जब 63 वर्ष की उम्र में अचानक हौलैंड के महान चित्रकार रेम्ब्रेंट की मृत्यु हो गई, उसके चित्रफलक पर एक अधूरी चित्र पायी गई l वह शमौन की उस भावना पर ध्यान केन्द्रित है जब वह मंदिर में यीशु को गोद में लेता है l फिर भी पृष्ठभूमि और स्वाभाविक विवरण अधुरा है l कुछ एक कला विशेषग्य मानते हैं कि रेम्ब्रेंट अपने जीवन का निकट अंत जानता था और – शिमोन की तरह – “विदा” होने को तैयार था (लूका 2:29) l

पवित्र आत्मा शमौन पर था (पद.25), इसलिए यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि मरियम और यूसूफ के अपने पहिलौठे को मंदिर में अर्पण करते समय शिमोन वहां था, जो प्रतिज्ञात मसीह के इंतज़ार में था l उसने अपनी गोद में बालक को लेकर परमेश्वर की प्रशंसा इन शब्दों में की, “हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शांति से विदा करता है, क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है… कि वह अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिए ज्योति, और तेरे लोग इस्राएल की महिमा हो” (पद. 29-32) l

शमौन इस्राएल प्रतिज्ञात मसीह का इंतज़ार कर रहा था, जो सभी राष्ट्रों को छुड़ाने वाला था l

शमौन की तरह, आपके पास भी जीवन में आशान्वित,अग्रिम दृष्टि हो सकती है क्योंकि हम जानते हैं कि एक दिन हम प्रभु को देखेंगे l