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Articles by पैटरिसीए रेबॉन

परमेश्वर की देखभाल में

हमारे छोटे पोते ने अलविदा कहा, फिर एक प्रश्न के साथ लौटा l “दादी, आप बरामदा पर क्यों खड़ी हैं और जब तक हम चले नहीं जाते, तब तक आप देखती हैं l” बहुत छोटा होने के कारण उसका प्रश्न “अति सुन्दर” था और मैं मुस्कुरायी l हालाँकि, उसकी चिंता को देखते हुए, मैंने एक अच्छा जवाब देने की कोशिश की l “इसलिए कि, यह शिष्टाचार है,” मैंने उससे कहा l “यदि तुम मेरे अतिथि हो तो जब तक तुम चले नहीं जाते, देखना यह प्रगट करता है  कि मुझे तुम्हारी परवाह है l” उसने मेरे उत्तर को तौला, लेकिन उसके बाद भी हैरान दिखाई दिया l इसलिए, मैंने उसे सरल सत्य बता दिया l “मैं देखती हूँ,” मैंने कहा, “क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ l जब मैं तुम्हारे कार को दूर जाते हुए देखती हूँ, तो मैं जानती हूँ कि तुम सुरक्षित घर जा रहे हो l” वह मुस्कुराया, और कोमलता से मुझे प्यार किया l अंत में, वह समझ गया l 

उसकी बच्चे की सी समझ ने मुझे याद दिलाया कि हम सभी को क्या याद रखना चाहिए – कि हमारे स्वर्गिक पिता हम में से प्रत्येक, जो उसके अनमोल बच्चे हैं पर लगातार नज़र रखता है l जैसा कि भजन 121 कहता है, “यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है” (पद.5) l 

इस्राएल के तीर्थयात्रियों के लिए कितना सुन्दर आश्वासन है क्योंकि वे यरूशलेम में  आराधना करने के लिए जाते समय खतरनाक मार्गों पर चढ़कर जाते थे l “न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी l यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा” (पद.6-7) l इसी तरह, जैसा कि हम प्रत्येक अपने जीवन के मार्ग में आगे बढ़ते हैं, कभी-कभी आध्यात्मिक खतरा या नुक्सान का सामना करते हैं, “यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा” (पद.8) l 

परमेश्वर के लिए धनी

महा वित्तीय संकट के समय में बढ़ते हुए मेरे माता-पिता बच्चों के रूप में अत्यधिक कठिनाई जानते थे l नतीजन, वे कड़ी मेहनत करनेवाले थे और पैसे के कृतज्ञ भंडारी थे l लेकिन वे कभी लालची नहीं थे l उन्होंने अपने चर्च, धर्मार्थ समूहों और ज़रुरतमंदों को समय, प्रतिभा, और खज़ाना दिया l दरअसल, उन्होंने अपना पैसा समझदारी से संभाला और खुशी-ख़ुशी दिया l  

यीशु के विश्वासियों के रूप में, मेरे माता-पिता ने प्रेरित पौलुस की चेतावनी को ध्यान में रखा : “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा और फंदे और बहुत से व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं” (1 तीमुथियुस 6:9) l 

पौलुस ने तीमुथियुस को सलाह दी, जो एक धनी शहर, इफिसुस का युवा पास्टर था, जहाँ सब को दौलत लुभाती थी l 

पौलुस ने चिताया, “रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए बहुतों ने विश्वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है” (पद.10) l 

तब, लालच का इलाज क्या है? “परमेश्वर के लिए धनी बनो,” यीशु ने कहा (देखें लूका 12:13-21) l अपने स्वर्गिक पिता से बढ़कर, उसकी सराहना और उसको प्यार करने से, वह हमारा प्रमुख सुख बना रहता है l जैसा कि भजनकार ने लिखा है, “भोर को हमें अपनी करुणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनंद करते रहें” (भजन 90:14) l 

प्रतिदिन उसमें आनंदित होना हमें संतोष का अनुभव कराता है, जिससे हम संतुष्ट रहते हैं l काश यीशु हमारे दिल की इच्छाओं से मुक्त करके, हमें परमेश्वर के लिए धनी बना दे!

