पवित्र आराधना
जोसफ ने एक चर्च की पासबानी की जो अपने कार्यक्रमों और मंचीय प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता था l वे बहुत अच्छे तरीके से किये जाते थे, फिर भी उन्हें चिंता थी कि चर्च की व्यस्तता एक व्यवसाय में बदल गयी थी l क्या चर्च सही कारणों से या अपनी गतिविधियों के कारण बढ़ रहा था? जोसफ पता लगाना चाहता था, इसलिए उसने एक साल के लिए सभी अतिरिक्त चर्च कार्यक्रमों को रद्द कर दिया l उनकी मण्डली एक जीवित मंदिर होने पर ध्यान केन्द्रित करने वाली थी जहाँ लोग परमेश्वर की आराधना करते हैं l
जोसफ का निर्णय अति लगता है, जब तक कि आपने ध्यान नहीं देते हैं कि यीशु मंदिर के बाहरी आंगन में प्रवेश किया l पवित्र स्थान जिसे साधारण प्रार्थनाओं से भरा होना चाहिए था, आराधना व्यवसाय का भंवर बन गया था l यहाँ से अपने कबूतर ले जाओ! परमेश्वर की आवश्यकता के अनुसार सफ़ेद सोसन!” यीशु ने व्यापारियों के चौकियाँ उलट दी और उन लोगों को रोक दिया जिन्होंने उनसे सामान ख़रीदा था l जो कुछ वे कर रहे थे, उस पर क्रोधित होकर, उसने यशायाह 56 और यिर्मयाह 7 को उद्धरित किया : “मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है” (मरकुस 11:17) l अन्यजातियों का आँगन, बाहरी लोगों के लिए आराधना करने का स्थान, पैसे कमाने के लिए एक सांसारिक बाज़ार में बदल गया था l
व्यापार में या व्यस्त रहने में कुछ गलत नहीं है l परन्तु यह चर्च का आशय नहीं है l हम परमेश्वर के जीवित मंदिर हैं, और हमारा मुख्य काम यीशु की आराधना करना है l जैसा कि यीशु ने किया था, हमें सभवतः किसी भी चौकी को उलटना ज़रूरी नहीं है, लेकिन वह हमें समान रूप से कुछ कठोर कार्य करने के लिए बुला रहा हो l
स्तुति करें
जो नक़्शे के मध्य में स्थित है, आप आम तौर पर उसके द्वारा यह बता सकेंगे कि उसको कहाँ खींचा गया था l हम सोचते हैं कि हमारा घर दुनिया का केंद्र है, इसलिए हम बीच में एक बिंदु डालते हैं और वहाँ से बाहर की ओर बढ़ते हैं l आसपास के शहर उत्तर से पचास मील की दूरी पर हो सकते हैं या दक्षिण में आधे दिन की ड्राइव पर, लेकिन इन सब का वर्णन हम कहाँ हैं के अनुसार किया जाता है l भजन पुराने नियम में परमेश्वर के सांसारिक घर से अपना “नक्शा” बनाते हैं, इसलिए बाइबल के भूगोल का केंद्र यरूशलेम है l
भजन 48 यरूशलेम की प्रशंसा करने वाले कई भजनों में से एक है l यह “हमारे परमेश्वर” का “नगर” है . . . “ऊँचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है” (पद.1-2) l क्योंकि “उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ . . . है,” वह “उसको सदा दृढ़ और स्थिर रखेगा” (पद.3,8) l परमेश्वर की ख्याति यरूशलेम के मंदिर में शुरू होती है और उसकी “स्तुति पृथ्वी की छोर तक होती है” (पद.9-10) l
