कोई भी युद्ध का खर्च उठा नहीं सकता l एक वेबसाईट की रिपोर्ट है इस समय 64 राष्ट्रों के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी है l ये कब और कैसे समाप्त होंगे? हमें शांति चाहिए, किन्तु न्याय की कीमत पर नहीं l

यीशु “शांति,” के काल में जन्म लिया किन्तु यह तानाशाह शोषण की कीमत पर था l रोमी द्वारा प्रत्येक विरोध के दमन से शांति का अस्तित्व था l

उस आपेक्षिक शांति से सात शताब्दी पूर्व, शत्रु सेना यरुसलेम पर चढ़ाई करने की तैयारी कर रही थी l युद्ध की छाया में, परमेश्वर ने एक अदभुत् प्रकाशन दिया l “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे,” नबी ने घोषणा की (यशा.9:2) l “क्योंकि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है …. उसकी प्रभुता सर्वदा बढती रहेगी, और उसकी शांति का अंत न होगा” (पद. 6-7) l मत्ती अनुसार यशायाह की नबूवत बालक-मसीह में पूरी हुई (मत्ती. 1:22-23; यशायाह 7:14 भी देखें) l

हम चरनी के दृश्य में एक छोटे बालक की उपासना करते हैं l किन्तु वह असहाय बच्चा सर्वशक्तिमान प्रभु भी है, “सेनाओं [का] यहोवा” (यशा. 13:13) l एक दिन वह “दाऊद की राजगद्दी पर …. सर्वदा के लिए न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किये और संभाले रहेगा” (9:7) l ऐसा शासन रोम की दमनकारी शांति नहीं होगी l वह शांति के राजकुमार का शासन होगा l