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Articles by सोचितल डिक्सॉन

मरुभूमि में पुष्पित

दूसरी मरुभूमियों की तरह माहावी मरुभूमि(Mojave Desert) में रेत के टीले, निर्जल घाटियाँ, ढलुआ पठार, और पहाड़ सम्मिलित हैं l परन्तु अमरीकी जीवविज्ञानी एडमण्ड जेगर ने देखा कि कुछ वर्षों के बाद होनेवाली व्यापक बारिश का परिणाम “ढेर सारे फूलों का खिलना होता है कि लगभग एक फुट रेत या कंकरीली मिटटी के नीचे ढेर सारे फूल छिपे होते हैं l” यद्यपि, माहावी के जंगली फूलों का दिखाई देना वार्षिक घटना नहीं है l शोधकर्ता पुष्टि करते हैं कि इससे पहले कि मरुभूमि चमकीले रंगों के फूलों से ढक जाए, बिलकुल ठीक समय में सुखी भूमि को आँधी-पानी और सूर्य की गर्मी से भीगना ज़रूरी होता है l

निर्जल भुभाग के बावजूद जीवन उत्पन्न करने वाला परमेश्वर की यह छवि मुझे यशायाह का स्मरण कराता है l समस्त राष्ट्रों को परमेश्वर के न्याय का सन्देश पहुँचाने के बाद वह  आशा के एक उत्साहवर्धक दर्शन साझा करता है (यशायाह 35) l एक भविष्य युग का वर्णन करते हुए जब परमेश्वर सब बातों को ठीक कर देगा, नबी ने कहा, “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी” (पद.1) l उसने घोषित किया कि परमेश्वर के बचाए हुए लोग उसके राज्य में “जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे, और उनके सिर पर सदा का आनंद होगा l वे हर्ष और आनंद पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा” (पद.10) l

परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में सुरक्षित अनंत भविष्य के साथ, हम जीवन के शुष्क और तर करनेवाले अतिवृष्टि के ऋतुओं में उसपर भरोसा कर सकते हैं l हम उसके प्रेम में जड़वत होकर, बिलकुल ठीक समय तक, बढ़ते हुए, जब यीशु लौटेगा और सभी बातों को ठीक कर देगा, उसकी समानता में पुष्पित हो सकते हैं l

निडर प्रेम

वर्षों तक मैंने अपने हृदय की सुरक्षा के लिए भय का एक ढाल पहन रखा था l यह नयी बातों का प्रयास करने, अपने सपनों का पीछा करने, और परमेश्वर की आज्ञा मानने से बचने के लिए एक बहाना बन चुका था l परन्तु हानि का भय, दुःख, और तिरस्कार ने मेरे लिए  परमेश्वर और दूसरों से प्रेमी सम्बन्ध विकसित…

प्रेम रुकेगा नहीं

जब मैं उन्नीस वर्ष की हो गयी, और वर्षों पहले जब मेरे पास पेजर या मोबाइल फ़ोन नहीं था, मैं अपनी माँ से कई सौ मील से अधिक की दूरी पर रहने चली गयी l एक दिन सुबह के समय, फोन पर नियोजित बातचीत का समय भूलकर, मैं बहुत सुबह रोज के काम के लिए निकल गयी l उस रात को, दो पुलिस वाले मुझसे मिलने आए l माँ चिंतित थी क्योंकि मैंने उनसे बात करने का मौका कभी नहीं छोड़ा था l बार-बार पुकारने के बाद और व्यस्त संकेत मिलने पर, उन्होंने अधिकारियों को सूचित कर उनसे मेरे विषय पता लगाने का निवेदन किया l उनमें से एक अधिकारी ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “यह जानना आशीषमय है कि प्रेम आपको ढूँढने में नहीं रुकेगा l”

जब मैंने अपनी माँ को पुकारने के लिए फ़ोन उठाया, मैंने जाना कि मैंने भूल से रिसीवर को उसके उपयुक्त स्थान से अलग रख दिया था l मेरे क्षमा मांगने के बाद, उन्होंने कहा कि यह खुशखबरी परिवार और मित्रों को बताना ज़रूरी हैं जिन्हें उन्होंने हमारे गुम होने के विषय सूचित किया था l मैंने यह सोच कर फ़ोन रख दिया कि वह थोड़ा अति प्रतिक्रिया करेगी, यद्यपि यह अधिक प्रेम किया जाना अच्छा महसूस हुआ l

