प्रति वर्ष जून 18 को वाटरलू का महायुद्ध बेल्जियम में स्मरण किया जाता है l 1815 में इस दिन, वेलिंगटन के शासक की अगुवाई में बहुराष्ट्रीय सेना ने नेपोलियन की फ़्रांसीसी सेना को हराया था l उस समय से, वाक्यांश “अपने वाटरलू से मिलिए” का अर्थ रहा है “अपने से अधिक शक्तिशाली से या किसी समस्या से पराजित होना जो आपके लिए कठिन है l”

अपने आत्मिक जीवनों के विषय सोचते हुए, कुछ लोगों का अनुभव है कि हम सब की “वाटरलू से मुलाकात” होगी क्योंकि समय पर अंतिम पराजय निश्चित है l किन्तु यूहन्ना ने विश्वासियों लिखते हुए इस नकारात्मक विचार का खंडन करता है : “जो कोई परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है; और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है” 1 युहन्ना 5:4) l

युहन्ना अपने प्रथम पत्री में इस आत्मिक विजय को बुनता है जब वह इस संसार की वस्तुओं से प्रेम नहीं करने का आग्रह करता है, जो मिटती जाती हैं (2:15-17) l इसके बदले, हमें परमेश्वर से प्रेम और उसको प्रसन्न करना है, “जिसकी उसने हमसे प्रतिज्ञा की वह अनंत जीवन है” (2:25) l

जबकि हमारे जीवनों में उतार चढाव आ सकते हैं, और कुछ संघर्ष जिससे पराजय महसूस हो, मसीह में अंतिम जय हमारा है जब हम उसकी सामर्थ्य पर भरोसा करते हैं l