एक प्रसिद्ध डच वैज्ञानिक को कब्रिस्तान में अपनी श्रद्धांजलि में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने आपसी वैज्ञानिक विवादों का उल्लेख नहीं किया । इसके बजाय, उन्होंने हेंड्रिक ए. लोरेंत्ज़ की “कभी न कम होनेवाली दया” को याद किया, एक प्रिय भौतिक विज्ञानी जो अपने सहज आचरण और दूसरों के साथ निष्कपट व्यवहार के लिए जाना जाता था । आइंस्टीन ने कहा, “हर किसी ने उनका ख़ुशी से पालन किया, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि वह किसी पर हावी न हुआ बल्कि हमेशा सरलता से उपयोग होना चाहा ।”

लॉरेंत्ज़ ने वैज्ञानिकों को प्रेरित किया कि वे राजनीतिक पूर्वाग्रह को हटाकर एक साथ काम करें, खासकर प्रथम विश्व युद्ध के बाद । “युद्ध खत्म होने से पहले भी,” आइंस्टीन ने अपने साथी नोबेल पुरस्कार विजेता के बारे में कहा, “[लोरेंट्ज़] ने खुद को सुलह के काम के लिए समर्पित कर दिया ।”

सामंजस्य के लिए काम करना चर्च में भी सभी का लक्ष्य होना चाहिए । सच है, कुछ संघर्ष अपरिहार्य है । फिर भी हमें शांतिपूर्ण प्रस्तावों के लिए काम करना चाहिए । पौलुस ने लिखा, “सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे” (इफिसियों 4:26) । साथ-साथ उन्नति करने के लिए, प्रेरित ने सलाह दी, “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुहं से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो” (पद. 29) ।

अंत में, पौलुस ने कहा, “सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निंदा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए l एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किये, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो” (पद.31–32  संघर्ष से मुड़ने में जब भी हम सक्षम होते हैं हम चर्च की उन्नति में मदद करते हैं । इसके द्वारा, वास्तव में, हम उसका सम्मान करते हैं ।