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Articles by मोनिका ब्रांड्स

महान बुद्धि और एक हजार आंखें

चर्च के प्रिय पिता जॉन क्रिसोस्तम ने लिखा, कि हर कोण से आत्मा की स्थिति की जांच करने के लिए "चरवाहे को महान ज्ञान और एक हजार आंखों की आवश्यकता होती है" । क्रिसोस्तम ने इन शब्दों को आध्यात्मिक रूप से दूसरों की अच्छी देखभाल करने की जटिलता पर चर्चा के भाग के रूप में लिखा था। चूंकि किसी को ठीक करने के लिए मजबूर करना असंभव है, उन्होंने जोर दिया, दूसरों के दिलों तक पहुंचने के लिए बहुत सहानुभूति और करुणा की आवश्यकता होती है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कभी दर्द न देना, क्रिसोस्तम ने चेतावनी दी, क्योंकि "यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बहुत नरम व्यवहार करते हैं, जिसे गहन सर्जरी की आवश्यकता होती है, और जहाँ इसकी आवश्यकता होती है, उसमें गहरा चीरा नहीं लगाते हैं, तो आप काटते तो हैं लेकिन कैंसर को छोड़ देते हैं l लेकिन यदि आप दया के बिना आवश्यक चीरा लगाते हैं, तो रोगी अक्सर अपने कष्टों पर निराशा में, सब कुछ एक तरफ फेंक देता है। . . . और फौरन अपने आप को एक चट्टान पर फेंक देता है।”

एक समान जटिलता है कि कैसे यहूदा झूठे शिक्षकों द्वारा भटके हुए लोगों के प्रति प्रतिक्रिया का वर्णन करता है, जिनके व्यवहार का वह स्पष्ट रूप से वर्णन करता है (1:12–13, 18–19)। फिर भी जब यहूदा इस तरह की गंभीर धमकियों का जवाब देने की ओर मुड़ता है, तो वह कठोर क्रोध के साथ प्रतिक्रिया करने का सुझाव नहीं देता है।

इसके बजाय, उसने सिखाया कि विश्वासियों को स्वयं को परमेश्वर के प्रेम में और भी अधिक गहराई से स्थापित करने के द्वारा खतरों का जवाब देना चाहिए (पद 20-21)। क्योंकि केवल तभी जब हम परमेश्वर के अपरिवर्तनीय प्रेम में गहराई से बंधे होते हैं, तभी हम उचित तात्कालिकता, नम्रता और करुणा के साथ दूसरों की मदद करने के लिए ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं (पद 22-23)──जिस तरह से उन्हें उपचार और आराम खोजने में मदद करने की सबसे अधिक संभावना है ईश्वर का असीम प्रेम।

लैब्राडोर स्वर्गदूत

2019 में, कैप डैशवुड और उसका प्यारा काला लेब्राडोर प्राजाति का कुत्ता, शैला कुछ उल्लेखनीय काम किये : लगातार 365 दिनों तक हर दिन एक पर्वत शिखर पर पहुंचना । 

उसके पास बताने के लिए एक मार्मिक कहानी है । उसने सोलह साल की उम्र में घर छोड़ा, बस समझाते हुए, “बुरा पारिवारिक जीवन ।” लेकिन ये पिछले घाव उसे कहीं और चंगाई पाने के लिए ले गए । जानते हैं? इस खोजी के लिए, पर्वतारोहण और उसके काले लेब्राडोर का साथ उसकी “विशिष्ठ वस्तु” का एक बड़ा हिस्सा रहे हैं ।

हममें से उनके लिए, जैसे कि मैं, जो अपने पशु साथियों से बहुत प्यार करते हैं, हम जो करते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा सुखद, पूरी तरह से शर्तहीन प्यार है, जो वे प्रगट करते हैं──एक प्रकार का प्यार जो दुर्लभ है । लेकिन मैं विचार करना चाहती हूँ कि वे जिस प्यार को सहजता से देते हैं, वह दूसरों की असफलताओं  की तुलना में बहुत अधिक और गहरी वास्तविकता को इंगित करता है──ईश्वर की अटल, सृष्टि को थामे रखने वाला असीम प्यार । 