ट्रैक(पटरी) पर कैसे रहें

संसार के सबसे तेज दृष्टिहीन धावक के रूप में, यु.एस. पैरालिम्पिक टीम के डेविड ब्राउन ने अपनी जीत का श्रेय परमेश्वर, अपनी माँ की प्रारंभिक सलाह (“यहाँ वहाँ बैठना नहीं”), और अपने साथ दौड़ने वाले मार्गदर्शक – अनुभवी तेज़ धावक जेरोम एवरी को दिया l ब्राउन की उँगलियों के साथ एक रस्सी से बंधे हुए रहकर एवरी शब्दों और स्पर्शों के साथ ब्राउन के दौड़ जीतने को निर्देशित करता है l 

ब्राउन कहता है, “यह उनके संकेतों को सुनने के बारे में है,” 200 मीटर की दौड़ में जहाँ ट्रैक मुड़ता है, वह व्यापक रूप से घूम सकता है l ब्राउन कहते हैं, “हम दिन-प्रतिदिन, दौड़ रणनीतियों को दोहराते हैं, परस्पर संवाद करते हैं – केवल मौखिक संकेत नहीं, बल्कि भौतिक संकेत l”

हमारे अपने जीवन की दौड़ में, हम एक दिव्य मार्गदर्शक को पाकर धन्य हैं l हमारा सहायक, पवित्र आत्मा, हमारे क़दमों का नेतृत्व करता है जब हम उसका अनुसरण करते हैं l यूहन्ना ने लिखा, “मैं ने ये बातें तुम्हें उन के विषय में लिखी हैं, जो तुम्हें भरमाते हैं” (1 यूहन्ना 2:26) l “परन्तु तुम्हारा वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया, तुम में बना रहता है; और तुम्हें इसका प्रयोजन नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए, वरन् वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया तुम्हें सब बातें सिखाता है, और यह सच्चा है और झूठा नहीं; और जैसा उसने तुम्हें सिखाया है वैसे ही तुम उसमें बने रहते हो” (पद.27) l 

यूहन्ना ने इस ज्ञान को अपने समय के विश्वासियों पर प्रबल किया, जिन्होंने “ख्रीस्त विरोधियों” का सामना किया जिन्होंने पिता का इन्कार किया और कि यीशु ही मसीह है (पद.22) l हम आज भी इस तरह के इन्कार करनेवालों का सामना करते हैं l लेकिन पवित्र आत्मा, हमारा मार्गदर्शक, यीशु का अनुसरण करने में हमारा साथ देता है l उसके हमें सच्चाई के साथ छूने के लिए और हमें ट्रैक पर रखने के लिए उसके मार्गदर्शन पर भरोसा कर सकते हैं l 

मित्रता बेंच(Friendship Bench)

अफ़्रीकी देश जिम्बाव्वे में, युद्ध आघात और अत्यधिक बेरोजगारी लोगों को निराशा में छोड़ सकती है – जब तक कि उन्हें “मित्रता बेंच-Friendship Bench” पर आशा नहीं मिलती है l आशाहीन लोग प्रशिक्षित “दादी” – वृद्ध महिलाएँ जिन्हें अवसाद से संघर्षरत लोगों से बात करने के लिए सिखाया गया है, के पास जाकर बात कर सकते हैं, जिसे उस देश के शोना भाषा में कुफंगिसिसा-kufungisisa, या “बहुत अधिक सोच रहे हैं” के रूप में जाना जाता है l 

जांजीबार, लन्दन, और न्यू यॉर्क शहर सहित अन्य स्थानों में फ्रेंडशिप बेंच प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है l लन्दन के एक शोधकर्ता ने कहा, “हम परिणामों से रोमांचित थे l” न्यू यॉर्क के एक परामर्शदाता ने सहमति व्यक्त की l “इससे पहले कि आप जाने, आप किसी बेंच पर नहीं हैं, आप किसी ऐसे व्यक्ति से गर्मजोशी से बातचीत कर रहे हैं जो परवाह करता है l 

