अनेक वर्षों के बाद, एडवर्ड ली बर्लिन लौटकर, याद किया कि जिसे वह याद और प्रेम करता था, जो अब नहीं था l उसके साथ, वह शहर भी पूर्णरूपेण बदल गया था l हेमिसफीयर्स पत्रिका में उसने लिखा, “एक शहर जिसे आप प्यार करते थे संयोग का प्रस्ताव लगता है . . . जिसे छोड़ देना चाहिए l” अपने अतीत के स्थान पर जाना दुःख और हानि के भाव उत्पन्न करता है l हम उस समय की तरह वही व्यक्ति नहीं हैं, न ही वह स्थान हमारे जीवन में पहले जैसा महत्वपूर्ण है l
नहेम्याह इस्राएल देश से अनेक वर्षों तक निर्वासन में था जब उसने अपने लोगों की दयनीय दशा और यरूशलेम शहर के विनाश के विषय सुना l उसने फारस के राजा, अर्तक्षत्र से दीवारों के पुनःनिर्माण के लिए अनुमति मांगी l एक रात स्थिति की टोह लेने के बाद (नहे. 2:13-15), नहेम्याह ने शहरवासियों से कहा, “हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं l आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह बनाएं, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे” (पद.17) l
नहेम्याह यादें तरोताज़ा करने नहीं किन्तु पुनःनिर्माण करने लौटा l यह हमारे अतीत के ध्वस्त भागों को ठीक करने की सशक्त ताकीद है l यह मसीह में हमारा विश्वास और उसकी सामर्थ्य ही है जो हमें आगे देखकर, बढ़ने और पुनःनिर्माण करने की ताकत देता है l
हम अतीत को बदल नहीं सकते, किन्तु परमेश्वर हमें भविष्य के लिए बदल रहा है l