भजन 143 में, जैसा कि उसकी कई प्रार्थनाओं में है, उस अपरिवर्तनीय, “अमोघ प्रेम” (पद.12) में केवल दाऊद का विश्वास है जो उसे उस समय में आशा करने के लिए प्रेरित करता है जब वह पूरी तरह अकेला महसूस करता है । लेकिन ईश्वर के साथ चलने का एक जीवनकाल उसे विश्वास करने के लिए पर्याप्त ताकत देता है कि सुबह “[आपकी] करुणा के वचन मुझे [सुनाएगा]” (पद.8) । 

पुनः भरोसा करने के लिए बस पर्याप्त आशा और अज्ञात मार्गों पर परमेश्वर को अगुवाई करने दें (पद.8) । 

बात करें, भरोसा करें, अनुभव करें

फ्रेडरिक ब्युवचर ने अपने शक्तिशाली संस्मरण टेलिंग सीक्रेट्स(Telling Secrets) में कहा, “बात न करें, भरोसा न करें, अनुभव न करें ही वह नियम था जिसके अनुसार हम जीते थे, और उस पर श्राप जिसने उसे तोड़ा l” ब्युवचर अपने अनुभव का वर्णन कर रहे हैं जिसे वह कहते हैं,  “परिवारों का अलिखित नियम जो किसी न किसी कारण से अब सार्थक नहीं है l” उसके अपने परिवार में, उस “नियम” का मतलब था कि ब्युवचर को अपने पिता की आत्महत्या के विषय बात करना या उस पर शोक करने की अनुमति नहीं थी, जिससे वह अपने दुःख के साथ किसी पर भरोसा नहीं कर सकता था l 

क्या आप हमदर्दी प्रगट कर सकते हैं? हममें से कई लोग किसी न किसी तरीके से प्रेम के विकृत संस्करण के साथ जीना सीख लिए हैं, एक जो हमें नुक्सान पहुँचाया है के बारे में बेईमानी या चुप्पी की मांग करता है l इस तरह का “प्रेम’ नियंत्रण के लिए डर पर निर्भर होता  है──और एक तरह की गुलामी है l 

जिस तरह के सशर्त प्रेम का हम अक्सर अनुभव करते हैं, उससे अलग यीशु के प्यार के निमंत्रण को हम भूल नहीं सकते──एक तरह का प्यार जिससे हम हमेशा डरते हैं कि हम खो सकते हैं l जैसे कि पौलुस बताता है, मसीह के प्रेम के माध्यम से हम आखिरकार समझ सकते हैं कि डर में नहीं रहने का क्या मतलब है (रोमियों 8:15) और श्रेष्ठ स्वतंत्रता की तरह समझना शुरू कर देते हैं (पद.21) जो संभव है जब हम जानते हैं कि हम गहराई से, सही मायने में बिना शर्त प्यार किये जाते हैं l हम बात करने के लिए, भरोसा करने के लिए, और फिर महसूस करने के लिए स्वतंत्र हैं──यह जानने के लिए कि बेख़ौफ़ जीने का क्या मतलब है l 

होटल कोरोना

यरूशलेम में 2020 में द डैन होटल(The Dan Hotel) एक भिन्न नाम──”होटल कोरोना” नाम से जाना जाने लगा l सरकार ने इस होटल को कोविड-19 से स्वस्थ होने वाले मरीजों के लिए समर्पित कर दिया, और वह होटल एक कठिन समय में आनंद और एकता का असाधारण स्थान बन गया l इसलिए कि वहां के आवासियों में वायरस मौजूद था, वे मिलकर गीत गाने, नाचने और हंसने के लिए स्वतंत्र थे l और उन्होंने ऐसा किया! एक देश जहाँ विभिन्न राजनैतिक और धार्मिक समूहों में तनाव ऊँचाई पर रहता है, साझा संकट ने ऐसा स्थान बनाया जहाँ लोग पहले एक दूसरे को मानव के रूप में देखना सीख सकते थे──और मित्र भी बन सकते थे l 

हमारे लिए उनकी ओर आकर्षित होना, जिन्हें हम अपने समान पाते हैं स्वाभाविक है, और सामान्य भी, लोग जिन्हें हम महसूस करते हैं कि वे हमारे समान अनुभव और मूल्यों का एहसास करते हैं l लेकिन जैसे कि प्रेरित पौलुस ने अक्सर बल दिया है, सुसमाचार मानवों के बीच किसी भी बाधा के लिए जिसे हम “सामान्य” के रूप में देखते हैं चुनौती है (2 कुरिन्थियों 5:15) l सुसमाचार की आँखों से, हम अपनी भिन्नताओं से परे एक बड़ी तस्वीर देखते हैं──साझा किया हुआ टूटापन और साझा की हुई  इच्छा और परमेश्वर के प्रेम में चंगाई को अनुभव करने की आवश्यकता l 

