कभी देरी नहीं
एक छोटे से पश्चिम अफ्रीकी शहर के आगंतुक के रूप में, मेरे अमेरिकी पादरी ने रविवार की सुबह 10 बजे की आराधना के लिए समय पर पहुंचना सुनिश्चित किया; हालाँकि, उन्होने कमरा खाली पाया तो उन्होने इंतजार किया। एक घंटा। दो घंटे। अंत में, लगभग 12:30 बजे, जब स्थानीय पादरी एक लंबी दूरी तय करने के बाद वहां पहुंचे, उनके बाद कुछ गाना गानेवाले और शहर के मित्रवत लोगों का एक समूह आया — आराधना समय की परिपूर्णता में शुरू हुई, जैसा कि मेरे पादरी ने बाद में कहा था “आत्मा ने हमारा स्वागत किया, और परमेश्वर को देर नहीं हुई।” मेरे पादरी समझ गए थे कि यहां की संस्कृति अपने कुछ अच्छे कारणों से अलग है।
समय तुलनाल्मक लगता है, लेकिन परमेश्वर के सिद्ध, समय पूर्वक स्वभाव की पुष्टि पूरे पवित्रशास्त्र में की गई है। लाजर के बीमार होने और मरने के बाद, यीशु चार दिन बाद आया, लाजर की बहनों ने पूछा, “क्यों हे प्रभु? मार्था ने यीशु से कहा, “यदि तुम यहाँ होते, तो मेरा भाई न मरता” (यूहन्ना 11:21)। हम भी ऐसा ही सोच सकते हैं, यह सोचकर कि परमेश्वर हमारी समस्याओं को ठीक करने के लिए जल्दी क्यों नहीं करते। इसके बजाय उसके उत्तरों और शक्ति के लिए विश्वास से प्रतीक्षा करना बेहतर है।
जैसा कि धर्मशास्त्री हॉवर्ड थुरमन ने लिखा है, “हम प्रतीक्षा करते हैं, हमारे पिता, जब तक कि आपकी ताकत का कुछ हमारी ताकत नहीं बन जाता, आपके दिल का कुछ हमारा दिल नहीं बन जाता है, आपकी क्षमा का कुछ हमारी क्षमा नहीं बन जाता है। हम प्रतीक्षा करते हैं, हे परमेश्वर4 हम प्रतीक्षा करते हैं।” फिर, जैसा कि लाजर के साथ हुआ जब परमेश्वर जवाब देता है, तो हम चमत्कारिक रूप से उस चीज़ से आशीषित होते हैं जो आखिरकार देरी नहीं थी।
जैसे मैं हूँ
युवती सो नहीं पा रही थी। आजीवन शारीरिक रूप से विकलांग, अपनी उच्च शिक्षा के भुगतान का दान प्राप्त करने के लिए, अगले दिन वह चर्च बाज़ार में मुख्य मंच पर होगी। लेकिन मैं योग्य नहीं हूं, शार्लोट इलियट ने तर्क दिया।, पलटते और मुड़ते हुए, उसने अपनी साख पर संदेह किया, अपने आत्मिक जीवन के हर पहलू पर सवाल उठाया। अगले दिन फिर भी बेचैन, अंत में वह उत्कृष्ट भजन “जैसे मैं हूँ” के शब्दों को लिखने के लिए कलम और कागज उठाने के लिए टेबल पर गई।
“जैसे मैं हूँ, बगैर एक दलील,/पर तेरा लहू मेरे लिए बहाया गया,/ और यह कि तूने मुझे अपने पास बुलाया,/ मसीह, मसीह मैं आती हूँ। ”
1835 में लिखे गये, उसके शब्द, व्यक्त करते है कि यीशु ने कैसे अपने चेलों को बुलाया कि वें आए और उसकी सेवा करें। इसलिये नहीं क्योंकि वे तैयार थे। वे तैयार नहीं थे। परन्तु क्योंकि उन्होंने उन लोगों को-जैसे वे थे अधिकृत किया। एक असंगत समूह, उनके बारह के समूह में एक चुंगी लेने वाला, कट्टरपंथी, दो अति महत्वाकांक्षी भाई शामिल थे (मरकुस 10:35-37), और यहूदा इस्करियोती “जिसने उसे पकड़वा दिया” (मत्ती 10:4)। फिर भी, उन्होंने यह कहकर अधिकार दिया “बीमारों को चंगा करो, मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्टात्माओं को निकालो। ” (पद 8) और वह भी बिना पटुका, रूपा, ताँबा, झोली, न दो कुरते, न जूते और न लाठी (9-10)।
उन्होंने कहा “..मैं तुम्हें ... भेजता हूँ,” (पद 16), और वह पर्याप्त था। हम में से प्रत्येक के लिए जो उसे हाँ कहते हैं, वह अभी भी है।
