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परमेश्वर पर निर्भर हों

कुछ दोस्तों के साथ एक वाटर पार्क में, हमने हवा से भरा(inflatable) प्लेटफ़ॉर्म से बने एक तैरते बाधा मार्ग(obstacle course) को पार करने का प्रयास किया। उछाल भरे, फिसलन भरे प्लेटफार्मों ने सीधे चलना लगभग असंभव बना दिया। जब हम ढलानों, चट्टानों और पुलों के पार अपने रास्ते में लड़खड़ा रहे थे, हमने पाया कि हम चिल्ला रहे थे और हम अनजाने में पानी में गिर गए थे। एक कोर्स/मार्ग पूरा करने के बाद, मेरी सहेली, पूरी तरह से थक गई, अपनी सांस लेने के लिए एक "मीनार/टावर" पर टिक गई। लगभग तुरंत, यह उसके वजन के नीचे दब गया, जिससे वह पानी में उछलकर गिर पड़ी।

 

वाटर पार्क के कमजोर मीनारों/टावरों के विपरीत, बाइबल के समय में, एक मीनार रक्षा और सुरक्षा के लिए एक गढ़ था। न्यायियों 9:50-51 वर्णन करता है कि कैसे तेबेस के लोग अपने शहर पर अबीमेलेक के हमले से बचने के लिए "एक दृढ़ गुम्मट" में भाग गए। नीतिवचन 18:10 में, लेखक ने परमेश्वर कौन है का वर्णन करने के लिए एक मजबूत मीनार की छवि का उपयोग किया—वह जो उन को बचाता है जो उस पर भरोसा रखते हैं।

 

हालाँकि, कभी-कभी, जब हम थक जाते हैं या हार जाते हैं तो परमेश्वर की मजबूत मीनार पर झुकने की बजाय, हम सुरक्षा और समर्थन के लिए अन्य चीज़ें तलाशते हैं—करियर/जीविका, रिश्ते, या भौतिक सुख-सुविधाएँ। हम उस अमीर व्यक्ति से भिन्न नहीं जो अपने धन में ताकत तलाशता था (पद.11)। लेकिन जिस तरह हवा से भरा टावर/मीनार मेरी सहेली की मदद नहीं कर सका, उसी तरह ये चीजें हमें वह नहीं दे सकता जिसकी हमें वास्तव में आवश्यकता है। परमेश्वर—जो सर्वशक्तिमान और सारे परिस्थितियों पर नियंत्रण रखता है—वास्तविक आराम और सुरक्षा प्रदान करता है।

परमेश्वर के लिए अनमोल

एक लड़के के रूप में, जीवन को अपने पिता कठोर और दूरदर्शी लगे। यहां तक कि जब जीवन बीमार था और उसे बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना पड़ा, तब भी उसके पिता ने शिकायत की कि यह परेशानी भरा है। एक बार, उसने झगड़े में सुना कि उसका पिता उसका गर्भपात कराना चाहते थे। एक अनचाहे बच्चे होने की भावना उसके बड़ा होने तक उसका पीछा करती रही। जब जीवन यीशु में विश्वास करने लगा, तो उसे परमेश्वर से पिता के रूप में जुड़ना मुश्किल हो गया, भले ही वह उसे अपने जीवन के प्रभु के रूप में जानता था।

यदि, जीवन की तरह, हमें अपने सांसारिक पिताओं से प्यार महसूस नहीं हुआ है, तो हमें परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते में इसी तरह के संदेह का सामना करना पड़ सकता है। हम सोच सकते है, की क्या मैं एक बोझ हूँ? क्या उसे मेरी परवाह है? परन्तु जब हमारे सांसारिक पिता चुप और दूर रहे होंगे, हमारा स्वर्गीय पिता परमेश्वर निकट आता है और कहता है, " मैं तुझ से प्रेम रखता हूँ" (यशायाह 43:4)।

यशायाह 43 में, परमेश्वर हमारा सृष्टिकर्ता और पिता के रूप में बोलते हैं। यदि सोचते हैं कि क्या वह चाहता है कि आप उसके परिवार के हिस्से के रूप में उसकी देखरेख में रहें, तो सुनें कि उसने अपने लोगों से क्या कहा: "मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी के छोर से ले आओ" (पद 6)। यदि आप सोचते हैं कि आप उसके लिए क्या मूल्य रखते हैं, तो उसकी पुष्टि सुनें: "मेरी दृष्‍टि में तू अनमोल और प्रतिष्‍ठित ठहरा है।" (पद 4)

