12 वर्ष की आयु में इब्राहिम पश्चिमी अफ्रीका से इटली में रहने के लिए पहुंचा। उस समय उसे वहां की भाषा का एक शब्द भी नहीं आता था वह अटक अटक कर बोलता जिसकी वजह से उसे आवास-विरोधी बातें सुननी पड़ती थीं। इन सब बातों ने उस 20 वर्षीय जवान का हौसला न तोड़ा और वह कठिन परिश्रम करके इटली के ट्रेनटो शहर में एक पिज़्ज़ा दुकान खोलने पाया। उनके छोटे से व्यवसाय ने संदेह करने वालों का दिल जीत लिया और उसे दुनिया के शीर्ष पचास पिज़्ज़ेरिया में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया।

तब उनकी आशा इतालवी सड़कों पर भूखे बच्चों को खाना खिलाने में मदद करने की थी। इसलिए उन्होंने वहा के परंपरा का विस्तार करके “सहानुभूति पिज्जा” शुरू की—जहां ग्राहक जरूरतमंद लोगों के लिए अतिरिक्त कॉफी (कैफ़े सोस्पेसो) — पिज़्ज़ा (पिज्जा सोस्पेसा) खरीदते हैं। उन्होंने आप्रवासी बच्चों से पूर्वाग्रह से परे देखने और हार न मानने का भी आग्रह किया।

इस तरह की दृढ़ता गलातियों को सभी को लगातार अच्छा करने की पौलुस की सीख की याद दिलाती है। “हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।” (गलातियों 6:9)। आगे लिखते है, “इसलिये जहाँ तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ। (पद10)।

इब्राहिम, एक परदेसी था जिसने लोगों के तिरस्कार और भाषा न आने के तनाव के बावजूद के बावजूद भी भले काम करने का अवसर बनाया।। भोजन सहनशीलता और समझ की ओर ले जाने वाला “एक पुल” बन गया।। ऐसी दृढ़ता से प्रेरित होकर, हम भी अच्छा करने के अवसरों की तलाश कर सकते हैं। तब, प्रभु को महिमा मिलती है क्योंकि वह हमारे निरंतर प्रयास के माध्यम से कार्य करता है।