आप कौन हैं, प्रभु?
सोलह साल की उम्र में, लुइस रोड्रिग्ज कोकीन बेचने के आरोप में पहले ही जेल में बंद था। लेकिन अब, हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार वह फिर से जेल में था–आजीवन कारावास की सजा के बारे में सोच रहा था। परन्तु परमेश्वर ने उसकी दोषी परिस्थितियों में उससे बात की। सलाखों के पीछे, युवा लुइस ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों को याद किया जब उसकी मां उसे विश्वासपूर्वक चर्च ले गई थी। अब उसे लगा कि ईश्वर अपने दिल को छू रहा है। लुइस ने अंततः अपने पापों का पश्चाताप किया और यीशु के पास आए।
प्रेरितों के काम की पुस्तक में हम शाऊल नाम के एक जोशीले यहूदी व्यक्ति से मिलते हैं, जिसे पौलुस भी कहा जाता था। वह यीशु में विश्वासियों पर गंभीर हमले और घात करने का दोषी था (प्रेरितों के काम 91)। इस बात के प्रमाण हैं कि वह एक प्रकार का गिरोह का नेता था, और स्तिफनुस (7:58) की हत्या के समय भीड़ का एक हिस्सा था। परन्तु परमेश्वर ने शाऊल की दोषी परिस्थितियों में भी बात की। दमिश्क की ओर जाने वाले मार्ग पर शाऊल एक ज्योति के चमकने से अन्धा हो गया, और यीशु ने उस से कहा, “तू मुझे क्यों सताता है?” (9:4)। शाऊल ने पूछा, “हे प्रभु तू कौन है?” (पद 5) और वही उसके नए जीवन की शुरुआत थी। वह यीशु के पास आ गया।
लुइस रोड्रिगेज ने अपनी सज़ा का समय पूरा किया लेकिन अंततः उसे कारावास अवकाश दिया गया। तब से, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और मध्य अमेरिका में जेल सेवकाई के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए परमेश्वर की सेवा की है। परमेश्वर हम में से सबसे बुरे को छुड़ाने में माहिर हैं। वह हमारे दिलों को छूता है और हमारे अपराध–बोध से भरे जीवन में बोलता है। शायद अब समय है कि हम अपने पापों का पश्चाताप करें और यीशु के पास आएं।

रोमांच के लिये बनना
मैंने हाल ही में एक अद्भुत खोज की है। अपने घर के पास, पेड़ों के एक समूह में गंदे रास्ते पर चलते हुये हुए, मुझे एक छिपा हुआ, घर का बना, खेल का मैदान मिला। लकडियों से बनी एक सीढ़ी ताक (देखने की जगह) तक जाती थी, शाखाओं से लटके पुराने केबल स्पूल से बने झूले, और यहाँ तक कि शाखाओं के बीच एक झूला पुल भी था। किसी ने कुछ पुरानी लकड़ी और रस्सी को एक रचनात्मक अद्भुत कारनामें में बदल दिया था!
स्विस चिकित्सक पौलूस टूर्नियर का मानना था कि हम रोमांच के लिए बने हैं क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में बने हैं (उत्पत्ति 1:26–27)। जिस तरह परमेश्वर ने एक ब्रह्मांड का आविष्कार करने का साहस किया (पद 1:25), ठीक उसी तरह जैसे उसने मनुष्यों को बनाने का जोखिम उठाया जो अच्छे या बुरे को चुन सकते थे (3:5–6), और जैसे उसने हमें कहा “लो फलो पृथ्वी को भर दो और उसे अपने वश में कर लो” 1:28, हमारे पास भी आविष्कार करने, जोखिम उठाने और नई चीजों को बनाने की एक प्रेरणा है,क्योंकि हम पृथ्वी पर लाभकारी रूप से शासन करते हैं। इस तरह के रोमांच बड़े या छोटे हो सकते हैं, लेकिन जब वे दूसरों को लाभ पहुंचाते हैं तो वे सबसे अच्छे होते हैं। मुझे यकीन है कि उस खेल के मैदान के निर्माताओं को इसे खोजने और इसका आनंद लेने वाले लोगों से प्रसननता मिलेगी।
चाहे नए संगीत का आविष्कार करना हो, सुसमाचार प्रचार के नए रूपों की खोज करना हो, या एक उदासीन हो चुके विवाह को फिर से जगाना हो, सभी प्रकार के रोमांच हमारे दिल की धड़कन को बनाए रखते हैं। इस समय कौन सा नया कार्य या प्रकल्प आपको आकर्षित कर रहा है? शायद परमेश्वर आपको एक नए रोमांच की ओर ले जा रहे हैं।

