परमेश्वर की सुरक्षा
सुइयाँ, दूध, मशरूम, लिफ्ट, जन्म, मधुमक्खियाँ, ब्लेंडर में मधुमक्खियाँ──ये टीवी कार्यक्रम मंक(Monk) के गुप्तचर और शीर्ष चरित्र श्री एड्रिअन मंक(Adrian Monk) के लिए जिम्मेदार कई आशंकाओं(phobia) का एक अंश है l लेकिन जब वह और उसका लम्बे समय का प्रतिद्वन्दी हेरल्ड क्रेनशॉ अपने आप को एक कार की डिक्की(trunk) में बंद पाते हैं, मंक को एक सफलता मिलती है जिसके कारण वह अपनी सूची से कम से कम एक भय── क्लॉस्ट्रोफोबिया(अधीरता विकार)──निकाल पाता है l
यह तब होता है जब मंक और हेरेल्ड दोनों ही घबरा रहे होते हैं कि एपिफेनी(दिव्य प्रकाशन) का समय आ जाता है, जिससे मंक के क्रोध में बाधा आती है l “शायद हम इसे गलत तरीके से देख रहे है,” वह हेरेल्ड से कहता है । “ये डिग्गियां(बॉक्स), ये दीवारें . . . यह हम पर हमला नहीं कर रही हैं, यह हमारी रक्षा कर रही हैं, सच में । ये खराब चीजों को बाहर रख रहें हैं . . . कीटाणु, और सांप, और माउथ ऑर्गन ।” आँखें चौड़ी करते हुए, हेरेल्ड देखता है कि उसका मतलब क्या है और आश्चर्य में फुसफुसाता है, “यह डिक्की/बॉक्स हमारा मित्र है l”
भजन 63 में, दाऊद को लगभग वैसा ही दिव्य प्रकाशन होता है । “सुखी और निर्जल भूमि पर,” होने के बावजूद जब दाऊद परमेश्वर की सामर्थ्य, महिमा और करुणा को स्मरण करता है (पद.1-3), यह ऐसा है मानो रेगिस्तान परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा की जगह में बदल जाता है । माँ के पंखों के आश्रय में एक चिड़िया के बच्चे के छिपे हुए होने की तरह, दाऊद ने पाया कि जब वह परमेश्वर से लिपट जाता है, यहाँ तक कि उस बंजर जगह में भी, उसका “जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त” हो सकता है (पद.5), उस प्रेम में पोषण और सामर्थ्य पाता है जो “जीवन से भी उत्तम है” (पद.3) l
सही शब्द
पिछले एक साल में, कई लेखकों ने विश्वासियों से आग्रह किया है कि वे हमारे विश्वास की “शब्दावली” पर नए सिरे से विचार करें l जैसे, एक लेखक ने, इस बात पर जोर दिया कि विश्वास के धर्मवैज्ञानिक समृद्ध शब्द भी अपना प्रभाव खो सकते हैं, जब, अति सुपरिचय और अति उपयोग के कारण, हम सुसमाचार की गहराई और ईश्वर की आवश्यकता के साथ स्पर्श खो देते हैं l जब ऐसा होता है, तो उसने सुझाव दिया, हमें विश्वास की भाषा “आरम्भ से” पुनः सीखने की आवश्यकता है, अपनी मान्यताओं को त्यागकर जब तक कि हम सुसमाचार को पहली बार न देख सकें l
“आरंभ से परमेश्वर की बातें बोलना” सीखने का निमंत्रण मुझे पौलुस की याद दिलाता है, जिसने “सभी मनुष्यों के लिए सब कुछ [बनकर]” . . . सुसमाचार के लिए अपना जीवन समर्पित किया” (1 कुरिन्थियों 9:22-23) l उसने कभी नहीं माना कि जो यीशु ने किया था उसे वह सबसे श्रेष्ठ तरीके से संप्रेषित करना जानता था l इसके बजाय, उसने लगातार प्रार्थना पर भरोसा किया और साथी विश्वासियों से उसके लिए प्रार्थना करने के लिए अनुनय किया─कि सुसमाचार साझा करने में उसे “प्रबल वचन”(इफिसियों 6:19 IBP) मिलने में सहायता मिल सके l
