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एक दर्शक

काइल स्पेलर को चैंपियनशिप बास्केटबॉल खेलों के दौरान अपने ज़ोरदार सार्वजनिक संबोधन की घोषणा(rip-roaring) के लिए जाना जाता है l “आओ चलें!” वह माइक पर गरजता है, और हज़ारों प्रशंसक, साथ ही एक्शन देखने वाले लाखों लोग उस आवाज़ पर प्रतिक्रिया करते हैं जिसने काइल को 2022 के सर्वश्रेष्ठ कमेंटेटर पुरस्कार के रूप में नामांकन दिलाया l वह कहते हैं, “मुझे पता है कि भीड़ को कैसे महसूस करना है और घरेलु कोर्ट/खेल का मैदान(home court) का माहौल कैसा है l” फिर भी, उनकी आवाज़ की कलात्मकता(artistry)का हर शब्द—टीवी और रेडियो विज्ञापनों में भी दिखाया गया है—परमेश्वर की महिमा करने के लिए है l काइल कहते हैं, उनका काम “एक दर्शक(परमेश्वर) के लिए सब कुछ करना है l” 

प्रेरित पौलुस ने कुलुस्से के चर्च के समान नैतिकता पर जोर दिया, जिसके सदस्यों ने मसीह की दिव्यता और संप्रभुता के बारे में संदेह को अपने व्यवहारिक जीवन में भी आने दिया l इसके बजाय, पौलुस ने लिखा, “वचन में या काम में जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो”(कुलुस्सियों 3:17) l 

पौलुस ने आगे कहा, “जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिए नहीं परन्तु प्रभु के लिए करते हो”(पद.23) l काइल स्पेलर के लिए, इसमें एक पास्टर(chaplain) के रूप में उनकी भूमिका शामिल है, जिसके बारे में वे कहते हैं, “यहाँ मेरा यही उद्देश्य है . . . और घोषणा करना सोने पर सुहागा(icing on the cake) है l” परमेश्वर के लिए हमारा अपना कार्य हमारे एक दर्शक के लिए उतना ही मधुर हो सकता है l 

खुरचा हुआ मक्खन

जे.आर.आर. टॉकिंस की पुस्तक द फेलोशिप ऑफ़ द रिंग्स(The Fellowship of the Rings) में, बिल्बो बैग्गिंस ने छह दशकों तक, अँधेरे शक्तियों वाली एक जादुई अंगूठी वहन करने का प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया l धीरे-धीरे उसकी संक्षारक(corrosive) प्रकृति/स्वभाव से परेशान होकर, वह जादूगर गंडाल्फ़ से कहता है, “क्यों, मैं बिलकुल दुबला, फैला हुआ महसूस करता हूँ, यदि आप जानते हैं कि मेरा क्या मतलब है : मक्खन की तरह जिसे रोटी पर बहुत अधिक खुरच दिया गया है l” वह आराम की खोज में अपना घर छोड़ने का फैसला करता है, कहीं “शांति और सुकून में, जहाँ आसपास बहुत सारे सम्बन्धी/रिश्तेदार न हों l”

टॉकिन की कहानी का यह पहलु मुझे पुराने नियम के एक नबी के अनुभव की याद दिलाता है l इज़ेबेल से भागते समय और झूठे नबियों के साथ युद्ध के बाद थके हुए एलिय्याह को कुछ आराम की सख्त ज़रूरत थी l कमजोर महसूस करते हुए, उसने परमेश्वर से उसे मरने देने की प्रार्थना करते हुए कहा, " हे यहोवा, बस है”(1 राजा 19:4) l उसके सो जाने के बाद, परमेश्वर के दूत ने उसे जगाया ताकि वह खा-पी सके l वह फिर सो गया, और बाद में स्वर्गदूत द्वारा दिया गया भोजन अधिक खा लिया l पुनः ऊर्जा प्राप्त करने के बाद, उसके पास परमेश्वर के पर्वत तक चालीस दिन की पैदल यात्रा के लिए पर्याप्त शक्ति थी l 

जब हम थके हुए महसूस करते हैं, तो हम भी सच्ची ताज़गी के लिए परमेश्वर की ओर देख सकते हैं l हमें अपने शरीर की देखभाल करने की आवश्यकता हो सकती है, साथ ही हम उससे उसकी आशा, शांति और विश्राम से भरने के लिए भी प्रार्थना करते हैं l यहाँ तक कि जैसे स्वर्गदूत ने एलिय्याह की देखभाल की, हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हम पर अपनी ताज़गी भरी उपस्थिति प्रदान करेगा (मत्ती 11:28 देखें) l 