जब तक आप इसे यरूशलेम में नहीं पढ़ रहे हैं, आपका घर बाइबल के संसार के केंद्र में नहीं है l फिर भी आपका क्षेत्र बेहद मायने रखता है, क्योंकि जब तक उसकी स्तुति “पृथ्वी के छोर” (पद.10) तक नहीं पहुँच जाती, तब तक परमेश्वर आराम नहीं करेगा l क्या आप परमेश्वर के अपने लक्ष्य तक पहुँचने के तरीके का हिस्सा बनना चाहेंगे? प्रत्येक सप्ताह परमेश्वर के लोगों के साथ आराधना करें, और प्रत्येक दिन उसकी महिमा के लिए खुले तौर पर जीएँ l परमेश्वर का नाम “पृथ्वी की छोर तक” होता है जब हम जो हैं और जो हमारे पास है उसको समर्पित करते हैं l
जा रहा है, जा रहा है, गया
शरारती कलाकार बैंक्सी ने एक और व्यवहारिक मजाक उड़ाया l लन्दन में सोथबी के नीलामी घर में उनकी पेंटिंग गर्ल विथ बैलून(Girl with Baloon) एक मिलियन पौंड में बिकी l नीलामी करनेवाले के “बिक गया,” चिल्लाने के कुछ ही क्षणों बाद एक अलार्म बजा और वह पेंटिंग फ्रेम के नीचे से फिसलकर आधा लटक गया l बैंक्सी ने अपनी बर्बाद कृति पर हाँफते हुए बोली लगाने वालों की एक तस्वीर को कैप्शन के साथ ट्वीट किया, “गोइंग, गोइंग, गॉन l”
बैंक्सी ने धनवान का भी मज़ाक बनाने में आनंद उठाया, लेकिन उसे परेशान होने की ज़रूरत नहीं थी l धनवान के पास खुद के लिए अनेक मजाक हैं l परमेश्वर कहता है, “धनी होने के लिए परिश्रम न करना . . . क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी के समान पंख लगाकर, निःसंदेह आकाश की ओर उड़ जाता है” (पद.4-5) l
कुछ वस्तुएं धन/पैसे से कम सुरक्षित हैं l हम उसे अर्जित करने के लिए बहुत परिश्रम करते हैं, फिर भी उसे खो देने के अनेक तरीके हैं l निवेश गलत हो जाता है, मुद्रास्फीति में गिरावट आ जाती है, बिल आते हैं, चोर चोरी करते हैं, और आग और बाढ़ नष्ट करते हैं l यहाँ तक कि अगर हम अपना पैसा रख भी लेते हैं, तो भी समय जिसमें हमें इस खर्च करना है लगातार समाप्त होता जाता है l पलक झपकाएं, और आपका जीवन जा रहा है, जा रहा है, गया l
क्या करें? बाद में परमेश्वर हमें कुछ पद बताता है : “यहोवा का भय मानते रहना l क्योंकि अंत में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी” (पद.17-18) l यीशु में अपना जीवन निवेश करें; वह अकेले आपको हमेशा के लिए रखेगा l
आपकी मंज़िल किधर है?
उत्तरी थाईलैंड में, बच्चों के फुटबॉल टीम ने एक गुफा का पता लगाने का फैसला किया l एक घंटे के बाद वे वापस जाने के लिए मुड़े तो पाया कि गुफा के द्वार पर पानी भर गया था l बढ़ते पानी ने उन्हें गुफा में दिन-ब-दिन और अन्दर धकेल दिया, जब तक कि वे दो मील (चार किलोमीटर) से अधिक गुफा के अन्दर फंस नहीं गए l जब उन्हें दो सप्ताह बाद वीरतापूर्वक बचाया गया, तो बहुतों को आश्चर्य हुआ कि वे इनती बुरी तरह से कैसे फंस गए l उत्तर : एक समय में एक कदम l