यदि हम विश्वास करते हैं कि “एक सब के लिए मरा,” तो हम दूसरों के विषय में सतह-स्तर की धारणाओं से भी संतुष्ट नहीं हो सकते l इसके बजाए, जिन्हें परमेश्वर हमारी कल्पना से अधिक प्रेम करता है──उनके साथ उसके प्रेम और मिशन/उद्देश्य को साझा करने के लिए हम सब को, “मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है” (पद.14) l 

भयमुक्त प्रेम

कुछ चित्र इतने शक्तिशाली होते हैं कि उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता l यह मेरा अनुभव था जब मैंने वेल्स की दिवंगत राजकुमारी डायना की एक प्रसिद्द तस्वीर देखी l पहली नजर में, देखा  गया दृश्य नीरस लगता है : गर्मजोशी से मुस्कुराते हुए, राजकुमारी एक अज्ञात आदमी से हाथ मिला रही है l लेकिन यह तस्वीर की कहानी है जो इसे उल्लेखनीय बनाती है l 

19 अप्रैल, 1987 को, जब राजकुमारी डायना ने लन्दन मिडिलसेक्स अस्पताल का दौरा किया, यूनाइटेड किंगडम दहशत की लहर में घिरा हुआ था क्योंकि वह एड्स माहामारी का सामना कर रहा था l नहीं जानते हुए कि बिमारी──जो अक्सर भयावह गति से मार रही थी──कैसे फैलती थी, जनता ने कई बार एड्स पीड़ितों को सामाजिक रूप से अछूत की तरह माना l 

इसलिए यह एक आश्चर्यजनक क्षण था जब डायना, दास्तानों के बिना हाथों और स्वाभाविक मुस्कान के साथ, उस दिन एड्स रोगी के हाथ को धीरता से हिला रही थी l सम्मान और दयालुता की छवि दुनिया को बीमारी से ग्रस्त लोगों के साथ समान दया और करुणा के साथ व्यवहार करने के लिए प्रेरित करेगी l 

तस्वीर मुझे कुछ याद दिलाती है जिसे मैं अक्सर भूल जाता हूँ : स्वतंत्र रूप से और उदारता से दूसरों के लिए यीशु के प्यार की पेशकश करना इसके लायक है l यूहन्ना ने मसीह के आरंभिक विश्वासियों को याद दिलाया कि प्रेम को अपने भय के सामने मुरझाने या छिपने देना वास्तव में “मृत्यु की दशा में” रहना है (1 यूहन्ना 3:14) l और प्रेम जो स्वतंत्र और अभय है और पवित्र  आत्मा के स्व-बलिदानी प्रेम से सशक्त है, अपनी सम्पूर्णता में जीवन के पुनरुत्थान का अनुभव करना है (पद.14, 16) l 

परमेश्वर के पुनर्स्थापित मार्ग

अंग्रेजी संगीत में सबसे अधिक हृदय स्पर्शी गानों में से एक द ग्रेटेस्ट शोमैन (TheGreatestShowman) तब गया जाता है जब मुख्य चरित्र को पीड़ादायक आत्मबोध होता है कि उसके पास घायल परिवार और मित्र हैं, यह गाना घर वापसी का जश्न मनाता है और यह जानना कि जो हमारे पास पहले से है वह पर्याप्त से अधिक है l

होशे की किताब एक समान स्वर के साथ अंत करता है——उस पुनर्स्थापन के प्रति सरगर्म ख़ुशी और आभार, जो परमेश्वर उनके लिए सम्भव बनाता है जो उसके पास लौटते हैं l किताब के अधिकतर भाग, परमेश्वर और उसके लोगों के बीच सम्बन्ध की तुलना एक बेवफा जीवनसाथी के साथ करता है, इस्राएल का उससे प्रेम करने और उसके लिए जीने में विफल होने पर दुखित होता है l