प्रेरित मसीह में प्रत्येक विश्वासी की आवश्यकता को भी जानता था कि वह उसके प्रेम में गहरी जड़ों की आवश्यकता के लिए हर दिन विनम्र और ग्रहणशील बना रहे (3:16–17) l यह तभी संभव है जब हम परमेश्वर के प्रेम में अपनी जड़ें गहरी करते जाते हैं, प्रत्येक दिन उसके अनुग्रह पर अपनी निर्भरता के बारे में अधिक जागरूक होते जाते हैं, कि उसने हमारे लिए किया है उसके विषय अविश्वसनीय समाचार साझा करने के लिए हमें प्रबल शब्द मिल सके l
हमारे सर्वाधिक बदतर अवस्था में
“वह सहनीय है, लेकिन मुझे आकर्षित करने के लिए पर्याप्त सुंदर नहीं है l” जेन ऑस्टेन के प्राइड एंड प्रेजुडिस (Pride and Prejudice) में मिस्टर डार्सी द्वारा सुनाया गया यह वाक्य, वह कारण है कि मैं उस उपन्यास और मुझ पर इसके प्रभाव को कभी नहीं भूल पाऊँगी l क्योंकि उस एक वाक्य को पढ़ने के बाद, मैंने दृढ़ता से निर्णय लिया कि मैं मिस्टर डार्सी को कभी पसंद नहीं करूंगी l
पर मैं गलत थी l ऑस्टिन के चरित्र एलिजाबेथ बेनेट की तरह, मुझे धीरे-धीरे─और काफी अनिच्छा से─अपने दिमाग को बदलने का नम्र अनुभव हुआ था l उसकी तरह, मैं डार्सी के चरित्र को पूरी तरह से जानने के लिए तैयार नहीं थी; मैंने उनकी सबसे खराब क्षणों में से एक पर अपनी प्रतिक्रिया को दृढ़ता से थामे रही l उपन्यास खत्म करने के बाद, मैं सोचने लगी कि मैंने वास्तविक दुनिया में किसके साथ वही गलती की थी l मैं एक आकस्मिक निर्णय छोड़ना नहीं चाहती थी इसलिए मैं कौन सी मित्रता में विफल रही थी?
यीशु में विश्वास के केंद्र में हमारे उद्धारकर्ता द्वारा देखे जाने, प्यार करने और गले लगाने का अनुभव है─हमारे सर्वाधिक बदतर अवस्था में (रोमियों 5:8; 1 यूहन्ना 4:19) l यह महसूस करने का आश्चर्य है कि हम मसीह में वास्तव में क्या हैं, के लिए अपने पुराने, झूठे निजी व्यक्तित्व को समर्पित कर सकते हैं (इफिसियों 4:23-24) l और यह समझने की खुशी है कि हम अब अकेले नहीं हैं बल्कि एक परिवार का हिस्सा हैं, “प्रेम में [चलना]”─वास्तविक, शर्तहीन प्रेम (5:2)─सीखनेवालों का एक “झुण्ड” हैं l
जब हम याद करते हैं कि मसीह ने हमारे लिए क्या किया है (पद.2), तो जैसे वह हमें देखता है हम दूसरों को उस तरह देखने के लिए कैसे नहीं तरसेंगे?
छोटा लेकिन शक्तिशाली
उत्तरी अमेरिका के कठोर सोनोरान रेगिस्तान में रात के समय कई बार, कोई भी एक धुंधली, तेज चीख सुन सकता है l लेकिन आप शायद ध्वनि के स्रोत पर शक नहीं करेंगे – छोटा लेकिन शक्तिशाली ग्रासहॉपर माउस(चूहा का एक प्रजाति), अपने क्षेत्र को स्थापित करने के लिए चाँद की ओर सिर उठाकर चीखता है l
यह अनोखा कृंतक/rodent (उपनाम “भड़मानस माउस/werewolf mouse”) मांसाहारी भी है l वास्तव में, यह ऐसे प्राणियों का शिकार करता है जिसके साथ दूसरे उलझने की हिम्मत शायद ही करेंगे जैसे बिच्छू l लेकिन वेयरवुल्फ माउस विशिष्ट रूप से उस विशेष लड़ाई के लिए सुसज्जित है l इसके पास न केवल बिच्छू के जहर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है, बल्कि विषाक्त पदार्थों को दर्द निवारक में भी बदल सकता है!