बाइबल परमेश्वर का जो प्रेम है, एक खुबसूरत तस्वीर बनाती है, जो लगातार अपने भटकनेवाले बच्चों को अपने निकट बुलाता है l एक अच्छे चरवाहा की तरह, वह हमारी चिंता करता है और हर एक खोयी हुयी भेड़ को ढूंढता है, परमेश्वर के हर एक प्रिय बच्चे की बहुमूल्य कीमत की पुष्टि करता है (लूका 15:1-7) l

प्रेम हमें कभी भी ढूंढना नहीं छोड़ता है l वह हमारा पीछा हमारे उसके पास लौटने तक करेगा l हम दूसरों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं जिन्हें जानना है कि प्रेम – परमेश्वर – भी उनको ढूँढना नहीं छोड़ता है l

रचनात्मकता का उत्सव

कैलिफोर्निया के बाजा के निकट चार हज़ार फीट नीचे समुद्र की गहराई में, कभी-कभी दिखाई देनेवाली जेलिफ़िश(समुद्री जीव) जल-प्रवाह के साथ नाचती हुई दिखाई देती है l गहरे रंग के जल की पृष्ठभूमि में उसका शरीर नीला, बैगनी, और गुलाबी रंगों में प्रतिदीप्त हल्की छाया के साथ दिखाई दे रहा था l उसके घंटी नुमा सिर के हर इशारे से सुन्दर स्पर्शक खूबसूरती से तरंगित हो रहे थे l जब मैं नेशनल जियोग्राफिक पर इस विशेष जेलीफिश(Halitrephes maasi) का अद्भुत दृश्य देख रही थी, मैंने इस पर विचार किया कि परमेश्वर ने किस तरह इस सुन्दर जेलिटिन के प्रकार के जंतु को ख़ास रूप दिया l उसने अन्य 2,000 प्रकार के जेलिफिश को भी रूप दिया जिन्हें वैज्ञानिकों ने अक्टूबर 2017 तक पहचाना है l

यद्यपि हम परमेश्वर को सृष्टिकर्ता के रूप में जानते हैं, क्या हम बाइबल के पहले अध्याय में प्रगट अद्भुत सच्चाई को वास्तविक रूप से समझने में काफी शिथिल हो जाते हैं? हमारे अद्भुत परमेश्वर ने रचनात्मक विविध संसार को जिसे उसने अपने वचन की सामर्थ्य से रचा था प्रकाश और जीवन दिया l उसने “जाति जाति के बड़े बड़े जल-जंतुओं की . . . भी सृष्टि की . . .  जिन से जल बहुत ही भर गया” (उत्पत्ति 1:21) l वैज्ञानिक परमेश्वर द्वारा आरम्भ में रचे गए अद्भुत प्राणियों का केवल एक अंश ही खोज पाए हैं l

परमेश्वर ने संसार में प्रत्येक व्यक्ति को साभिप्राय बनाया है, हमारी पहली श्वास लेने से पूर्व हमारे जीवन के हर दिन में उद्देश्य डाला है (भजन 139:13-16) l जब हम प्रभु की रचनात्मकता का उत्सव मनाते हैं, हम उन अनेक तरीकों के विषय भी आनंदित हों जो वह हमें उसके साथ और उसकी महिमा के लिए कल्पित करने और रचने में सहायता करता है l

सबसे बड़ा उपहार

वर्षों से मेरी सहेली बारबरा ने मुझे अनगिनत (उत्साहवर्धक) कार्ड्स और विचारशील उपहार दिए हैं। जब मैंने उसे बताया कि मैंने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया है तो उसने मुझे अब तक का सबसे बड़ा उपहार दिया-मेरी पहली बाइबल। उसने कहा. “परमेश्वर से प्रतिदिन मिलने, पवित्रशास्त्र पढ़ने, प्रार्थना करने और उस पर भरोसा रखने और उसकी आज्ञा का पालन करने के द्वारा तुम परमेश्वर की नज़दीकी और आत्मिक परिपक्वता में बढ़ती जाओगी।” मेरा जीवन बदल गया जब बारबरा ने मुझे परमेश्वर को और अच्छे से जानने के लिए आमन्त्रित किया।