यह परियोजना हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के साथ बात करने की गर्मजोशी और आश्चर्य को उजागर करती है l मूसा ने परमेश्वर के साथ बातचीत करने के लिए एक बेंच नहीं बल्कि एक तम्बू खड़ा किया, जिसे उसने मिलाप का तम्बू कहा l वहाँ, “यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें [करता है]” (निर्गमन 33:11) l उसका सहायक, यहोशु, तम्बू में से निकलता भी न था, शायद इसलिए कि वह परमेश्वर के साथ अपने समय को महत्त्व देता था (पद.11) l 

आज हमें मिलाप के तम्बू की ज़रूरत नहीं है l यीशु ने पिता को निकट लाया है l जैसा कि उसने अपने शिष्यों से कहा, “मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मै ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं” (युहन्ना 15:15) l हाँ, हमारा परमेश्वर हमारा इंतज़ार करता है l वह हमारे दिल का सबसे बुद्धिमान सहायक, हमारा समझनेवाला मित्र है l अभी उससे बातें करें l 

समय की गति कम करना

1840 के दशक में इलेक्ट्रिक घड़ी का आविष्कार होने के बाद से बहुत कुछ बदल गया है l हम अब स्मार्ट घड़ियों, स्मार्ट फोन और लैपटॉप पर समय देखते हैं जीवन की सम्पूर्ण गति तेज़ प्रतीत होती है – यहाँ तक कि हमारे “”इत्मीनान” से चलने की गति भी तेज़ होती जा रही है l यह विशेष रूप से शहरों में सच है और विद्वानों का कहना है कि यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है l एक अमेरिकी प्रोफेसर कहते हैं, “हम केवल तेजी से और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और जितनी जल्दी हो सके लोगों की ओर लौट रहे हैं l यह हमें सोचने को मजबूर कर रह है कि सब कुछ अभी होना चाहिए l”

बाइबल के भजनों का एक सबसे प्राचीन लेखक, मूसा, ने समय पर विचार किया l वह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर जीवन के समय को नियंत्रित करता है l “क्योंकि हज़ार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं जैसा कल का दिन जो बीत गया, या जैसे रात का एक पहर” (भजन 90:4) l 

इसलिए, समय प्रबंधन का रहस्य अधिक तेज या धीमी गति से आगे बढ़ना नहीं है l यह परमेश्वर में निवास करना है, उसके साथ अधिक समय बिताना है l तब हम एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाते है, लेकिन पहले उसके साथ – जिसने हमें बनाया (139:13) और जो हमारे उद्देश्य और योजनाएं जानता है (पद.16) l 

पृथ्वी पर हमारा समय हमेशा के लिए कायम नहीं रहेगा l फिर भी हम इसे बुद्धिमानी से प्रबंधित कर सकते हैं, घड़ी देखकर नहीं, बल्कि हर दिन परमेश्वर को देकर l जिस प्रकार मूसा कहता है, “हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान बन जाएँ” (भजन 90:12) l तब, परमेश्वर के साथ हम हमेशा समय पर, अब और हमेशा के लिए रहेंगे l 

वचन द्वारा मार्गदर्शित

लन्दन के बी बी सी में, पॉल आर्नोल्ड की पहली प्रसारण नौकरी रेडियो नाटकों में “चलने की आवाज़” लानी थी l जब अभिनेता चलने वाले किसी दृश्य के दौरान आलेख(script) से पढ़ते थे, तो स्टेज मेनेजर के रूप में पॉल अपने पैरों से उसके अनुकूल आवाज़े निकालते थे – सावधानीपूर्वक अभिनेता की आवाज़ और बोली जानेवाली पंक्तियों के साथ अपनी गति को मिलाकर l उन्होंने समझाया, “कहानी में प्रमुख चुनौती अभिनेता के अधीन होना था, इस तरह से हम दोनों एक साथ काम करते थे l”