परमेश्वर का प्रबंध

जून 2023 में जब एक से तेरह साल की उम्र के चार भाई-बहन कोलोम्बिया के अमेज़न जंगल में जीवित पाए गए तो संसार आश्चर्यचकित रह गया l एक विमान दुर्घटना के बाद भाई-बहन चालीस दिनों तक जंगल में जीवित रहे, जिसमें उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी l बच्चे, जो जंगल के कठोर इलाके से परिचित थे, जंगली जानवरों से पेड़ों के तनों में छिपते थे, झरनों और बारिश से पानी बोतलों में इकठ्ठा करते थे, और मलबे से कसावा/tapioca(एक प्रकार का जड़) का आटा खाते थे l वे यह भी जानते थे कि कौन से जंगली फल और बीज खाने के लिए सुरक्षित हैं l 

परमेश्वर ने भाई-बहनों को सहारा दिया l 

उनकी अविश्वसनीय कहानी मुझे याद दिलाती है कि कैसे परमेश्वर ने चालीस वर्षों तक मरुभूमि में इस्राएलियों को चमत्कारिक ढंग से जीवित रखा था, जो कि निर्गमन और गिनती की पुस्तकों में अंकित है और पूरे बाइबल में उल्लेख किया गया है l उसने उनके प्राणों की रक्षा की ताकि वे जानें कि वह उनका परमेश्वर है l 

परमेश्वर ने कड़वे झरने के पानी को पीने योग्य बना दिया, चट्टान से दो बार पानी उपलब्ध कराया, और दिन में बादल के खम्भे और रात में आग के खम्भे में अपने लोगों का मार्गदर्शन किया l उसने उनके लिए मन्ना भी उपलब्ध कराया l “मूसा ने उनसे कहा, ‘यह वही भोजन वस्तु है जिसे यहोवा तुम्हें खाने के लिए देता है l जो आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है : तुम उसमें से अपनी आवश्यकता के अनुसार खाने के लिए बटोरा करना’”(निर्गमन 16:15-16) l 

वही परमेश्वर हमें “हमारी प्रतिदिन की रोटी” देता है(मत्ती 6:11) l हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह “उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है, तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा”(फिलिप्पियों 4:19) l हम कितने सामर्थी परमेश्वर के उपासक हैं!

आनंद की गति

आनंद की गति से चलो l यह वाक्यांश मेरे दिमाग में आया जब एक सुबह मैंने प्रार्थनापूर्वक आने वाले वर्ष पर विचार किया, और यह उपयुक्त लगा l मुझ में अत्यधिक काम करने का झुकाव था, जिससे अक्सर मेरा आनंद ख़त्म हो जाता था l इसलिए, इस मार्गदर्शन का पालन करते हुए, मैंने खुद को आने वाले वर्ष में आनंददायक गति से काम करने, मित्रों और आनंददायक गतिविधियों के लिए जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध किया l 

यह योजना काम कर गयी . . . मार्च तक! फिर मैंने खुद के द्वारा विकसित किये जा रहे पाठ्यक्रम के परीक्षण की देखरेख के लिए एक विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की l विद्यार्थियों के नामांकन और अध्यापन के साथ-साथ, मैं जल्द ही लम्बे समय तक काम करने लगा l अब मैं आनंद की गति से कैसे जा सकता था?

यीशु उन लोगों को ख़ुशी का वादा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं, वह हमें बताता है कि यह उसके प्रेम में बने रहने(यूहन्ना 15:9) और प्रार्थनापूर्वक अपनी ज़रूरतों को उसके पास लाने से आता है(16:24) l वह कहता है, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि मेरा आनंद तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए”(15:11) l यह ख़ुशी उसकी आत्मा के द्वारा एक उपहार के रूप में आती है, जिसके साथ हमें कदम से कदम मिलाकर चलना है(गलातियों 5:22-25) l मैंने पाया कि मैं अपने व्यस्त समय के दौरान केवल तभी आनंद बनाए रख सकता था जब मैं हर रात आराम से, भरोसेमंद प्रार्थना में समय बिताता था l 

चूँकि आनंद बहुत विशेष है, इसलिए इसे अपने समय-सारणी में प्राथमिकता देना उचित है l लेकिन चूँकि जीवन कभी भी पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में नहीं होता है, मुझे ख़ुशी है कि ख़ुशी का एक और श्रोत—आत्मा—हमारे लिए उपलब्ध है l मेरे लिए, आनंद की गति से जाने का अर्थ अब प्रार्थना की गति से जाना है—आनंद देने वाले से प्राप्त करने के लिए समय निकालना l