घोंसला बनाने का स्थान
सैंड मार्टिंस— स्वैलो से संबंधित छोटे पक्षी, अपने घोंसले नदी के किनारे खोद कर बनाते हैं। दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में भूमि विकास ने उनके आवास को कम कर दिया था, और जब हर साल पक्षी, सर्दियों के प्रवास से लौटते थे तो उनके पास अपने घोंसले बनाने के लिए बहुत कम जगह होती थी। स्थानीय संरक्षण करने वाले हरकत में आए, और उन्हें रखने के लिए एक विशाल कृत्रिम रेत का टीला बनाया। एक रेत की मूर्ति बनाने वाली फर्म की मदद से उन्होंने आने वाले वर्षों के लिए पक्षियों के निवास के लिए जगह बनाने के लिए रेत को ढाला।
करुणा का यह अनुग्रहपूर्ण कार्य उन शब्दों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है जिनका उपयोग यीशु ने अपने शिष्यों को शान्ति देने के लिए किया था। उन्हें यह बताने के बाद कि वह जा रहा है और अभी वे उसके साथ नहीं जा सकेंगे (यूहन्ना 13:36) उसने उन्हें आश्वासन दिया कि वह स्वर्ग में उनके लिए जगह तैयार करेगा (14:2)। यद्यपि वे सही रूप से दुखी थे क्योंकि यीशु ने कहा था कि वह उन्हें जल्द ही छोड़ देगा और वे उसका पीछे नहीं आ सकते, उसने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे इस पवित्र कार्य को उसे और हमें प्राप्त करने की तैयारी के हिस्से के रूप में को देखें।
क्रूस पर यीशु के बलिदान के कार्य के बिना, पिता के घर के बहुत से रहने के स्थान हमें ग्रहण करने में सक्षम नहीं होंगे (पद 2)। तैयारी के लिये हम से पहले जाने के बाद मसीह ने हमें आश्वासन दिया कि वह वापस आएगा और उन लोगों को अपने साथ ले जाएगा जो उसके बलिदान पर भरोसा करते हैं। वहाँ हम एक आनंदमय अनंत काल में उसके साथ निवास करेंगे।

नई दृष्टि
अपना नया चश्मा पहने हुए जैसे ही मैं पवित्र स्थान में गई, मैं बैठ गई। चर्च के दूसरी तरफ सीधे गलियारे के सामने मैंने अपनी एक दोस्त को बैठे देखा। मैंने उसे देखकर अपना हाथ हिलाया, वह बहुत पास और साफ दिख रही थी। भले ही वह कुछ गज़ की दूरी पी थी, पर मुझे ऐसा लगा कि मैं उस तक पहुंचकर उसे छू सकती हूं। बाद में, जब हमने आराधना के बाद बात की, मुझे एहसास हुआ कि वह उसी सीट पर थी जिस पर वह हमेशा बैठती थी। अपने नए चश्मे के कारण मैं उसे बेहतर तरीके से देख सकती थी।
भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा बोलते हुए, परमेश्वर जानता था कि बेबीलोन की बंधुआई में फंसे इस्राएलियों को एक नए नुस्खे की आवश्यकता होगी—एक नया दृष्टिकोण। उसने उनसे कहा, “मैं एक नई बात करता हूँ! मैं जंगल में मार्ग बनाऊंगा।” (यशायह 43:19)। और उसके आशा के संदेश में अनुस्मारक शामिल थे कि उसने उन्हें बनाया था, उन्हें छुडाया था, और वह उनके साथ रहेगा। “तुम मेरे हो”, उसने उन्हें प्रोत्साहित किया (पद 1)।
आज आप जिस चीज़ का भी सामना कर रहे हैं, उसमें पवित्र आत्मा आप के लिए बेहतर दृष्टि प्रदान कर सकता है; पुरानी को पीछे छोड़ने और नई की तलाश करने के लिये। परमेश्वर के प्रेम से (पद 4) यह आपके चारों ओर नजर आ रहा है। क्या आप देख सकते हैं कि वह आपके दुख और बंधनों में क्या काम कर रहा है? आइए हम अपना नया आध्यात्मिक चश्मा पहनें ताकि वह नया देख सकें जो परमेश्वर हमारे वीराने में भी कर रहा है।

बचाव अभियान
ऑस्ट्रेलिया में एक कृषि पशु बचाव संगठन के स्वयंसेवकों को एक भटकती हुई भेड़ मिली जो 34 किलो से अधिक गंदी, उलझी हुई ऊन के बोझ से दबी थी। बचाव दल को संदेह था कि भेड़ भूल से, कम से कम पांच साल से खोई हुई थी, और झाडी में फंसी थी। स्वयंसेवकों ने उसके भारी ऊन को कष्टप्रद प्रक्रिया द्वारा काटा और उसे शांत किया। एक बार अपने बोझ से मुक्त होकर, बराक ने अच्छी तरह खाया । उसके पैर मजबूत हो गए। शरणस्थान में अपने बचाव दल और अन्य जानवरों के साथ समय बिताने के साथ–साथ वह और अधिक आश्वस्त और संतुष्ट हो गया।
भजनहार दाऊद ने भारी बोझ से दबे होने, भूले हुए और खोए हुए महसूस करने और बचाव अभियान के लिए बेताब होने के दर्द को समझा। भजन संहिता 38 में, दाऊद ने परमेश्वर की दोहाई दी। उसने अलगाव, विश्वासघात, और लाचारी का अनुभव किया था (पद 11–14)। फिर भी, उसने पूरे विश्वास के साथ प्रार्थना की, “हे प्रभु, मैं तेरी बाट जोहता हूं, हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू उत्तर देगा (पद 15)। दाऊद ने अपनी दुर्दशा से इनकार नहीं किया, या अपने आंतरिक कष्ट और शारीरिक बीमारियों को कम नहीं किया (पद 16–.20)। इसके बजाय, उसने भरोसा किया कि परमेश्वर निकट होगा और उसे सही समय पर और सही तरीके से उत्तर देगा (पद 21– 22) ।
जब हम शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक बोझों से बोझिल महसूस करते हैं, जिस दिन से उसने हमें बनाया है उस दिन से परमेश्वर उस बचाव अभियान के प्रति वचनबद्ध है जिसकी उसने योजना बनाई थी। हम उसकी उपस्थिति पर भरोसा कर सकते हैं जब हम उसे पुकारते हैं, “हे मेरे प्रभु, और मेरे उद्धारकर्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर (पद 22)।