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अब कोई कब्र नहीं

यहां तक कि जब देशी संगीत के दिग्गज जॉनी कैश अपनी मृत्यु के करीब थे, तब भी वह संगीत बनाते रहने के लिए दृढ़ थे। उनकी अंतिम एल्बम, अमेरिकन VI: Ain’t No Grave (अब कोई कब्र नहीं), उनके जीवन के अंतिम महीनों में रिकॉर्ड की गई थी। शीर्षक गीत, कैश के भजन का संस्करण, उनके अंतिम विचारों के बारे में बताता है जब हम उन्हें पुनरुत्थान की आशा के बारे में गाते हुए सुनते हैं। उनकी प्रसिद्ध गहरी आवाज, हालांकि उनके गिरते स्वास्थ्य के कारण कमजोर हो गई थी, विश्वास की एक शक्तिशाली गवाही की घोषणा करती है।

जॉनी की आशा केवल इस तथ्य में नहीं थी कि यीशु ईस्टर रविवार की सुबह पुनर्जीवित हुए थे; उनका विश्वास था कि एक दिन उनका भौतिक (प्राकृतिक) शरीर भी पुनर्जीवित हो जाएगा, और वह फिर से जीवित हो उठेंगे।

यह एक महत्वपूर्ण सत्य है जिसे स्वीकार करना जरूरी है क्योंकि प्रेरित पौलुस के दिनों में भी, लोगों ने भविष्य में शारीरिक पुनरुत्थान से इनकार किया था। पौलुस ने उनके तर्क की कड़ी आलोचना की, जब उसने लिखा, "यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा। और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है” (1 कुरिन्थियों 15:13-14)।

जिस तरह कब्र यीशु के शरीर को नहीं रोक सकी, एक दिन वे सभी जिन्हें विश्वास है कि वह पुनर्जीवित हुए है, "जिलाए जाएंगे" (पद 22)। और हमारे पुनर्जीवित शरीरों में, हम उसके साथ एक नई पृथ्वी पर अनंत काल का आनंद लेंगे। यह हमारे गाने का कारण है!

एक अच्छी बिरयानी

वर्षा की फूड स्टॉल पर सबसे ज्यादा बिकने वाली डिश उसकी बिरयानी थी। वह प्याज को बहुत सावधानी से भूनती थी जब तक कि उसका रंग सुनहरा भूरा न हो जाए। इसलिए, वह चौंक गई जब एक नियमित ग्राहक ने कहा, “आपकी बिरयानी का स्वाद अलग लग रहा है, स्वाद में कुछ कमी लग रही है।" वर्षा की नई सहयोगी ने इस बार इसे तैयार किया था और बताया कि यह अलग क्यों थी: “मैंने प्याज उतनी देर तक नहीं भुनी जितनी देर रेसिपी में कहा गया था क्योंकि मैं इसे घर पर इसी तरह करती हूँ। मैंने मिर्ची पाउडर भी थोड़ा ज्यादा डाला था। मेरी राय में, इस तरह इसका स्वाद बेहतर लगता है।" उसने तय किया कि बताई गयी रेसिपी को नजरअंदाज करके वह इसे अपने तरीके से बनाएगी।

इसी तरह मैं भी कभी-कभी परमेश्वर के निर्देशों के साथ करती हूँ। पवित्रशास्त्र में दी गई उनकी आज्ञाओं का पूरी तरह से पालन करने के बजाय, मैं उन्हें अपनी राय के अधीन करती हूँ और अपने रास्ते पर आगे बढ़ती हूँ।

सीरियाई सेना का सेनापति नामान भी ऐसी ही गलती करने की कगार पर था।उसका कुष्ठ रोग ठीक हो जाए,  इसके लिए एलीशा नबी के द्वारा यरदन में खुद को धोने के लिए परमेश्वर का निर्देश पाने पर, अभिमानी सेनापति क्रोधित हो गया। उसकी अपनी अपेक्षाएँ थीं कि उसकी आवश्यकता को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए, यह मानते हुए कि उसकी राय परमेश्वर की आज्ञा से बेहतर थी (2 राजा 5:11-12)। हालाँकि, उसके सेवकों ने उसे एलीशा की बात सुनने के लिए मना लिया (पद 13)। परिणामस्वरूप, नामान चंगा हो गया।

जब हम परमेश्वर के तरीके से काम करते हैं, तो हमें एक ऐसी शांति का अनुभव होता है जो अवर्णनीय है। आइए उसके उद्देश्यों को पूरा करने में उसके साथ काम करें।