बारबरा मुझे प्रेरित फिलिप्पुस की याद दिलाती है। यीशु के फिलिप्पुस को उनके पीछे चलने के लिए आमन्त्रित करने के पश्चात (यूहन्ना 1:43), उस प्रेरित ने तुरन्त अपने मित्र नतनएल को बताया कि “जिस का वर्णन मूसा ने व्यवस्था में और भविष्यद्वक्‍ताओं ने किया है, वह हम को मिल गया; वह यूसुफ का पुत्र, यीशु नासरी है।” (पद 45) । जब नतनएल ने सन्देह किया, तो फिलिप्पुस से वाद-विवाद, आलोचना नहीं की या अपने मित्र के लिए हार नहीं मान ली। उसने अब उसे यीशु से साक्षात रूप में मिलने के लिए आमन्त्रित किया। उसने उससे कहा “चलकर देख ले।”  

मैं फिलिप्पुस के आनन्द की कल्पना कर सकती हूँ, जब उसने नतनएल को यह कहते हुए सुना कि यीशु “परमेश्वर का पुत्र” और “इस्राएल का राजा” है (पद 49) । यह जानना कितनी बड़ी आशीष है कि उसका मित्र “बड़े बड़े कामों” को देखने से चूकेगा नहीं, जिनकी प्रतिज्ञा यीशु ने की थी कि वे उन्हें देखेंगे (पद 50-51)।

पवित्र आत्मा परमेश्वर के साथ हमारे घनिष्ठ सम्बन्ध का आरम्भ करते हैं और फिर उन सब में वास करते हैं, जो विश्वास के साथ उत्तर देते हैं। वह हमें उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने और अपने आत्मा और पवित्रशास्त्र के द्वारा प्रतिदिन उनसे मिलने के योग्य करते हैं। यीशु को और अच्छे से जानने का आमन्त्रण देने और लेने के लिए सबसे बड़ा उपहार है।

विलाप से आराधना की ओर

किम ने 2013 में स्तन कैंसर के साथ संघर्ष करना आरम्भ किया था। उसके उपचार के समाप्त होने के चार दिनों के पश्चात, चिकित्सकों ने उसे लगातार बढ़ रहे फेफड़ों के रोग से ग्रस्त बताया और उसे तीन से पाँच साल और जीने का समय दिया। वह बहुत दुखी हुई और पहले साल अपनी भावनाओं के साथ उसने रो-रोकर परमेश्वर से प्रार्थना की। 2015 में जब मेरी मुलाकात किम के साथ हुई, तब तक उसने अपनी परिस्थिति को परमेश्वर के हाथों में सौंप दिया था और दूसरों पर असर डालने वाला आनन्द और शान्ति प्राप्त कर ली थी। यद्यपि कुछ दिन बहुत ही कठिन होते हैं, फिर भी जब वह दूसरों को प्रोत्साहित करती थी तो परमेश्वर उसके दिल दहला देने वाले दुःख को आशा से भरी हुई स्तुति की सुन्दर गवाही में बदलते रहे।   

यद्यपि जब हम भयानक परिस्थितियों में होते हैं, परमेश्वर हमारे विलाप को आनन्द के नृत्य में बदल सकता है। यद्यपि उनकी चंगाई सर्वदा दिखाई या अनुभव नहीं होती, जिसकी हम आशा करते हैं, परन्तु फिर भी हम परमेश्वर के कार्यों पर दृढ विश्वास कर सकते हैं (भजन संहिता 30:1–3) । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा मार्ग कितना भी ऊबड़-खाबड़ प्रतीत हो, हमारे पास उनकी स्तुति करने के अनगिनत कारण हैं (पद  4)। हम परमेश्वर में आनन्द मना सकते हैं, जब वह हमारे विश्वास को स्थिर रखता है (पद 5–7) । हम उसकी दया के लिए दोहाई दे सकते हैं (पद 8–10), और उस आशा से आनन्द मना सकते हैं जो वह अनेक विलाप करते आराधकों के लिए ले कर आता है। मात्र परमेश्वर ही निराशा के विलाप को गुंजायमान आनन्द में बदल सकता है, जो किसी परिस्थिति पर निर्भर नहीं होता है (पद 11–12)।