इस तरह का एक दिव्य संस्करण भजन 119 के लेखक द्वारा तलाशा गया था, जो परमेश्वर के वचन के उपदेशों द्वारा जीने पर बल देता है l जैसा कि भजन 119:1 कहता है, “क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!” इस तरह परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शित और उसके निर्देशों का अनुसरण करने से, हम शुद्ध रहते हैं (पद.9), नफरत पर जय पाते हैं (पद.23), और लालच से बचते हैं (पद.36) l वह हमें पाप का सामना करने की योग्यता (पद.61), परमेश्वर का भय मानने वाले मित्र (पद.63), और आनंद से जीने की योग्यता देगा (पद.111) l

धर्मविज्ञानी चार्ल्स ब्रिजेस ने पद.133 पर टिपण्णी की : “जब मैं इसलिए संसार में एक कदम रखता हूँ, तो मुझे पूछने दीजिए – क्या यह परमेश्वर के वचन में सुव्यवस्थित है, जो मसीह को मेरे सिद्ध नमूना के रूप में प्रदर्शित करता है?”

इस तरह चलते हुए, हम यीशु को संसार को दिखाते हैं l काश वह हमें उसके साथ इतनी निकटता से चलने में हमारी करे कि लोग हमारे जीवनों में हमारे अगुआ, मित्र और उद्धारकर्ता की झलक देखें!

परमेश्वर से पूछना

जब मेरे पति डैन को कैंसर का पता चला, मैं परमेश्वर से उन्हें चंगा करने के लिए आग्रह करने का “सही” तरीका नहीं खोज पाई l मेरे सीमित दृष्टि में, संसार में अन्य लोगों के पास भी ऐसी गंभीर समस्याएँ थी – युद्ध, अकाल, गरीबी, प्राकृतिक आपदाएं l तब एक दिन, हमारे प्रातःकाल की प्रार्थना में, मैंने अपने पति को दीनता से आग्रह करते सुना, “प्रिय प्रभु, कृपया मेरी बीमारी को ठीक कर दें l”

यह अत्यंत सरल परन्तु हृदय को छू जानेवाला अनुनय था कि उसने मुझे हर प्रार्थना अनुरोध को जटिल करने से रोकने के लिए याद दिलाया, क्योंकि परमेश्वर सहायता के लिए हमारे ईमानदार पुकार को पूरी तौर से सुनता है l जैसे दाऊद ने सरलता से पूछा, “लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर” (भजन 6:4) l

यह वही है जो दाऊद ने आध्यात्मिक भ्रम और निराशा के समय में घोषित किया था l इस भजन में उसकी वास्तविक स्थिति को नहीं समझाया गया है l हालाँकि, उनकी ईमानदार दलीलें, परमेश्वर की मदद और बहाली की गहरी इच्छा दिखाती हैं l उसने लिखा, “मैं कराहते कराहते थक गया” (पद.6) l

फिर भी, पाप के साथ-साथ, दाऊद ने अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ा, और यह उसे अपनी ज़रूरत के साथ परमेश्वर के पास जाने से रोक न सकी l इस प्रकार, परमेश्वर के उत्तर देने से पहले ही, दाऊद आनंदित हो गया, “यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है . . . यहोवा मेरे प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा” (पद.8-9) l

हमारे अपने भ्रम और अनिश्चितता के बावजूद, परमेश्वर अपने बच्चों की ईमानदार दलीलों को सुनता है और स्वीकार करता है l वह हमें सुनने के लिए तैयार है, खासकर जब हमें उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है l

परदेशी से प्रेम करना

मेरे परिवार की एक सदस्या के एक अलग धर्म में परिवर्तित होने के बाद, मसीही मित्रों ने मुझे उसे यीशु के पास लौटने के लिए “मनाने” का आग्रह किया l मैंने खुद को पहली बार अपने परिवार की सदस्या से यीशु की तरह प्यार करने की कोशिश करते हुए पाया – सार्वजनिक स्थानों पर भी जहाँ कुछ लोगों ने “विदेशी-दिखने” वाले उसके वस्त्रों पर नाक भौं चढ़ाए l अन्य लोगों ने भी असभ्य टिप्पणियाँ की l “अपने घर जाओ!” एक व्यक्ति ने अपने ट्रक पर से उस पर चिल्लाया, नहीं जानते हुए या जाहिर तौर पर परवाह करते हुए कि वह पहले से ही “घर” पर है l