राज्य के आकार का कार्यस्थल

विक्टोरियन इंग्लैंड की फ़ैक्टरियाँ अँधेरे स्थान थे। जहाँ कई जाने जाती थी, और मज़दूर अक्सर गरीबी में रहते थे। जॉर्ज कैडबरी ने पूछा, "एक काम करने वाला आदमी एक आदर्श चीज़ को कैसे विकसित कर सकता है, जब उसका खुद का घर एक झुग्गी हो?" और इसलिए उन्होंने अपने विस्तारित चॉकलेट व्यवसाय के लिए एक नई तरह की फैक्ट्री बनाई, जिससे उनके मज़दूरों को लाभ हुआ। इसका नतीजा था बॉर्नविले - एक गांव जहाँ तीन सौ से अधिक घर थे जिसमें कैडबरी के मज़दूरों और उनके परिवारों के लिए खेल के मैदान, स्कूल और चर्च थे। मज़दूरों को अच्छा वेतन दिया गया और चिकित्सा स्थलों की सुविधा भी दी गयी, यह सब इसलिए था क्योंकि कैडबरी का विश्वास यीशु मसीह पर था।

यीशु हमें परमेश्वर की इच्छा "जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर" पूरी करने के लिए प्रार्थना करना सिखाते हैं (मत्ती 6:10)। यह प्रार्थना हमें कल्पना करने में मदद कर सकती है, जैसा कि कैडबरी की, कि परमेश्वर के राज्य में हमारे कार्यस्थल कैसे होंगे, जहां हमारी "प्रतिदिन की रोटी" कमाई जाती है और हमारे "कर्ज़दारों" को माफ कर दिया जाता है (पद 11-12)। एक काम करनेवाले के रूप में, इसका अर्थ है "पूरे मन से काम करना . . प्रभु के लिये” (कुलुस्सियों 3:23)। एक स्वामी के रूप में, इसका अर्थ है कर्मचारियों को वह देना जो "सही और निष्पक्ष" हो (4:1)। हमारी भूमिका जो भी हो, चाहे वेतन कमाने वाले हो या स्वयंसेवी हो, इसका मतलब उन लोगों की भलाई के लिए प्रयास करना है जिनकी हम सेवा करते हैं।

जॉर्ज कैडबरी की तरह, आइए कल्पना करें कि अगर परमेश्वर हमारे पड़ोस और कार्यस्थलों को चलाने वाला हो तो चीजें कैसे भिन्न होंगी। क्योंकि जहाँ वो होता है, वहाँ लोग फलते-फूलते हैं।

पुनःप्राप्ति अभ्यास

क्या आप के साथ कभी ऐसा हुआ कि आप कोई कहानी सुना रहे हो और फिर बीच में रुक गए, क्योंकि किसी नाम या तारीख पर अटक गए जो आपको याद नहीं आ रही हो। हम अक्सर इसे उम्र के हिसाब से तय करते हैं, यह मानते हुए कि समय के साथ याददाश्त धुंधली हो जाती है। लेकिन हाल के अध्ययन अब इस दृष्टिकोण का समर्थन नहीं करते। वास्तव में, वे संकेत देते हैं कि हमारी समस्या याददाश्त नहीं है; पर यह उन यादों को पुनः प्राप्त करने की हमारी क्षमता है। किसी प्रकार के नियमित अभ्यास के बिना, बीती चीजों को याद रखना कठिन हो जाता है।

कई तरीकों में से एक है जो पुनर्प्राप्ति क्षमता को बेहतर बना सकता है, कि नियमित रूप से निर्धारित क्रियाओं या अनुभवों द्वारा किसी बीती हुई चीज को स्मरण करें। हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर यह जानते थे, इसलिए उन्होंने इस्राएलियों को सप्ताह में एक दिन आराधना और विश्राम के लिए अलग रखने का निर्देश दिया था। इस तरह की राहत से मिलने वाले शारीरिक आराम के अलावा, हमें मानसिक प्रशिक्षण का अवसर मिलता है, यह याद करने के लिए कि "छह दिनों में प्रभु ने आकाश और पृथ्वी, समुद्र और जो कुछ उनमें है, बनाया" (निर्गमन 20 :11)। यह हमें यह याद रखने में मदद करता है कि एक परमेश्वर है, और वह हम नहीं हैं।

अपने जीवन की भागदौड़ में, हम कभी-कभी उन बातों को याद करने में अपनी पकड़ खो देते हैं जो परमेश्वर ने हमारे लिए और दूसरों के लिए की है। हम भूल जाते हैं कि कौन हमारे जीवन पर नज़दीकी से नजर रखता है और जब हम भारी और अकेला महसूस करते हैं तो कौन अपनी उपस्थिति का वादा करता है। हमारी दिनचर्या से एक अंतराल (ब्रेक) उस आवश्यक "पुनर्प्राप्ति अभ्यास" के लिए एक अवसर प्रदान करता है - जहाँ हम अपनी इच्छा से यह निर्णय ले कि हम थोड़ा रुककर परमेश्वर को याद करें और "उसके सभी उपकारों को न भूले" (भजन 103:2)।