लेकिन अध्याय 14 में, होशे प्रभु के असीम प्रेम, अनुग्रह और पुनर्स्थापन की प्रतिज्ञाओं की प्रशंसा करता है——जो उनके लिए आसानी से उपलब्ध थीजो उसे त्याग देने के बावजूद टूटे दिल से उसके पास लौटते हैं (पद.1–3) l “मैं उनके भटक जाने की आदत को दूर करूंगा, “परमेश्वर वायदा करता है, “मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा” (पद.4) l और जो मरम्मत के परे टूटा हुआ लग रहा था वह एक बार फिर पूर्णता और प्रचुरता पाएगा, जब ओस के समान परमेश्वर का अनुग्रह, उसके लोगों को “सोसन के समान [फूलने-फलने]” और “अनाज के समान [बढ़ने]” का कारण होगा (पद.5-7) l

जब हमने दूसरों को चोट पहुँचाया है या अपने जीवन में परमेश्वर की भलाइयों का महत्व नहीं समझा है, तो यह मान लेना आसान हो जाता है कि जो अच्छे उपहार हमें मिले हैं हमने उन्हें हमेशा के लिए बिगाड़ दिया है l लेकिन जब हम नम्रता से उसकी ओर मुड़ते हैं, हम पाते हैं कि उसका प्रेम गले लगाने और पुनर्स्थापित करने के लिए हमेशा पहुंचता है l

परमेश्वर की सुरक्षा

सुइयाँ, दूध, मशरूम, लिफ्ट, जन्म, मधुमक्खियाँ, ब्लेंडर में मधुमक्खियाँ──ये टीवी कार्यक्रम मंक(Monk) के गुप्तचर और शीर्ष चरित्र श्री एड्रिअन मंक(Adrian Monk) के लिए जिम्मेदार कई आशंकाओं(phobia) का एक अंश है l लेकिन जब वह और उसका लम्बे समय का प्रतिद्वन्दी हेरल्ड क्रेनशॉ अपने आप को एक कार की डिक्की(trunk) में बंद पाते हैं, मंक को एक सफलता मिलती है जिसके कारण वह अपनी सूची से कम से कम एक भय── क्लॉस्ट्रोफोबिया(अधीरता विकार)──निकाल पाता है l 

यह तब होता है जब मंक और हेरेल्ड दोनों ही घबरा रहे होते हैं कि एपिफेनी(दिव्य प्रकाशन) का समय आ जाता है, जिससे मंक के क्रोध में बाधा आती है l “शायद हम इसे गलत तरीके से देख रहे है,” वह हेरेल्ड से कहता है । “ये डिग्गियां(बॉक्स), ये दीवारें . . . यह हम पर हमला नहीं कर रही हैं, यह हमारी रक्षा कर रही हैं, सच में । ये खराब चीजों को बाहर रख रहें हैं . . . कीटाणु, और सांप, और माउथ ऑर्गन ।” आँखें चौड़ी करते हुए, हेरेल्ड देखता है कि उसका मतलब क्या है और आश्चर्य में फुसफुसाता है, “यह डिक्की/बॉक्स हमारा मित्र है l”

भजन 63 में, दाऊद को लगभग वैसा ही दिव्य प्रकाशन होता है । “सुखी और निर्जल भूमि पर,” होने के बावजूद जब दाऊद परमेश्वर की सामर्थ्य, महिमा और करुणा को स्मरण करता है (पद.1-3), यह ऐसा है मानो रेगिस्तान परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा की जगह में बदल जाता है । माँ के पंखों के आश्रय में एक चिड़िया के बच्चे के छिपे हुए होने की तरह, दाऊद ने पाया कि जब वह परमेश्वर से लिपट जाता है, यहाँ तक कि उस बंजर जगह में भी, उसका “जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त” हो सकता है (पद.5), उस प्रेम में पोषण और सामर्थ्य पाता है जो “जीवन से भी उत्तम है” (पद.3) l 

सही शब्द

पिछले एक साल में,  कई लेखकों ने विश्वासियों से आग्रह किया है कि वे हमारे विश्वास की “शब्दावली” पर नए सिरे से विचार करें l जैसे, एक लेखक ने,  इस बात पर जोर दिया कि विश्वास के धर्मवैज्ञानिक समृद्ध शब्द भी अपना प्रभाव खो सकते हैं,  जब, अति सुपरिचय और अति उपयोग के कारण,  हम सुसमाचार की गहराई और ईश्वर की आवश्यकता के साथ स्पर्श खो देते हैं l जब ऐसा होता है,  तो उसने सुझाव दिया,  हमें विश्वास की भाषा “आरम्भ से” पुनः सीखने की आवश्यकता है, अपनी मान्यताओं को त्यागकर जब तक कि हम सुसमाचार को पहली बार न देख सकें l