जब हमारा करुणामयी परमेश्वर हमारे दुःख में हमें आराम प्रदान करता है, तो वह हमें शान्ति से भर देता है और हमें अपने आप और दूसरों के लिए दया दिखाने की सामर्थ प्रदान करता है। हमारा प्रेमी और विश्वासयोग्य प्रभु हमारे विलाप को आराधना में बदल सकता और बदलता है, जो हमारे दिल को गहन भरोसे, स्तुति या आनन्द से परिपूर्ण नृत्य में बदल सकता है।

प्रेम हमें बदलता है

मेरे यीशु से मिलने से पहले, मुझे इतनी गहरी चोट लगी थी कि मैं और आहत होने के भय से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने से बचती थी। मेरी माँ मेरी सबसे घनिष्ठ मित्र रही, जब तक मैंने ऐलन से विवाह नहीं कर लिया। सात साल बाद और तलाक के कगार पर मैंने कलीसिया की एक सभा में मेरे किंडरगार्टनर, ज़ेवियर, से सहायता माँगनी चाही। मैं बाहर जाने के दरवाज़े के निकट बैठ गई, मैं किसी पर भरोसा करने के लिए डरी हुई थी, परन्तु मैं सहायता के लिए बेचैन भी थी।

मैं धन्यवाद देती हूँ कि विश्वासी लोग आगे आए और हमारे परिवार के लिए प्रार्थना की और मुझे सिखाया कि प्रार्थना और बाइबल अध्ययन के साथ परमेश्वर के साथ एक सम्बन्ध कैसे कायम करना है। समय के साथ-साथ मसीह और उसके अनुगामियों के प्रेम ने मुझे बदल दिया।

कलीसिया की उस पहली सभा के दो साल बाद ऐलन, ज़ेवियर और मैंने कुछ समय के बाद बपतिस्मा लेने के लिए कहा, हमारी हफ्ते में होने वाली एक वार्तालाप के दौरान मेरी माँ ने पूछा, “तुम अलग सी लग रही हो। मुझे यीशु के बारे में और बताओ।” कुछ महीने बीत गए और उन्होंने भी मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया।

यीशु जीवनों को रूपान्तरित करता है...शाऊल जैसे जीवनों को, जिससे कलीसिया के उत्पीड़कों में सबसे अधिक भय रखा गया था, जब तक उसकी मुठभेड़ मसीह के साथ नहीं हुई थी (प्रेरितों के काम 9:1-5) । दूसरे लोगों ने शाऊल की यीशु के बारे में और सीखने में सहायता की (पद 17-19) । उसके प्रबल रूपांतरण ने उसकी आत्मा की सामर्थ से भरी हुई शिक्षा को और निखार दिया (पद 20-22) ।

मसीह के साथ हमारी भेंट शाऊल जैसी नाटकीय नहीं हो सकती। हमारे जीवन का रूपांतरण उतना तीव्र और प्रबल भी नहीं हो सकता। फिर भी, जब लोग ध्यान देते हैं कि समय के साथ-साथ मसीह का प्रेम हमें किस प्रकार बदल रहा है, तब हमारे पास दूसरों को यह बताने का सुअवसर होता है कि उसने हमारे लिए क्या किया है।

केंकड़े की दूर्दशा

जब मेरे चचेरे भाई ने मुझे क्रेफिश पकड़ने में उसके साथ चलने के लिए आमन्त्रित किया, मैं और कुछ सहायता तो नहीं कर सका, परन्तु उत्तेजित हो गयाl मैंने अपने दांत पीस लिए जब उसने मुझे एक प्लास्टिक का बर्तन पकड़ायाl “जिसपर कोई ढक्कन नहीं था?”