बड़ी अपेक्षाएं
क्रिसमस से पहले एक व्यस्त दिन, एक बूढ़ी औरत मेरे भीड़-भाड़ वाले पड़ोस के डाकघर के मेल काउंटर पर पहुंची। उसकी धीमी गति को देखकर, धैर्यवान डाक क्लर्क ने उसका अभिवादन किया, “अच्छा नमस्ते, जवान महिला!” उसका शब्द मित्रवत था, लेकिन कुछ लोग उन्हें इस तरह सुन सकते हैं कि “युवा होना” बेहतर है।
बाइबल हमें यह देखने के लिए प्रेरित करती है कि उन्नत आयु हमारी आशा को प्रेरित कर सकता है। शिशु यीशु को जब पवित्र ठहराने के लिए युसूफ और मरियम के द्वारा मन्दिर में लाया जाता है(लुका 2:23; देखें निर्गमन 13:2, 12), दो बुज़ुर्ग विश्वासी बीच में अचानक अहम् स्थान लेते है।
पहला, सिमोन—जो वर्षों से मसीहा को देखने का इंतजार कर रहा था-“ .. उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्वर का धन्यवाद करके कहा : “हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है, क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है, जिसे तू ने सब देशों के लोगों के सामने तैयार किया है,”
फिर जैसे शिमोन मरियम और यूसुफ से बातें कर रहा था हन्नाह, एक “बहुत बूढ़ी” भविष्यद्वक्तिन आती है (v.36)। एक विधवा जो सिर्फ सात साल विवाहित रही, वह चौरासी साल की उम्र तक मंदिर में ही थी, मंदिर को कभी नहीं छोड़ा, वह “उपवास और प्रार्थना कर करके रात–दिन उपासना किया करती थी।” जब उसने यीशु को देखा, वह “उन सभों से, जो यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उस बालक के विषय में बातें करने लगी।” (vv.37-38) और प्रभु की स्तुति करने लगी।
ये दो आशा से भरपूर दास हमें याद दिलाते है की हमें बड़ी आशा के साथ- परमेश्वर की प्रतीक्षा करना कभी बंद नहीं करनी चाहिए- भले ही हमारी उम्र कुछ भी क्यों न हो।
मसीह को सुनना, अव्यवस्था को नहीं
प्रतिदिन कई घंटों तक टीवी पर समाचार देखने के बाद, वह बुज़ुर्ग व्यक्ति घबरा गया और चिंतित हो गया—चिंतित इसलिए कि दुनिया बिखर रही है और उसे अपने साथ ले जा रही है l “कृपया टीवी बंद कर दें,” उसकी व्यस्क बेटी ने उनसे आग्रह किया l “सुनना तुरंत बंद कर दीजिए l” लेकिन वह व्यक्ति सोशल मीडिया और दूसरे समाचार स्त्रोतों में अधिकाधिक समय बिताता रहा l
जो हम सुनते हैं वह गहराई से मायने रखता है l हम इसे यीशु का पिलातुस के साथ सामना करने में देखते हैं l धार्मिक अगुओं द्वारा उसके विरुद्ध अपराधिक अभियोग का उत्तर देते हुए, पिलातुस ने उसे बुलवाकर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” (यूहन्ना 18:33) l यीशु ने हक्का-बक्काकर देनेवाला (चौकाने वाले) प्रश्न के साथ उत्तर दिया : “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या दूसरों ने मेरे विषय में तुझ से यह कहा है?” (पद.34) l
वही प्रश्न हमें भी जाँचता हैl घबराहट के संसार में, हम अव्यवस्था या अराजकता को सुन रहे हैं या मसीह को? निश्चित रूप से,उसने कहा “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं,” l “मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (10:27) l यीशु ने उस पर संदेह करनेवाले धार्मिक अगुओं को समझाने के लिए “यह दृष्टान्त कहा” (पद.6) l उसने कहा कि एक अच्छे चरवाहे की तरह, उसकी “भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं, क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं l परन्तु वे पराए के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानतीं” (पद.4-5) l