इस लचीले छोटे चूहे के जीवित रहने और यहां तक कि उसके कठोर वातावरण में पनपने के विषय लगता है कि इसे विशेष-रूप से बनाया गया है जो कुछ प्रेरणादायक है l जैसा कि पौलुस इफिसियों 2:10 में बताता है, उस प्रकार की अद्भुत शिल्प कौशल परमेश्वर के लोगों के लिए भी उसकी अभिकल्पना को चरितार्थ करता है l हम में से हर एक यीशु में “परमेश्वर की शिल्पकारिता” हैं, जो विशिष्ट रूप से उसके राज्य में योगदान करने के लिए सुसज्जित है l कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर ने आपको कैसे प्रतिभाशाली बनाया है, आपके पास देने के लिए बहुत कुछ है l जब आप भरोसे के साथ स्वीकार करते हैं जो वह आपको होने के लिए बनाया है, तो आप उसमें जीवन की आशा और आनंद के लिए जीवित साक्षी होंगे l
तो जब आप अपने खुद के जीवन में किसी का भी सामना करते हैं जो आपको सबसे डरावना लगता है, हिम्मत न हारें l आप छोटा महसूस कर सकते हैं, लेकिन आत्मा के वरदान और सशक्तिकरण के द्वारा, परमेश्वर आपको शक्तिशाली काम करने के लिए उपयोग कर सकता है l
अकल्पनीय वादे
हमारी सबसे बड़ी असफलता के क्षणों में, यह विश्वास करना आसान हो सकता है कि हमारे लिए बहुत देर हो चुकी है, कि हमने उद्देश्य और मूल्य के जीवन में अपना मौका खो दिया है l इसी तरह अधिकतम-सुरक्षा जेल में एक पूर्व कैदी एलियास ने कैदी के रूप में अपनी भावनाओं का वर्णन किया l “मेरे पास टूटे वादे थे, मेरे अपने भविष्य के वादे, मैं क्या हो सकता था का वादा l”
यह एक कॉलेज का “जेल में प्रचार करने की पहल(Prison Initiative” कॉलेज की डिग्री प्रोग्राम था जिसने एलियास के जीवन को बदलना शुरू किया l कार्यक्रम में रहते हुए, उसने एक वाद-विवाद टीम में भाग लिया, जिसने 2015 में हार्वर्ड की एक टीम से वाद-विवाद किया और जीत हासिल की l एलायस के लिए, “"टीम का हिस्सा होना . . . [यह साबित करने का एक तरीका था कि ये वादे पूरी तरह से खो नहीं गए हैं l”
इसी तरह का परिवर्तन हमारे हृद्यों में तब होता है जब हम यह समझने लगते हैं कि यीशु में परमेश्वर के प्रेम की खुशखबरी हमारे लिए भी अच्छी खबर है l हम आश्चर्य के साथ महसूस करना शुरू करते हैं, बहुत देर नहीं हुई है । परमेश्वर अभी भी मेरे लिए एक भविष्य रखा है l
और यह एक ऐसा भविष्य है जिसे न तो कमाया जा सकता है और न ही यह खो सकता है, केवल परमेश्वर के असाधारण अनुग्रह और सामर्थ्य पर अवलंबित है (2 पतरस: 1:2-3) l एक ऐसा भविष्य जहां हम संसार में निराशा से मुक्त हो गए हैं और हमारे हृद्यों में जो उसकी “महिमा और सद्गुण” से भरे हुए हैं (पद.3) l मसीह के अकल्पनीय वादों में सुरक्षित भविष्य (पद.4); और एक भविष्य जो “परमेश्वर की संतानों की महिमा” में बदल गया है (रोमियों 8:21) l
क्षमा के साथ भविष्य
1994 में, जब दक्षिण अफ्रीका ने लोकतंत्र के लिए रंगभेद(अनिवार्य नस्लीय अलगाव) द्वारा शासित सरकार को छोड़ा, तो इस मुश्किल सवाल का सामना करना पड़ा कि रंगभेद के तहत किए गए अपराधों को कैसे संबोधित किया जाए l देश के अगुए अतीत को नजरअंदाज नहीं कर सकते थे, लेकिन केवल दोषियों पर कठोर दंड लगाने से देश के घावों को गहरा करने का जोखिम था l जैसे कि दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत एंग्लिकन आर्चबिशप, डेसमंड टूटू ने अपनी पुस्तक नो फ्यूचर विदाउट फॉरगिवनेस(No Future Without Forgiveness) में बताया, “हम बहुत अच्छी तरह से इन्साफ, सजा देनेवाला न्याय कर सकते थे, और दक्षिण अफ्रीका राख में पड़ा होता l”