“तुम्हें उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी,” मछली पकड़ने की डोरियों और मुर्गियों के टुकड़ों के एक छोटे थैले, जिसे हम चारे के रूप में प्रयोग करने वाले थे, को उठाते हुए उसने कहाl

बाद में, जब मैंने उन मछलियों को लगभग आधी बाल्टी में एक दूसरे पर चढ़ कर निकलने का असफल प्रयास करते हुए देखा, तब मुझे अहसास हुआ कि हमें ढक्कन की ज़रूरत क्यों नहीं पड़ेगीl जब भी एक क्रेफिश ऊपर तक पहुँचती थी, दूसरी उसे नीचे खींच लेती थीl

क्रेफिश की दुर्दशा मुझे याद दिलाती है कि सम्पूर्ण समुदाय के लाभ के स्थान पर मात्र अपने ही लाभ की चिन्ता करना कितना विनाशकारी हो सकता हैl पौलुस ऊपर उठाने वाले परस्पर सम्बन्ध को समझ गया था, जब उसने थिस्सलुनिका के विश्वासियों के लिए पत्र लिखाl उसने उनसे आग्रह किया, “जो ठीक चाल नहीं चलते उनको समझाओ कायरों को ढाढस दो, निर्बलों को सम्भालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओl” (1 थिस्सलुनीकियों 5:14)l

उनके देखभाल करने वाले समुदाय की सराहना करते हुए (पद 11), पौलुस ने उन्हें और प्रेमी और शांतिपूर्ण सम्बन्धों के लिए प्रेरित किया (पद 13-15)l क्षमा, करुणा और दया की एक संस्कृति का निर्माण करने के प्रयास के द्वारा परमेश्वर और अन्य लोगों के साथ उनका सम्बन्ध मज़बूत होगा (पद 15, 23)l

इस प्रकार की प्रेम से भरी हुई एकता के द्वारा कलीसिया बढ़ोत्तरी और मसीह की गवाही दे सकती हैl जब विश्वासी दूसरों को नीचे खींचने के स्थान पर दूसरों को ऊपर उठाने के लिए समर्पित होने के द्वारा परमेश्वर का सम्मान करते हैं, तो हम और हमारे समुदाय फलते-फूलते हैंl

आपके व्यक्तित्व के लिए धन्यवाद!

जब मैं एक कैंसर केंद्र में रहकर अपनी माँ की देखभाल करती थी, मेरा परिचय एक और देखभाल करनेवाली महिला, लॉरी से हुआ जो हमारे घर के आगेवाले गलियारे में अपने पति के साथ रहती थी l मैं सामान्य स्थान पर लॉरी के साथ बातचीत करती थी, हँसती थी, अपने दिल की बात बताती थी और प्रार्थना करती थी l अपने प्रियों की सेवा करते वक्त हम एक दूसरे का सहयोग करने का आनंद उठाते थे l

एक दिन, किराना का सामान खरीदने के लिए निवासियों को ले जानेवाला वाहन मुझसे छूट गया l देर शाम लॉरी ने मुझे वहाँ ले जाने की पेशकश की l कृतज्ञ हृदय से, मैंने उसकी पेशकश स्वीकार कर ली l मैंने कहा, “ तुम्हारे व्यक्तित्व के लिए धन्यवाद l” जैसी वह थी मैंने केवल एक मित्र के रूप में मेरी मदद करने के लिए ही नहीं, किन्तु सच्चाई से उसके व्यक्तित्व की सराहना की l

भजन 100 परमेश्वर के वास्तविक व्यक्तित्व की सराहना है, केवल उसके काम की नहीं l भजनकार “सारी पृथ्वी के लोगों [को](पद.1) निश्चित रूप से जानने के लिए “कि यहोवा ही परमेश्वर है” (पद.3) . . . आनंद से यहोवा की आराधना [करने के लिए]” (पद.2) नेवता देता है l हमारा सृष्टिकर्ता हमें “[उसको] धन्यवाद [देने] और [उसकी] स्तुति [करने के लिए]” (पद.4) अपनी उपस्थिति में बुलाता है l वास्तव में, हमारा प्रभु निरंतर हमारे कृतज्ञता का हकदार है क्योंकि वह “भला है,” उसकी करुणा सदा की है,” और उसकी “सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (पद.5) l

परमेश्वर हमेशा इस जगत का सृष्टिकर्ता और पालक और हमारा घनिष्ठ प्रेमी पिता रहेगा l वह हमारे असली ख़ुशी से पूर्ण कृतज्ञता के योग्य है l