अपनी बेटी की समस्या बताते समय उसकी आवाज़ में व्याकुलता थी l  अपनी बेटी के संदिग्ध मित्रों के विषय परेशान, इस चिंतित माँ ने उसका मोबाइल फ़ोन छीनकर हर जगह उसकी निगरानी करने लगी l दोनों के बीच का सम्बन्ध बद से बदतर हो गया l

उसकी बेटी से बातचीत से मैंने पाया कि वह अपनी माँ से अत्यधिक प्रेम करती है किन्तु दमघोंटू प्रेम में उसकी सांस रुकती है l वह स्वतंत्र होना चाहती है l

अपूर्ण व्यक्ति होने के कारण हम सब अपने संबंधों में संघर्ष करते हीन l हम माता-पिता हैं अथवा बच्चे, अविवाहित या विवाहित, हम प्रेम के सही प्रगटन का सामना करते हैं, अर्थात् सही समय पर सही बात कहना और करना l

1 कुरिन्थियों 13 में पौलुस सिद्ध प्रेम को परिभाषित करता है l उसके मानक अद्भुत है, किन्तु उस प्रेम का अभ्यास पुर्णतः चुनौतीपूर्ण है l धन्यवाद हो, हमारे पास आदर्श के तौर पर यीशु है l विभिन्न और समस्याओं के साथ लोगों से उसके मुलाकात में हम सिद्ध व्यवहारिक प्रेम देखते हैं l उसके साथ चलकर, उसके प्रेम में रहकर और उसके वचन से भरकर, हम उसकी समानता को और अधिक प्रतिबिंबित करेंगे l हम फिर भी गलतियां करेंगे, किन्तु परमेश्वर उनसे बचाएगा हर स्थिति से भलाई निकलेगी, क्योंकि उसका प्रेम “सब बातें सह लेता है” और “कभी टलता नहीं l”