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Articles by पो फैंग चिया

मित्र से प्राप्त धाव

चार्ल्स लोवेरी ने अपने मित्र से पीठ के निचले भाग में दर्द की शिकायत की l उसे  सहानुभूतिक शब्द नहीं, किन्तु ईमानदार मूल्यांकन मिला l उसके मित्र ने कहा, “मेरे विचार से तुम्हारी तुम्हारा पेट है l तुम्हारा अत्याधिक बड़ा पेट तुम्हारे पीठ को खींच रहा है l

REV! पत्रिका  के अपने लेख में, चार्ल्स ने लिखा कि वह अपमानित होने की बजाए अपना वजन कम करके पीठ के दर्द से छुटकारा पा लिया l चार्ल्स ने पहचाना कि “खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है l जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य हैं” (निति. 27:5-6) l

 मुसीबत यह है कि अक्सर हम आलोचना के फाएदे से अधिक बड़ाई द्वारा बर्बाद होना चाहते हैं, क्योंकि सच्चाई तकलीफ़देह होती है l यह हमारे अहम् को चोट पहुंचाती है, और हमें असहज करके परिवर्तन चाहता है l

सच्चे मित्र हमारी हानि में आनंदित नहीं होते हैं l बल्कि, अपने अधिक प्रेम के कारण हमें धोखा नहीं देते l ये वे हैं, जो प्रेम से, हमें हमारी वास्तविक स्थिति को पहचानने और उसके अनुकूल जीन सिखाते हैं l वे हमें हमारी पसंद और नापसंद बताते है l

सुलेमान नीतिवचन में ऐसी मित्रता का सम्मान करता था l यीशु इससे भी आगे कहता है-उसने केवल हमारे विषय सच बताने के लिए हमारे तिरस्कार के घाव नहीं सहे किन्तु हमारे प्रति अपना अगाध प्रेम दर्शाने के लिए l

एक सुरक्षित स्थान

एक युवा जापानी समस्याग्रस्त था-वह अपने घर के बाहर जाने से डरता था l लोगों से दूर रहने के लिए, वह दिन में सोता था और पूरी रात टी.वी. देखते हुए जागता था l वह किकिकोमोरी  या आधुनिक सन्यासी था l  समस्या स्कूल में कम अंक लाने के कारण स्कूल छोड़ने से शुरु हुई l समाज से अधिक दूरी बनाकर, खुद को समाजिक रूप से अनुपयुक्त समझने लगा l आख़िरकार उसने अपने मित्रों और परिवार से बोलचाल बंद कर दिया l वह टोक्यो में इबासु- एक सुरक्षित स्थान जहाँ टूटे लोग पुनः समाज में लौट सकते हैं-नामक एक युवा क्लब में जाकर पुनः आरोग्य हो सका l

कैसा होता यदि हम कलीसिया को इबासु –और उससे अधिक समझते? शंका नहीं, हम टूटे लोगों का एक समाज हैं l पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया के पूर्व जीवन को समाज-विरोधी, हानिकारक, और खुद और दूसरों के लिए खतरनाक बताया (1 कुरिं. 6:9-10) l किन्तु यीशु में वे रूपांतरित और पूर्ण बन रहे थे l और पौलुस ने इन बचे हुए लोगों को परस्पर प्रेम करने, धीरज धरने और दयालु बनने, और ईर्ष्यालु अथवा अहंकारी या अशिष्ट नहीं बनने हेतु उत्साहित किया (13:4-7) l

चर्च को इबासु  बनाना है जहाँ सब, किसी भी संघर्ष या टूटेपन का सामना करते हुए, परमेश्वर और उसका प्रेम अनुभव करें l काश हम मसीहियों से यह दुखित संसार मसीह का अनुभव कर सके l

ऊष्मांक(Calories) के लायक?

मैं सिंगापुर का एक प्रचलित भोजन, अंडा रोटी पराठा, पसंद करती हूँ l इसलिए मुझे पढ़ने की जिज्ञासा हुई कि एक 125 पौंड (57 किलो) के व्यक्ति को 240 कैलोरीज जलाने के लिए 5 मील (8 किलोमीटर) प्रति घंटे की गति से 30 मिनट तक दौड़ना होगा जो केवल एक अंडा रोटी पराठा  के बराबर है l

जिम में जाने…

उन्हें कौन बताएगा?

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और शांति घोषित हुई l किन्तु फिलिपीन्स के एक द्वीप में तैनात जापानी शाही सेना का युवा लेफ्टिनेंट हीरू ओनोडा इस बात से अज्ञान था l युद्ध समाप्ति की सूचना देने हेतु उसे खोजने हेतु उसके ठिकाने पर पर्चे गिराए गए l किन्तु ओनोडा, 1945 में प्राप्त अपने अंतिम आदेश का पालन करके सारे प्रयास…

मानव दौड़

अलार्म घड़ी बोली l बहुत सुबह महसूस हो रहा है l किन्तु आगे एक लम्बा दिन है l आपके पास करने के लिए काम है, लोगों से नियुक्त मुलाकात, लोगों की देखभाल,या इन सब के साथ और भी l अच्छा, आप अकेले नहीं हैं l प्रतिदिन, हममें से अनेक एक न एक बात के लिए भागते रहते हैं l जैसे…

प्रेम करना सीखना

एक पुराने गीत के अनुसार प्रेम “संसार को चलाने से अधिक करता है l” यह हमें अतिसंवेदनशील बनाता है l कभी-कभी हम खुद से कह सकते हैं : “प्रेम क्यों करें जब दूसरे सराहते नहीं”, या “खुद को तकलीफ पहुंचाएं”: किन्तु प्रेरित पौलुस प्रेम का अनुकरण हेतु सरल कारण देता है l “पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थायी…

प्रभु, मदद करें!

मैं अपनी सहेली के माँ बनने के विषय सुनकर आनंदित हुई! जन्म होने तक हम दोनों दिन गिनते रहे l किन्तु प्रसव के समय बच्चे को दिमागी क्षति पहुँचने पर, मुझे बहुत दुःख हुआ और मैं समझ नहीं पाई प्रार्थना कैसे की जाए l मैं केवल जानती थी किससे प्रार्थना की जाए-परमेश्वर l वह हमारा पिता हमारी सुनता है l…

जानना और करना

चीनी दर्शनशास्त्री हैन फैजी ने जीवन के विषय यह अवलोकन किया : “तथ्य जानना सरल है l तथ्यों पर आधारित होकर कार्य करना जानना कठिन है l”

यह समस्या लेकर एक धनी व्यक्ति यीशु पास आया l वह मूसा की व्यवस्था जानता और मानता था (मरकुस 10:20) l किन्तु शायद सोचता था यीशु और कौन से तथ्य उसे बताएगा l…

प्रार्थना की लम्बी दौड़

क्या आप अविरुद्ध प्रार्थना जीवन बनाए रखने में संघर्षरत् हैं? हममें से अनेक हैं l हम जानते हैं प्रार्थना महत्वपूर्ण है, किन्तु वह सर्वथा कठिन हो सकता है l हमारे पास परमेश्वर के साथ सहभागिता के गहरे क्षण हो सकते हैं और तब हमारे कुछ क्षण केवल औपचारिक हो सकते हैं l हम प्रार्थना में इतना संघर्ष क्यों करते हैं?…