“आरंभ से परमेश्वर की बातें बोलना” सीखने का निमंत्रण मुझे पौलुस की याद दिलाता है,  जिसने “सभी मनुष्यों के लिए सब कुछ [बनकर]”  . . . सुसमाचार के लिए अपना जीवन समर्पित किया” (1 कुरिन्थियों 9:22-23) l उसने कभी नहीं माना कि जो यीशु ने किया था उसे वह सबसे श्रेष्ठ तरीके से संप्रेषित करना जानता था l इसके बजाय,  उसने लगातार प्रार्थना पर भरोसा किया और साथी विश्वासियों से उसके लिए प्रार्थना करने के लिए अनुनय किया─कि सुसमाचार साझा करने में उसे “प्रबल वचन”(इफिसियों 6:19 IBP) मिलने में सहायता मिल सके l

प्रेरित मसीह में प्रत्येक विश्वासी की आवश्यकता को भी जानता था कि वह उसके प्रेम में गहरी जड़ों की आवश्यकता के लिए हर दिन विनम्र और ग्रहणशील बना रहे (3:16–17) l यह तभी संभव है जब हम परमेश्वर के प्रेम में अपनी जड़ें गहरी करते जाते हैं,  प्रत्येक दिन उसके अनुग्रह पर अपनी  निर्भरता के बारे में अधिक जागरूक होते जाते हैं,  कि उसने हमारे लिए किया है उसके विषय अविश्वसनीय समाचार साझा करने के लिए हमें प्रबल शब्द मिल सके l

हमारे सर्वाधिक बदतर अवस्था में

“वह सहनीय है, लेकिन मुझे आकर्षित करने के लिए पर्याप्त सुंदर नहीं है l” जेन ऑस्टेन के प्राइड एंड प्रेजुडिस (Pride and Prejudice) में मिस्टर डार्सी द्वारा सुनाया गया यह वाक्य, वह कारण है कि मैं उस उपन्यास और मुझ पर इसके प्रभाव को कभी नहीं भूल पाऊँगी l क्योंकि उस एक वाक्य को पढ़ने के बाद,  मैंने दृढ़ता से निर्णय लिया कि मैं मिस्टर डार्सी को कभी पसंद नहीं करूंगी  l

पर मैं गलत थी  l ऑस्टिन के चरित्र एलिजाबेथ बेनेट की तरह, मुझे धीरे-धीरे─और काफी अनिच्छा से─अपने दिमाग को बदलने का नम्र अनुभव हुआ था l उसकी तरह, मैं डार्सी के चरित्र को पूरी तरह से जानने के लिए तैयार नहीं थी; मैंने उनकी सबसे खराब क्षणों में से एक पर अपनी प्रतिक्रिया को दृढ़ता से थामे रही  l उपन्यास खत्म करने के बाद, मैं सोचने लगी  कि मैंने वास्तविक दुनिया में किसके साथ वही गलती की थी l  मैं एक आकस्मिक निर्णय छोड़ना नहीं चाहती  थी  इसलिए मैं कौन सी मित्रता में विफल रही थी?

यीशु में विश्वास के केंद्र में हमारे उद्धारकर्ता द्वारा देखे जाने, प्यार करने और गले लगाने का अनुभव है─हमारे सर्वाधिक बदतर अवस्था में (रोमियों 5:8; 1 यूहन्ना 4:19)  l यह महसूस करने का आश्चर्य है कि हम मसीह में वास्तव में क्या हैं, के लिए अपने पुराने, झूठे निजी व्यक्तित्व को समर्पित कर सकते हैं (इफिसियों 4:23-24) l  और यह समझने की खुशी है कि हम अब अकेले नहीं हैं  बल्कि एक परिवार का हिस्सा हैं,  “प्रेम में [चलना]”─वास्तविक, शर्तहीन प्रेम (5:2)─सीखनेवालों का एक “झुण्ड” हैं l

जब हम याद करते हैं कि मसीह ने हमारे लिए क्या किया है (पद.2), तो जैसे वह हमें देखता है हम दूसरों को उस तरह देखने के लिए कैसे नहीं तरसेंगे?