इस्राएल में, नातान ने दाऊद का सामना अपने वफादार सिपाही, उरिय्याह को मारने के लिए किया l “[परमेश्वर के] मन के अनुसार” व्यक्ति किस प्रकार दोषी बना? एक समय में एक कदम l एक दोपहर में दाऊद शून्य से हत्या तक नहीं गया l उसने खुद को तैयार किया, समय के साथ, एक बुरा निर्णय दूसरे को जन्म दिया l इसकी शुरुआत एक दूसरी झलक से हुई जो वासना के टकटकी में बदल गयी l उसने बतशेबा को बुलवाकर अपने राजसी शक्ति का दुरूपयोग किया, फिर उसके गर्भवती होने को ढांकने के लिए उसके पति को मोर्चे से घर बुलवाया l जब उरिय्याह अपने साथियों को युद्ध में छोड़कर अपनी पत्नी से मिलने से इनकार किया, दाऊद ने फैसला किया कि उसे मरना होगा l
हम शायद हत्या के दोषी नहीं हो सकते हैं या अपनी खुद की बनायी हुयी गुफा में फंसे हुए नहीं हैं, लेकिन हम या तो यीशु की ओर बढ़ रहे हैं या मुसीबत की ओर l बड़ी समस्याएँ रातोंरात विकसित नहीं होती हैं l वे हमपर धीरे-धीरे टूटते हैं, एक समय में एक कदम l
आप जिसके लायक हैं
अब एक निपुण लेखिका, कैटलिन ने उस अवसाद का वर्णन किया, जो उसने एक प्रहार से लड़ने के बाद किया था l भावनात्मक हिंसा ने उसके शारीरिक संघर्ष की तुलना में गहरा घाव बनाया था, क्योंकि उसने महसूस किया कि यह साबित होता है कि “मैं कितनी अप्रिय थी l मैं उस प्रकार की लड़की नहीं थी जिसे आप जानना चाहते l” उसने प्यार के अयोग्य महसूस किया, उस तरह का व्यक्ति जिसे दूसरे उपयोग करते हैं और एक ओर उछाल देते हैं l
परमेश्वर समझता है l उसने प्रेम से इस्राएल की चरवाही की, लेकिन जब उसने उनसे पूछा कि उसका मूल्य कितना है, “उन्होंने मेरी मजदूरी में चाँदी के तीस टुकड़े तौल दिए” (जकर्याह 11:12) l यह एक दास की कीमत थी; यदि उसकी अचानक मृत्यु हो जाती है तो स्वामियों को कितना लौटने की ज़रूरत थी (निर्गमन 21:32) l परमेश्वर को सबसे कम संभव मूल्य की पेशकश करने के लिए अपमानित किया गया था – तब उसने [व्यंग्यात्मक ढंग] में कहा, “यह क्या ही भारी दाम है जो उन्होंने मेरा ठहराया है?” (जकर्याह 11:13) l तब उसने जकर्याह से उस धन को फेंकवा दिया l
यीशु समझता है l वह केवल अपने मित्र द्वारा धोखा नहीं दिया गया था; उसे अवमानना के साथ धोखा दिया गया था l यहूदी अगुओं ने मसीह का तिरस्कार किया, इसलिए उन्होंने यहूदा को चाँदी के तीस टुकड़े दिए – सबसे कम कीमत जो आप एक व्यक्ति पर लगा सकते हैं – और वह उसे ले गया (मत्ती 26:14-15; 27:9) l यहूदा ने यीशु के बारे में बहुत कम सोच था, उसने उसे लगभग कुछ भी नहीं में बेचा l
वह समझ गया
पास्टर वाट्सन जोन्स को साइकिल चलाना सीखना याद है l उसके पिता छोटे वाट्सन के साथ चल रहे थे जब उसने कुछ लड़कियों को पोर्च पर बैठे देखा l “डैडी, मैं समझ गया!” उसने कहा l उसने नहीं समझा था l उसने बहुत देर से पहचाना कि उसके पिता के स्थिर पकड़ के बिना उसने संतुलन करना नहीं सीखा था l जैसा कि उसकी सोच थी वह बड़ा नहीं हुआ था l