परमेश्वर हमसे इतना प्यार करता है कि उसने पाप का दंड चुकाने के लिए यीशु को भेजा ताकि हम जो उस पर विश्वास करें, हमेशा उसके साथ रह सकें (यूहन्ना 3:16)। वह जो कहता है और उसने हमारे लिए जो किया है, उसके कारण हम पूरा विश्वास रख सकते हैं कि वह हमें चाहता है और हमसे प्यार करता है।

लापरवाह निर्णय

एक नवयुवक लड़का कॉलेज फुटबॉल मैच के बाद अपने दोस्तों का पीछा करते हुए घर पहुंचने की कोशिश में बहुत तेजी से गाड़ी चला रहा था। बहुत तेज़ बारिश हो रही थी, और उसे अपने दोस्त की बाइक चलाने में मुश्किल हो रही थी। अचानक, उसने एक यातायात संकेत देखा रोकने की कोशिश में, वह ब्रेक पर मारा, सड़क से फिसल गया और एक बड़े पेड़ से टकरा गया। उसका मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त हो गया। बाद में वह एक स्थानीय अस्पताल के कोमाटोज़ वार्ड में उठा। हालाँकि, परमेश्वर के अनुग्रह से वह बच गया, उसके लापरवाह तरीके बहुत महंगे साबित हुए।

मूसा ने भी एक लापरवाह निर्णय लिया था जिसकी कीमत उसे बहुत चुकानी पड़ी। हलांकि, उसके खराब विकल्प में पानी की कमी शामिल थी—इसमें से अधिक नहीं (जैसा की मेरे मामले में)। इस्राएली ज़िन रेगिस्तान में, बिना पानी के थे और “वहाँ मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; इसलिये वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए। ” (गिनती 20:2)। परमेश्वर ने उस परिश्रांत नेता को चट्टान से बात करने के लिए कहा और वह “वह अपना जल देगी”(8)। बल्कि, उसने “चट्टान पर दो बार मारी;”(11)। परमेश्वर ने कहा, “तुम ने जो मुझ पर विश्‍वास नहीं किया, .... उस देश में पहुँचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।” (12)।

जब हम लापरवाह निर्णय लेते हैं, तो हम परिणाम भुगतते हैं। “मनुष्य का ज्ञानरहित रहना अच्छा नहीं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है।”(नीतिवचन 19:2)। आज हम जो चुनाव और निर्णय लेते हैं, उसमें हम प्रार्थनापूर्वक, सावधानी से परमेश्वर के बुद्धि और अगुआई खोजे

फैक्टरी डिफ़ॉल्ट

हाल ही में मेरा कम्प्युटर क्रैश कर गया, और मैंने उसे खुद जोड़ने का प्रयास किया। मैंने कुछ ‘अपने आप करो’ वाले विडिओ देखा और जब वे प्रयास विफल हुए, मैं मदद के लिए कुछ मित्रों के पास गया। उनके प्रयास भी व्यर्थ साबित हुए। इसलिये अब अपने कम्प्यूटर को सबसे नजदीक सेवा केंद्र ले जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं  था मेरे पास। शुक्र है, की वह अभी भी वारंटी में था।

समस्या का निदान करते हुए तकनीशियन ने निष्कर्ष निकला “हार्ड ड्राइव को बदलने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा, हालाँकि यह सिस्टम को उसके फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित करेगा”। इसका मतलब यह होगा कि मैं अपना बहुत सारा डेटा खो दूंगा, लेकिन कंप्यूटर उस दिन की तरह काम करेगा, जिस दिन मैंने इसे खरीदा था। बाहर से भले ही टूटी-फूटी दिखाई देगी, लेकिन अंदर की स्थिति पुनर्स्थापित हो गई थी।

परमेश्वर का क्षमा भी उसी के सामान्य है। हम पाप करते है और अपने रास्ते में जाते है। लेकिन जब हम अपने अक्षमता और अपर्याप्तता स्वीकार करते है वह हमारे ‘फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित कर सकता है।' वह हमें एक नया हृदय के साथ एक नई शुरुआत देता है, एक दूसरा मौका। हमारा शरीर बुढा हो सकता है और टूटे-फूटे चिन्ह दिखा सकता है, लेकिन हमारा हृदय फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित किया जायेगा---जिस तरह से हम बनाए गये थे। जैसे उसने वादा किया था “मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को मांस का हृदय दूँगा।”(यहेजकेल 36:26)