मूसा ने उन लोगों के प्रति व्यवहार करने का एक और कोमल तरीका सिखाया, जिनके वस्त्र या विश्वास अलग महसूस होते हैं l और दया के नियम सिखाते हुए, मूसा ने इस्राएल की संतानों को निर्देश दिया, “तुम परदेशी को न सताना और न उस पर अंधेर करना, क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे” (निर्गमन 23:9) l यह अध्यादेश सभी परदेशियों, पूर्वाग्रह और दुर्व्यवहार के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए परमेश्वर की चिंता व्यक्त करता है, और यह निर्गमन और लैव्यव्यवस्था 19:33 में दोहराया गया है l

इसलिए जब मैं अपने परिवार के सदस्य के साथ बात करने के लिए समय बिताती हूँ – एक रेस्टोरेंट में, एक पार्क में, एक साथ टहलने या बैठने और अपने सामने वाले पोर्च के नीचे – मैं सबसे पहले उसे उसी दया और सम्मान को दिखाने की तलाश करती हूँ जो अनुभव मैं चाहती हूँ l यह यीशु के मधुर प्रेम को उसे याद दिलाने का एक सबसे अच्छा तरीका है, उसको अस्वीकार करने के लिए उसका अपमान करके नहीं, बल्कि उसे प्यार करते हुए, जैसा कि वह हम सभी से प्यार करता है – अद्भुत अनुग्रह के साथ l

गीत से मजबूती मिली

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब फ़्रांसीसी ग्रामीणों ने यहूदी शरणार्थियों को नाज़ियो(Nazi) से छिपने में मदद की, कुछ लोगों ने अपने शहर के चारोंओर घने जंगल में गीत गाए – और इस प्रकार शरणार्थियों को सूचित किया कि छिपने के स्थान से बाहर निकलना सुरक्षित था l ली-शोमबॉन-शु-लिंग्यु(Le Chambon-sur-Lignon) शहर के बहादुर लोगों ने स्थानीय पासवान आंद्रे ट्रोक्मी और उनकी पत्नी, मैग्डा का युद्ध के समय यहूदियों को उनके “ला मोंटेगने प्रोतेसतान्ते (La Montagne Protestante) नामक असुरक्षित पठार पर शरण देने के आह्वान का उत्तर दिया था l उनका संगीतमय संकेत ग्रामीणों की बहादुरी का केवल एक चिन्ह बन गया जिसने 3,000 यहूदियों तक को लगभग निश्चित मृत्यु से बचाने में सहायता की l

एक और खतरनाक समय में, दाऊद ने गीत गाया जब उसके शत्रु शाऊल ने उसके घर पर रात्रिकालीन हत्यारे भेजे l संगीत का उसका उपयोग एक संकेत नहीं था; बल्कि, वह परमेश्वर के प्रति जो जसका शरणस्थान था एक गीत था l दाऊद आनंदित हुआ, “मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करुणा का जयजयकार करूंगा l क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है” (भजन 59:16) l

इस प्रकार का गीत गाना खतरे के समय “बहादुरी का अभिनय” नहीं था l इसके बदले, दाऊद का गीत गाना सर्वशक्तिमान परमेश्वर में उसके भरोसे को प्रगट करना था l “हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करुणामय परमेश्वर है” (पद.17) l

दाऊद की प्रशंसा, और ली-शोमबॉन(Le Chambon) में ग्रामीणों का गीत गाना, आज हमें परमेश्वर को धन्य कहने, जीवन की चिंताओं के बावजूद उसकी प्रशंसा करने के लिए निमंत्रण देता है l उसकी प्रेमी उपस्थिति अनुकूल होगी और हमारे हृदयों को सामर्थ्य मिलेगी l