जब ईसा पूर्व 444 के सातवें महीने के पहले दिन सूर्योदय हुआ, एज्रा मूसा की व्यवस्था पढ़ने लगा (जिन्हें हम बाइबल की प्रथम पांच पुस्तकें कहते हैं) l यरूशलेम में लोगों के सामने मंच पर खड़े होकर, वह अगले 6 घंटों तक पढ़ता रहा l

पुरुष, स्त्रियाँ और बच्चे तुरहियों का पर्व-परमेश्वर द्वारा निर्धारित एक पर्व-मनाने नगर के जलफाटक के सामने इकट्ठे थे l उनके सुनने से चार बातें हुईं l

वे व्यवस्था की पुस्तक के आदर में खड़े हो गए (नहे. 8:5) l उन्होंने हाथों को उठाकर और “आमीन” बोलकर परमेश्वर की प्रशंसा की l वे दीन उपासना में झुक गए (पद.6) l उसके बाद उन्होंने ध्यानपूर्वक सुना जब वचन पढ़ा गया और समझाया गया (पद. 8) l क्या ही अद्भुत दिन था जब वह पुस्तक जिसे “यहोवा ने इस्राएल को दी थी” यरूशलेम की पुनःनिर्मित नयी दीवारों के अन्दर ऊंची आवाज़ में पढ़ी गयी! (पद.1) l

एज्रा का लम्बा पठन समय हमें ताकीद देती है कि परमेश्वर का वचन आज भी हमारे लिए प्रशंसा, उपासना, और सीखने का श्रोत है l जब हम बाइबल खोलकर मसीह के विषय और सीखते हैं, आइये हम परमेश्वर की प्रशंसा करें, उसकी उपासना करें, और जो वह हमसे कहना चाहता है उसे जाने l