स्थानीय उद्यान में घूमते समय दो खुले कुत्तों से मेरे बच्चों का और मेरा सामना हुआ l उन मालिक ध्यान नहीं दे रहा था कि एक ने मेरे बेटे को डरना आरंभ कर दिया था l मेरे बेटे ने कुत्ते को भगाने की कोशिश की, किन्तु वह पशु उसे और भी परेशान करने लगा l
मेरा बेटा घबरा गया l वह कई गज़ पीछे हटा, किन्तु कुत्ते ने उसका पीछा किया l वह कुत्ता मेरे चिल्लाने तक, “मेरे निकट आओ!,” मेरे बेटे का पीछा करता रहा l मेरा बेटा शांत होकर मेरे पीछे छिप गया, और अनन्तः कुत्ता कहीं और शैतानी करने चला गया l
हमारे जीवनों में ऐसे क्षण होते हैं जब परमेश्वर हमसे कहता है, “मेरे निकट आओ!” हमारे निकट कुछ परेशानी है l हम जितनी गति से और जितनी दूर भागते हैं, वह उतना ही हमारे अति निकट आता है l हम उससे छुटकारा नहीं पा सकते हैं l हम लौटने और उसका सामना स्वयं करने में अति भयभीत होते हैं l किन्तु वास्तव में हम अकेले नहीं हैं l परमेश्वर वहाँ हमें मदद और ढाढ़स देने हेतु मौजूद है l हमें मुड़कर उसकी ओर लौटना है l उसका वचन कहता है, “यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है , धर्मी उसमें भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है” (नीतिवचन 18:10) l
परेशानी में परमेश्वर हमारा शरणस्थान है l