हमारे स्वर्गिक पिता हमारे लिए इच्छा रखते हैं कि हम बड़े हो जाएँ और “एक सिद्ध मनुष्य . . . बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक . . . बढ़ जाएँ” (इफिसियों 4:13) l लेकिन आध्यात्मिक परिपक्वता प्राकृतिक परिपक्वता से अलग है l माता-पिता अपने बच्चों को आत्मनिर्भर होने के लिए बढाते हैं, उस समय तक जब उनकी आवश्यकता नहीं होती l हमारे दिव्य पिता हमें प्रतिदिन और अधिक उसपर निर्भर होने के लिए हमारी परवरिश करता है l
पतरस अपनी पत्री को इस प्रतिज्ञा के साथ आरम्भ करता है कि “हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शांति तुम में बढती जाए” (2 पतरस 1:2; 3:18) l परिपक्व मसीही यीशु की अपनी ज़रूरत को सदैव महसूस करते हैं l
वाट्सन चेतावनी देते हैं, “हममें से कुछ लोग जीवन के हैंडल से यीशु के हाथों को हटाने में व्यस्त है l” जैसे कि हमें थामने के लिए, हमें उठाने के लिए, और जब हम लड़खड़ाते और विफल होते हैं, तब हमें उसके मजबूत हाथों की ज़रूरत नहीं है l हम मसीह पर अपनी निर्भरता से आगे नहीं बढ़ सकते हैं l हम उसके विषय अपने कृपा और ज्ञान की गहराई में केवल अपने जड़ों को डूबो कर बढ़ते हैं l
ऐसा जीवन जीएं मानो यीशु आनेवाला है
मैं लोक गायक टिम मैग्राव के गीत “लिव लाइक यू वर डाईंग(Live Like You Were Dying)” से प्रेरित हूँ l उस गीत में वह ऐसे रोमांचक अनुभवों की सूची प्रस्तुत करता है जो एक व्यक्ति ने अपने स्वास्थ्य के विषय बुरी खबर सुनकर किया l उसने लोगों से प्रेम करना और उनको अधिक स्वतंत्र रूप से क्षमा करने का भी चुनाव किया और उनसे अधिक कोमलता से बातचीत भी करने लगा l गीत सिफारिश करता है कि हम अच्छी तरह जीवन व्यतीत करें, मानों यह जानते हुए कि हमारे जीवनों का अंत जल्द होने वाला है l
यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारा समय सीमित है l हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि जो हमें आज करना है हम उसे कल के लिए न छोड़े, क्योंकि एक दिन आनेवाला कल नहीं होगा l यह विश्वासियों के लिए ख़ास तौर पर ज़रूरी है, जो विश्वास करते हैं कि यीशु किसी भी क्षण आ सकता है (शायद उसी क्षण जब आप इस वाक्य को पढ़ रहें हैं!) l यीशु हमसे तैयार रहने की विनती करता है, और उन पांच “कुवारियों” की तरह जीवन जीने के लिए मना करता है जो दूल्हे के लौटने पर तैयार नहीं थीं (मत्ती 25:6-10 l
परन्तु मैग्राव का गीत पूरी कहानी नहीं बताता है l हम यीशु से प्रेम करनेवालों के पास आनेवाले कल की कमी नहीं होगी l यीशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा” (यूहन्ना 11:25-26) l उसमें हमारे जीवन का कभी अंत नहीं होता है l
इसलिए इस तरह न जीएं जैसे आपकी मृत्यु होने वाली है l क्योंकि आपकी मृत्यु नहीं होगी l इसके बदले, ऐसा जीवन व्यतीत करें मानो यीशु आनेवाला है l क्योंकि वह ज़रूर आनेवाला है!