अच्छे चरवाहे के रूप में, यीशु हमें सभी बातों के ऊपर उसे सुनने के लिए कहता है l संभवतः हम उसे अच्छी तरह से सुने और उसकी शांति पाए l
परमेश्वर की दूरदर्शिता पर भरोसा
हमें एक अपरिचित स्थान पर ले जाते समय, मेरे पति ने देखा कि जीपीएस दिशाएँ अचानक गलत लग रही थीं। एक विश्वसनीय चार -लेन राजमार्ग में प्रवेश करने के बाद, हमें सलाह दी गई कि हम बाहर निकलें और हमारे समानांतर चलने वाली एक-लेन "सर्विस" सड़क के साथ यात्रा करें। कोई देरी न होने के बावजूद डैन ने कहा, "मैं बस इस पर भरोसा करूंगा।" हालाँकि, लगभग दस मील के बाद, हमारे बगल के राजमार्ग पर यातायात धीमा हो गया और लगभग ठप हो गया। मुसीबत? बड़ा निर्माण कार्य। और सर्विस रोड? कम यातायात के साथ, इसने हमारी मंज़िल के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रदान किया। "मैं आगे नहीं देख सकता," डैन ने कहा, "लेकिन जीपीएस देख सकता था।" या, जैसा कि हम सहमत थे, "ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर देख सकता है।"
आगे क्या है,यह जानते हुए, परमेश्वर ने स्वप्न में उन बुद्धिमानों को उनकी दिशाओं में ऐसा ही परिवर्तन करने को कहा था जो पूर्व से "यहूदियों का राजा" (मत्ती 2:2) यीशु की आराधना करने के लिए आए थे, । राजा हेरोदेस, एक "प्रतिद्वंद्वी" राजा की खबर से परेशान होकर, जादूगर से झूठ बोला, उन्हें बेथलहम भेजकर कहा: "जाओ, उस बालक के विषय में ठीक-ठीक मालूम करो, और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उस को प्रणाम करूं" (पद 8)। एक सपने में चेतावनी दी गई थी कि "हेरोदेस के पास फिर न जाना," हालांकि, "वे दूसरे मार्ग से अपने देश को चले गए" (पद 12)।
परमेश्वर हमारे कदमों का भी मार्गदर्शन करेंगे। जब हम जीवन के राजमार्गों में यात्रा करते हैं, तो हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह जानता है कि आगे क्या है और आश्वस्त रह सकते है कि "वह [हमारे] लिये सीधा मार्ग निकालेगा" जब हम उसके निर्देशों के अधीन होते हैं (नीतिवचन 3:6)।
आकाश के पक्षी
गर्मियों का सूरज उग रहा था और मुस्कुराती हुई मेरी पड़ोसन ने मुझे अपने सामने के यार्ड में देखकर फुसफुसाया आओ देखो। "क्या?" मैं उत्सुकता से वापस फुसफुसाई। उसने अपने सामने के बरामदे पर एक विंड चाइम की ओर इशारा किया, जहां एक धातु के डंडे के ऊपर पुआल का एक छोटा प्याला रखा हुआ था। "एक चिड़ियों का घोंसला," वह फुसफुसाई। "बच्चों को देखो?" दो चोंच, सुई जैसी छोटी, ऊपर की ओर इशारा करते हुए मुश्किल से दिखाई दे रही थीं। "वे माँ की प्रतीक्षा कर रहे हैं।" हम वहाँ खड़े थे, अचंभित हो रहे थे। मैंने एक तस्वीर खींचने के लिए अपना सेल फोन ऊपर किया। "ज्यादा करीब नहीं," मेरे पड़ोसन ने कहा। "माँ को डराना नहीं चाहते।" और इसके साथ ही, हमने दूर से ही - चिड़ियों के एक परिवार को अपनाया।
लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं। एक और हफ्ते में, चिड़िया और बच्चे चले गए—उतनी ही चुपचाप से जितनी चुपचाप से आए थे। लेकिन उनकी देखभाल कौन करेगा?
