एक आदमी सर्वदा सभी बातों के लिए चिन्ता करता था। तब एक दिन उसके मित्रों ने उसे आनन्द से सीटी बजाते हुए और काफी तनाव मुक्त देखा। “क्या हुआ?“ उन्होंने आश्चर्य से पूछा।

उसने कहा, “मैं एक व्यक्ति को मेरी लिए चिन्ता करने हेतु पैसे दे रहा हूँ।“
“तुम उसे कितना देते हो?“ उन्होंने पूछा।
“प्रति सप्ताह दो हजार डाॅलर,“ उसने उत्तर दिया।
“वाह! तुम इतना देते कैसे हो?“
“मैं नहीं दे सकता,“ उसने कहा, “किन्तु यह तो उसकी चिन्ता है।“

वास्तविक जीवन में हास्यकर तरीके से तनाव नहीं सम्भाला जा सकता है, परमेश्वर की सन्तान होकर उस को जो समस्त बातों को पूर्ण नियंत्रण में रखता है अपनी चिन्ता सौंप सकते हैं-खास तौर से-जब हम उन्हें अनियंत्रित पाते हैं।

यशायाह नबी ताकीद देता है कि परमेश्वर तारों को गिन गिनकर निकालता है, और उन सब को नाम लेकर बुलाता है(यशा. 40:25-26)। “वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उनमें से कोई बिना आए नहीं रहता“(पद.26)। और जिस तरह परमेश्वर तारों का नाम जानता है, वह हमें एक एक करके और व्यक्तिगत् तौर से जानता है(पद.27)।

यदि हम चिन्तित रहते हैं, हम उसे प्रभु को दे सकते हैं। वह हमारा ध्यान रखने में थकता नहीं है। वह पूर्ण बुद्धिमान और सामर्थी है, और हमारे पक्ष में उनका उपयोग करना चाहता है। तारों का मार्गदर्शन करनेवाले का हाथ हमारे चारों ओर है।