सत्य और सुलह समिति की स्थापना के माध्यम से, नए लोकतंत्र ने सत्य, न्याय, और दया को आगे बढ़ाने का कठिन मार्ग चुना l अपराधों के दोषी लोगों को पुनर्स्थापन का मार्ग दिया गया - यदि वे अपने अपराधों को स्वीकार करने और बहाली/पुननिर्माण के लिए तैयार थे l केवल सच्चाई का सामना करने से ही देश चंगाई पाना आरम्भ कर सकता था l
एक तरह से, दक्षिण अफ्रीका की दुविधा, हम सभी के संघर्ष को दर्शाती है l हमें न्याय और दया दोनों का पालन करने के लिए कहा जाता है (मीका 6:8), लेकिन दया को अक्सर जवाबदेही की कमी के लिए गलत समझा जाता है, जबकि न्याय का पीछा करना बदला लेने में विकृत हो सकता है l
हमारा एकमात्र अग्रिम मार्ग प्रेम है जो न केवल “बुराई से घृणा [करता है]” (रोमियों 12:9) है बल्कि हमारे “पड़ोसी” (13:10) के परिवर्तन और भलाई के लिए भी तरसता है l मसीह की आत्मा की शक्ति के द्वारा, हम सीख सकते हैं कि भलाई से बुराई पर काबू पाने का भविष्य क्या है (12:21) ।
लाभदायक परीक्षाएँ
पन्द्रवीं सदी के मठवासी थॉमस ए. केम्पिस, अतिप्रिय उत्कृष्ट साहित्य द इमिटेशन ऑफ़ क्राइस्ट(The Imitation of Christ) में, परीक्षा(tempatation) पर एक परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं जो थोड़ा आश्चर्यचकित कर सकता है l दर्द और कठिनाईयों पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय जहाँ परीक्षा ले जा सकती है, वह लिखते हैं, “[परीक्षाएँ] लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें नम्र बनाती हैं, वे हमें साफ़ कर सकती हैं, और वे हमें सिखा सकती हैं l” वह समझाते हैं, “जीत की कुंजी सच्ची विनम्रता और धैर्य है; उनमें होकर हम दुश्मन को मात देते हैं l”
नम्रता और धैर्य l यदि में स्वाभाविक रूप से परीक्षा का प्रत्युत्तर देता तो मसीह के साथ मेरा चलना कितना अलग होता! ज्यादातर, मैं शर्म, निराशा, और अधीर प्रयास की प्रतिक्रिया के साथ संघर्ष से बाहर आने का प्रयास करता हूँ l
परन्तु, जैसे कि हम याकूब 1 से सीखते हैं, हम जिन परीक्षाओं और आजमाईशों का सामना करते हैं, वे उद्देश्य के बिना या केवल एक खतरे के रूप में नहीं होते हैं l यद्यपि परीक्षा में हार मानने से दिल टूट सकता है तबाही हो सकती है (पद.13-15), जब हम विनम्र हृदयों से परमेश्वर की ओर मुड़कर उसकी बुद्धिमत्ता और अनुग्रह को खोजते हैं, हम पाते हैं कि वह “बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है” (पद.5) l हममें उसकी सामर्थ्य के द्वारा, हमारी परीक्षाएँ और पाप का सामना करने का संघर्ष धैर्य उत्पन्न करता है, “कि [हम] पूरे और सिद्ध हो जाएँ, और [हम] में किसी बात की घटी न रहे” (पद.4) l
जब हम यीशु में भरोसा करते हैं, भय में जीने का कोई कारण नहीं है l परमेश्वर के प्रिय बच्चों के रूप में, हम शांति पा सकते हैं जब हम उसके प्रेमी बाहों में विश्राम करते हैं, तब भी जब हम परीक्षा का सामना करते हैं l
शाखाओं में निवास