बाइबल एक गौरवशाली परन्तु परिचित उत्तर देती है। यह इतना परिचित है कि हम वे सब भूल सकते हैं जिसका ये वायदा करता है: " अपने प्राण के लिए.. चिन्ता न करना। " यीशु ने कहा (मत्ती 6:25)। एक सरल लेकिन सुंदर निर्देश। उन्होंने कहा। "आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हें खिलाता है" (पद 26)।
परमेश्वर जैसे छोटे पक्षियों की परवाह करता है, वैसे ही वह हमारी परवाह करता है - हमारे मन, शरीर, प्राण और आत्मा को पोषित करता है। यह एक महाप्रतापी वादा है। हम प्रतिदिन—बिना किसी चिंता के— उसकी ओर देखें और ऊंचा उड़ते जाएं।
जीवित जल
कटे हुए फूल नीलगिरी से आए थे। जब तक वे मेरे घर पहुंचे, वे झुके हुए और सड़क पर थके हुए थे। निर्देशों ने उन्हें ताज़ा पानी के ठंडे पेय के साथ पुनर्जीवित करने को कहा। हालाँकि, उससे पहले, फूलों के तनों को काटना पड़ता ताकि वे पानी को अधिक आसानी से पी सकें। लेकिन क्या वे बच पाते?
अगली सुबह, मुझे मेरा उत्तर मिला। नीलगिरी के गुलदस्ते का एक शानदार नजारा था, फूलों की विशेषता जो मैंने पहले कभी नहीं देखी था। ताजे पानी ने सारा फर्क लाया था।— जो यीशु ने पानी और विश्वासी होना क्या होता है के बारे में कहा एक अनुस्मारक था।
जब यीशु ने सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी माँगा—इसका मतलब जो पानी वह कुएं से निकलती वह पिते—उन्होंने उसका जीवन बदल दिया। वह उनके गुजारिश से चौंक गई। यहूदी सामरी को नीची नज़र से देखते थे। लेकिन यीशु ने कहा, “यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।” (4:10)। बाद में, मन्दिर में, उन्होंने कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए।”(7:37)। जिन्होंने उस पर विश्वास किया उन में से, “उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी उसने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे;” (38-39)।
आज जब हम थके हुए होते हैं तो परमेश्वर का ताजगी देने वाली आत्मा हमें पुनर्जीवित करती है। वह जीवित जल है जो पवित्र ताजगी के साथ हमारे आत्मा में बास करता है। आज हम गहरा पिए।
सीखना और प्यार करना
ग्रीनॉक, स्कॉटलैंड के एक प्राथमिक विद्यालय में, मातृत्व अवकाश पर तीन शिक्षक हर दो हफ्ते में अपने बच्चों को स्कूली बच्चों के साथ बातचीत करने के लिए उन्हें स्कूल लाये। बच्चों के साथ खेलने का समय बच्चों को सहानुभूति, या दूसरों की देखभाल और दूसरों के प्रति भावना सिखाता है। अक्सर, जैसा कि शिक्षक ने कहा सबसे अधिक ग्रहणशील वे छात्र होते हैं जो "थोड़ा चुनौतीपूर्ण" होते हैं। "अक्सर [स्कूली बच्चे] एक-से-एक स्तर पर अधिक बातचीत करते हैं।" वे “एक बच्चे का देखभाल करना कितना कठिन है ”सीखते है, और “एक दूसरे के भावनाओं के बारे में भी।”