अभिमान और धोखा

प्रेमी परमेश्वर, आपके विनम्र सुधार के लिए धन्यवाद। अपने झुके कंधो के साथ, मैंने उन कठिन शब्दों को बड़बड़ाया। मैं बहुत अहंकारी रहा हूँ, यह सोचकर कि मैं सब अपने आप कर सकता हूँ। महीनों से, मैं सफल कार्य परियोजनाओं का आनंद ले रहा था, और प्रशंसाओं ने मुझे अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने और परमेश्वर की अगुवाई को अस्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। पर एक चुनौतीपूर्ण परियोजना ने मुझे एहसास दिलाया कि मैं उतना बुद्धिमान नहीं हूँ जितना मैं सोचता हूँ। मेरे घमंडी हृदय ने मुझे यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया था कि मुझे परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता नहीं है।

एदोम के शक्तिशाली राज्य ने अपने घमंड के कारण परमेश्वर से अनुशासन प्राप्त किया। एदोम पहाड़ी इलाकों के बीच स्थित था, जिससे वह दुश्मनों द्वारा आक्रमण करने के लिए मुश्किल प्रतीत होता था (ओबद्याह 1:3)। एदोम एक समृद्ध राष्ट्र भी था, जो सामरिक व्यापरिक मार्गों के केंद्र में स्थित था और तांबे में समृद्ध था, जो प्राचीन समय में एक अत्यधिक मूल्यवान वस्तु थी। वह अच्छी चीजों से भरा हुआ था किन्तु घमंड से भी। परमेश्वर के लोगों पर अत्याचार करने के बावजूद इसके नागरिकों का मानना था कि उनका राज्य अजेय है (पद 10-14)। परन्तु परमेश्वर ने ओबद्याह भविष्यद्वक्ता का उपयोग उन्हें अपने न्याय के बारे में बताने के लिए किया। राष्ट्र एदोम के खिलाफ उठ खड़े होंगे, और एक राज्य जो पहले शक्तिशाली था रक्षाहीन और तुच्छ होगा (पद 1-2)।

घमंड हमें यह धोखा देता है कि हम सोचें कि हम परमेश्वर के बिना अपना जीवन अपने तरीके से जी सकते हैं। यह हमें अधिकार, सुधार और कमजोरी के प्रति अभेद्य महसूस कराता है। परन्तु परमेश्वर हमें अपने आप को उसके सामने दीन करने के लिए बुलाता है (1 पतरस 5:6)। जब हम अपने अभिमान से मुड़ते हैं और पश्चाताप चुनते हैं, तो परमेश्वर हमें उस पर पूर्ण विश्वास की ओर ले जाता है।

वह जानता है

यमुना नर्स के रूप में मुम्बई में एक नौकरी शुरू करने वाली थी। वह अपने परिवार के लिए गाँव से ज्यादा कमा  सकती थी, जहाँ नौकरी के अवसर सीमित थे। उसने जाने से पहले रात को अपनी बहन को निर्देश दिया जो उसकी 5 साल की बेटी का ध्यान रखती। “यदि तुम उसे एक चम्मच चीनी  दो, तो वह अपनी दवाइयां पी लेगी” यमुना ने समझाया और, याद रखो वह शर्मीली है। वह अपने चचेरे भाई–बहनों के साथ अंततः खेलेगी। और वह अँधेरे से डरती है।

अगले दिन ट्रेन की खिड़की से बाहर देखते हुए यमुना ने प्रार्थना की प्रभु मेरी बेटी को मेरे जैसे कोई नहीं जानता। मैं उसके साथ नहीं रह सकती, पर आप रह सकते हैं।

जिनसे हम प्रेम करते हैं हम  उन्हें जानते हैं, और हम उनकी सारी बातों पर पर ध्यान देते हैं क्योंकि वह हमारे लिए अनमोल है। जब हम विभिन्न परिस्थितियों के कारण उनके साथ नहीं रह सकते, तो हम अक्सर चिंतित रहते हैं क्योंकि जितना हम उन्हें जानते है उतना कोई नहीं जानता, वे नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

भजन 139 में दाऊद हमें याद दिलाता है  कि परमेश्वर हमें किसी और से ज्यादा जानता है। उसी तरह वह हमारे प्रियजनों को घनिष्टता से जानता है (पद1–4)।वह उनका सृष्टिकर्ता है (पद13–15) इसलिए वह उनकी जरूरतों को समझता है। वह जानता है कि प्रतिदिन उनकी जिंदगियों में क्या होगा।(पद16) और वह उनके साथ है और उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा (5: 7–10)