जैसा कि मैंने अपने परामर्शदाता के साथ अपनी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को एक तनाव-भरे सप्ताह के बाद साझा किया, उसने सोच समझकर सुना। फिर उसने मुझे खिड़की से बाहर पेड़ों को देखने के लिए बुलाया, संतरों से भरे हुए, और जिसकी शाखाएं हवा से झूल रही थी।
यह बताते हुए कि तना हवा में बिलकुल नहीं हिल रही थी, मेरे परामर्शदाता ने समझाया, “हम भी कुछ इसी प्रकार हैं। जब जीवन हर दिशा से हम पर प्रहार कर रहा हो, तो निश्चित ही हमारी भावनाएं ऊपर और नीचे और चारों-ओर जाएंगी। हमारा लक्ष्य आपको अपना जड़ या तना खोजने में मदद करना है। इस तरह, जब जीवन हर तरफ से खींच रहा हो, तो आप अपनी शाखाओं में नहीं रह सकते हैं फिर भी आप सुरक्षित और स्थिर रहेंगे।"
यह एक छवि है जो मेरे साथ रहा; और यह पौलुस द्वारा इफिसियों के नए विश्वासियों को दी गयी छवि से मिलती जुलती है। परमेश्वर के अविश्वसनीय उपहार की याद दिलाते हुए अर्थात् अद्भुत उद्देश्य और महत्त्व का नया जीवन (इफिसियों 2:6-10), पौलुस ने अपनी तीव्र इच्छा साझा किया कि वे मसीह के प्रेम में “जड़ पकड़कर और नेव डाल कर” स्थापित हो चुके थे (3:17), और “उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर-उधर घुमाए”(4:14) नहीं जाते थे।
अपने दम पर, अपने डर और असुरक्षाओं से ग्रसित, असुरक्षित और नाजुक महसूस करना आसान है, लेकिन जब हम मसीह में अपनी वास्तविक पहचान में बढ़ते हैं (पद.22-24), हम परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ गहरी शांति का अनुभव करते हैं (पद.3), मसीह की सामर्थ्य और सुन्दरता द्वारा पोषित और संभाले हुए (पद.15-16) l
रहस्य
कभी-कभी मुझे संदेह होता है कि मेरी बिल्ली टॉम FOMO (fear of missing out) लापता होने के डर की बुरी दशा से ग्रस्त है l जब मैं किराने का सामान लेकर घर आती हूँ, तो टॉम सामग्री का निरीक्षण करने के लिए दौड़ता है l जब मैं सब्जियां काट रही होती हूँ, तो वह अपने पिछले पैरों के बल खड़ा होकर सामग्री को ध्यान से देखते हुए मुझसे उसे साझा करने के लिए बिनती करता है l लेकिन जब मैं वास्तव में टॉम को उसकी पसंद की वस्तु पकड़ा देती हूँ, वह उसमें रूचि छोड़कर, ऊब की अप्रसन्नता के साथ चल देता है l
लेकिन मेरे लिए अपने छोटे दोस्त पर कठोर होना पाखण्ड होगा l वह अधिक के लिए मेरी खुद की अतृप्त भूख को दर्शाता है, मेरी धारणा कि “अभी” कभी नहीं पर्याप्त है l
पौलुस के अनुसार, संतोष स्वाभाविक नहीं है – यह सीखा जाता है (फिलिप्पियों 4:11) l अपने दम पर, हम अपने विचार से उसे पूरी तरह से आगे बढाते हैं, जिससे हम संतुष्ट होने का विचार रखते हैं, अगली बात पर बढ़ते हुए हम जान जाते हैं कि यह भी संतुष्ट नहीं करेगा l अन्य समयों पर, हमारा असंतोष चिंतावश किसी भी और सभी संदिग्ध खतरों से खुद को बचाने का रूप लेता है l
व्यंगात्मक रूप से, कभी-कभी यह अनुभव से आता है कि लुढ़ककर असली ख़ुशी में जाने के लिए हम सबसे अधिक किससे डरते थे l सबसे बुरा अनुभव करने के बाद जो जीवन पेश करता है, पौलुस पहली बार सच्चे संतोष के “रहस्य” (पद.11-12) की गवाही दे सकता था – रहस्मय वास्तविकता कि जब हम पूर्णता की लालसा को परमेश्वर की ओर उठाते हैं, तो हम न समझाया जा सकने योग्य शांति का अनुभव करते हैं (पद.6-7), जो मसीह की सामर्थ्य, सुन्दरता और अनुग्रह की अथाह गहराई में ले जाता है l