जब मैं उन्नीस वर्ष की हो गयी, और वर्षों पहले जब मेरे पास पेजर या मोबाइल फ़ोन नहीं था, मैं अपनी माँ से कई सौ मील से अधिक की दूरी पर रहने चली गयी l एक दिन सुबह के समय, फोन पर नियोजित बातचीत का समय भूलकर, मैं बहुत सुबह रोज के काम के लिए निकल गयी l उस रात को, दो पुलिस वाले मुझसे मिलने आए l माँ चिंतित थी क्योंकि मैंने उनसे बात करने का मौका कभी नहीं छोड़ा था l बार-बार पुकारने के बाद और व्यस्त संकेत मिलने पर, उन्होंने अधिकारियों को सूचित कर उनसे मेरे विषय पता लगाने का निवेदन किया l उनमें से एक अधिकारी ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “यह जानना आशीषमय है कि प्रेम आपको ढूँढने में नहीं रुकेगा l”

जब मैंने अपनी माँ को पुकारने के लिए फ़ोन उठाया, मैंने जाना कि मैंने भूल से रिसीवर को उसके उपयुक्त स्थान से अलग रख दिया था l मेरे क्षमा मांगने के बाद, उन्होंने कहा कि यह खुशखबरी परिवार और मित्रों को बताना ज़रूरी हैं जिन्हें उन्होंने हमारे गुम होने के विषय सूचित किया था l मैंने यह सोच कर फ़ोन रख दिया कि वह थोड़ा अति प्रतिक्रिया करेगी, यद्यपि यह अधिक प्रेम किया जाना अच्छा महसूस हुआ l

बाइबल परमेश्वर का जो प्रेम है, एक खुबसूरत तस्वीर बनाती है, जो लगातार अपने भटकनेवाले बच्चों को अपने निकट बुलाता है l एक अच्छे चरवाहा की तरह, वह हमारी चिंता करता है और हर एक खोयी हुयी भेड़ को ढूंढता है, परमेश्वर के हर एक प्रिय बच्चे की बहुमूल्य कीमत की पुष्टि करता है (लूका 15:1-7) l

प्रेम हमें कभी भी ढूंढना नहीं छोड़ता है l वह हमारा पीछा हमारे उसके पास लौटने तक करेगा l हम दूसरों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं जिन्हें जानना है कि प्रेम – परमेश्वर – भी उनको ढूँढना नहीं छोड़ता है l