जब आप दूसरों के लिए चिंतित है, तो उन्हें परमेश्वर को सौंपे क्योंकि वह उन्हें सबसे अच्छे से जानता और सबसे ज्यादा प्यार करता।

जल से बढ़कर

चर्च की मेरी शुरूआती बचपन की यादें एक पास्टर का गलियारे में चलकर, हमें चुनौती देने की है, “अपने बप्तिस्मा के जल को याद करें l” “जल को याद करें?” मैंने खुद से पूछा l आप जल को किस तरह याद कर सकते हैं? वह आगे बढ़कर सभी लोगों पर जल छिड़कने लगे, जिससे एक किशोर होने के कारण मैं हर्षित किया और भ्रमित भी l

हम बप्तिस्मा के विषय विचार क्यों करें? जब एक व्यक्ति बप्तिस्मा लेता है, इसमें जल से बढ़कर और बहुत कुछ है l बप्तिस्मा संकेत है कि किस प्रकार यीशु में विश्वास के द्वारा, हम उसे “पहन लेते हैं” (गलातियों 3:27) l या दूसरे शब्दों में, यह उत्सव मानना है कि हम उसके हैं और वह हमारे साथ और हमारे अन्दर जीवित है l

मानो यदि वह पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, यह परिच्छेद हमें बताता है कि यदि हमने मसीह को पहन लिया है हमारी पहचान उसी में पाई जाती है l हम परमेश्वर की संतान हैं (पद.26) l वैसे तो, परमेश्वर के साथ हमारा मेल विश्वास के द्वारा हुआ है – पुराना नियम की व्यवस्था के पालन से नहीं (पद.23-25) l हम लिंग, संस्कृति और स्थिति द्वारा एक दूसरे के खिलाफ विभाजित नहीं हैं। हम स्वतंत्र हैं और मसीह के द्वारा एकता में लाये गए हैं और अब उसके हैं (पद.29) l

इसलिए बप्तिस्मा और उसके हर एक प्रतीक को याद करने के बहुत अच्छे कारण हैं l हम केवल उस कार्य पर ध्यान नहीं देते हैं परन्तु यह कि हम यीशु के हैं और परमेश्वर की संतान बन गए हैं l हमारी पहचान, भविष्य, और आत्मिक स्वतंत्रता उसी में पायी जाती है l

दृष्टिकोण में अंतर

पिछले 30 वर्षों के अंतराल में मेरे गृह-शहर ने इस वर्ष सबसे अधिक सर्दी के मौसम का अनुभव किया था l घंटों बर्फ को बेलचे से साफ़ करते हुए मेरी बाँहें दर्द करने लगीं l अपने प्रयास को व्यर्थ समझकर जब मैं थकी हुई घर के अन्दर आयी, जलती हुई आग की गर्मी मुझे मिली जिसके चारों-ओर मेरे बच्चे थे l घर के अन्दर से खिड़की से देखने पर मौसम के प्रति मेरा दृष्टिकोण बिलकुल बदला हुआ था l यह न देखकर कि मेरे पास बहुत काम है, मैंने पेड़ों पर जमीं बर्फ की खूबसूरती देखी और किस तरह पूरा परिदृश्य बर्फ से ढका हुआ था l

भजन 73 में आसाप के शब्दों को पढ़ते हुए, मैं उसके समान, बल्कि और अधिक मार्मिक अंतर देखती हूँ l प्रारम्भ में, वह संसार के कार्य करने के तरीके पर दुखित हुआ, अर्थात् किस तरह बुरे लोगों का कुशल होता है l वह भीड़ से अलग जीवन जीने के महत्त्व पर एवं दूसरों की भलाई के लिए जीवन पर शक करता है (पद.13) l किन्तु जब वह परमेश्वर के पवित्रस्थान में प्रवेश करता है, उसका दृष्टिकोण बदल जाता है (पद.16-17) : वह स्मरण करता है कि परमेश्वर संसार के साथ और उसकी समस्याओं के साथ न्याय करेगा, और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, कि परमेश्वर के साथ रहना भला है (पद.28) l

जब हम अपने संसार के अनवरत समस्याओं से प्रभावित होते हैं, हम प्रार्थना में परमेश्वर के पवित्रस्थान में प्रवेश करके जीवन-परिवर्तन करनेवाली, दृष्टिकोण- बदलनेवाली सच्चाई की गर्माहट प्राप्त कर सकते हैं अर्थात् उसका निर्णय हमारे निर्णय से उत्तम है l भले ही हमारी परिस्थितियां न बदलें, हमारी दृष्टिकोण बदल सकती है l