चुस्त घेरा
एक सहपाठी ने मेरे परिवार को एक पंजीकृत कोल्ली(कुत्ते की प्रजाति) दिया जो अधिक उम्र के कारण प्रजनन करने में समर्थ नहीं रह गयी थी l हमें भी पता चला कि इस सुन्दर कुतिया ने, दुर्भाग्यवश, अपने जीवन का अधिक समय एक छोटे बाड़े में बितायी थी l वह केवल चुस्त घेरे में ही चल पाती थी l वह कोई वस्तु उठाने में असमर्थ थी और सीधी दिशा में दौड़ भी नहीं पाती थी l और खेलने के लिए एक बड़ा अहाता होने के बावजूद, वह सोचती थी वह बाड़े में बंद है l
आरंभिक मसीही, जिनमें से अधिकतर यहूदी थे, मूसा की व्यवस्था द्वारा घिरा हुआ जानते थे l यद्यपि व्यवस्था अच्छी थी और उन्हें पाप के प्रति दोषी ठहराकर यीशु के पास लाने के लिए थी (गलातियों 3:19-25), यह समय परमेश्वर के अनुग्रह और मसीह की स्वतंत्रता पर आधारित होकर अपने नए विश्वास को व्यवहार में लाने का था l और क्या अभी तक, वे वास्तव में स्वतंत्र थे?
हमारे पास भी वही समस्या हो सकती है l शायद सख्त नियम वाली कलीसिया में हमारी परवरिश हुयी है जिसने हमें चारो ओर से घेर रखा था l या हमारी परवरिश स्वतंत्रता प्रदान करने वाले परिवारों में हुयी है जो नियमों की सुरक्षा के लिए आतताई नहीं हैं l दोनों ही तरह से, मसीह की स्वतंत्रता अपनाने का समय है (गलातियों 5:1) l यीशु ने हमें प्रेम के कारण उसकी आज्ञा मानने के लिए (युहन्ना 14:21) और “प्रेम से एक दूसरे के दास [बनने]” के लिए (गलातियों 5:13) स्वतंत्र किया है l आनंद और प्रेम का एक पूरा क्षेत्र उनके लिए खुला है जो पहचानते हैं कि “यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (युहन्ना 8:36) l
लिंकन के पॉकेट में की वस्तुएँ
1865 में उस रात जब अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को फोर्ड थिएटर में गोली मारी गयी, उनके पॉकेट में ये वस्तुएं थीं : उनका चश्मा, चश्मा साफ़ करनेवाला, एक पॉकेट चाकू, जेब घड़ी, रूमाल, चमड़े का बटुआ जिसमें पांच डॉलर का नोट, और अखबार के आठ कटिंग, जिसमें कई उनकी और उनकी राजनीति की तारीफ़ वाले थे l
मुझे आश्चर्य है कि राष्ट्रपति के पॉकेट में डॉलर क्यों था, परन्तु उत्साही खबरों के विषय मुझे थोड़ा शक है l सभी को उत्साह चाहिए, लिंकन के समान एक महान लीडर को भी! क्या आप उस प्राणघाती नाटक के कुछ क्षण पहले उन्हें देख सकते हैं, शायद वे अपनी पत्नी को वह ख़बर पढ़कर सुना रहे हों?
आप किसको जानते हैं जिसे उत्साह चाहिए? सभी को! अपने चारों ओर देखें l आप जहाँ तक दृष्टि दौड़ा सकते हैं, कोई भी व्यक्ति जैसे वे दिखाई देते हैं आत्मविश्वासी नहीं हैं l हम सब आत्म-संदेह से दूर पराजय, व्यंगात्मक टिप्पणी, अथवा अप्रिय हैं l
कितना अच्छा होता यदि हम सब परमेश्वर की आज्ञा मानते हुए “अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिए पसंन [करते] कि उसकी उन्नति हो?” (रोमियों 15:2) l कितना अच्छा होता यदि हम केवल “मनभावने वचन” जो “प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं” बोलने को दृढ़ होते (नीतिवचन 16:24) l कितना अच्छा होता यदि हम इन शब्दों को लिख लेते, ताकि मित्र उन्हें बार-बार पढ़ पाते और उनका स्वाद ले पाते? तब हम सब के पॉकेट में (अथवा हमारे फोन में!) इस प्रकार के पत्र होते l और हम और भी यीशु के समान होते, जिसने “अपने आप को प्रसन्न नहीं किया” परन्तु परहित जीवन जीया (रोमियों 15:3 l