यीशु में विश्वासियों को बच्चों से दूसरों की चिंता करना सीखना कोई नया विचार नहीं। हम उसे जानते हैं जो शिशु यीशु के रूप में आया था। हम उसके जन्म ने रिश्तों की देखभाल के बारे में जो कुछ हम समझते थे सब बदल दिया। सबसे पहले मसीह के जन्म के बारे में जानने वाले चरवाहे थे, एक नम्र पेशा जिसमें कमजोर और आलोचनीय भेड़ों की देखभाल शामिल है। बाद में, जब बच्चे यीशु के पास लाये गये। उसने चेलों को डाटा जिन्होंने बच्चों को अयोग्य समझा था। “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है। ”(मरकुस 10:14)।
यीशु “और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।” (16)। हमारे जीवनों में कभी-कभी उनके "चुनौतीपूर्ण" बच्चों के रूप में, हमें भी अयोग्य माने जा सकते है। इसके बजाय, जो एक बच्चे के रूप में आया था, मसीह हमें अपने प्रेम से ग्रहण करता है—इस प्रकार हमें बच्चों और सभी लोगों से देखभाल और प्रेम करने की शक्ति सिखाता है।
जाने देने की ताकत
कभी विश्व के सबसे मजबूत व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले, अमेरिकी भारोत्तोलक पॉल एंडरसन ने एक गंभीर आंतरिक कान के संक्रमण और १०३ डिग्री बुखार के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में १९५६ के ओलंपिक में विश्व रिकॉर्ड बनाया। सबसे आगे चलने वालों से पीछे छूटते हुए, स्वर्ण पदक के लिए उनका एकमात्र मौका अपने आखिरी आयोजन में एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड स्थापित करना था। उसके पहले दो प्रयास बुरी तरह विफल रहे।
इसलिए, इस भारी एथलीट ने वही किया जो हममें से सबसे कमजोर भी कर सकता है। उसने अपनी शक्ति को त्यागते हुए, परमेश्वर को अतिरिक्त शक्ति के लिए पुकारा। जैसा कि उन्होंने बाद में कहा, "यह कोई सौदा नहीं था। मुझे मदद की आवश्यकता थी।" अपने अंतिम लिफ्ट के दौरान, उन्होंने अपने सिर पर ४१३.५ पाउंड (१८७. ५ किलोग्राम) उठाया।
मसीह के प्रेरित पौलुस ने लिखा, "जब मैं निर्बल होता हूं, तब बलवन्त होता हूं" (२ कुरिन्थियों १२:१०)। पौलुस आत्मिक शक्ति की बात कर रहा था, परन्तु वह जानता था कि परमेश्वर की सामर्थ "निर्बलता में सिद्ध होती है" (पद ९)।
जैसा कि भविष्यवक्ता यशायाह ने घोषणा की, "[यहोवा] थके हुए को बल देता है, और निर्बलों को बल देता है" (यशायाह ४०:२९)।
ऐसी ताकत को पाने का रास्ता क्या था? यीशु में बने रहना। उसने कहा, "मुझसे अलग होकर तुम कुछ नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। जैसा कि भारोत्तोलक एंडरसन ने अक्सर कहा, "यदि दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति यीशु मसीह की शक्ति के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता है - तो यह आपको कहाँ छोड़ता है?" यह पता लगाने के लिए, हम अपनी स्वयं की भ्रामक शक्ति पर अपनी निर्भरता को छोड़कर, परमेश्वर से उसकी शक्तिशाली और प्रबल मदद मांग सकते हैं।