता है, आइए हम परमेश्वर के सम्मुख संतुष्टि के साथ रहे -वह जो न केवल “पर्याप्त” लेकिन पर्याप्त से अधिक प्रदान करता है।