Month: जनवरी 2017

गुणित प्रेम

जब केरेन के चर्च की एक महिला के विषय पता चला कि उसे ALS(amyotrophic lateral sclerosis या Lou Gehrig) नामक जानलेवा बीमारी हो गई है, स्थिति अच्छी नहीं थी l यह क्रूर बीमारी तंत्रिकाओं और मांशपेशियों को प्रभावित करके रोगी को लकवाग्रस्त कर देता है l पारिवारिक बीमा से घर में इलाज संभव नहीं था और उसका पति नर्सिंग होम में इलाज करने की कल्पना भी नहीं कर सकता था l

नर्स होने के कारण केरेन उस महिला की सेवा करने उसके घर जाने लगी l किन्तु जल्द ही वह समझ गई कि अपने मित्र की सेवा करते हुए वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर पा रही थी, इसलिए उसने चर्च में दूसरों को सेवा भाव सीखना आरंभ कर दी l अगले सात वर्षों में  बीमारी के बढ़ने पर केरेन ने अपने अलावा इकतीस स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जिन्होंने उस परिवार को प्रेम, प्रार्थना, और व्यावहारिक सहायता दी l

“जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है [उसे] अपने भाई [और बहन] से भी प्रेम [रखना होगा],” प्रेरित यूहन्ना ने कहा (1 यूहन्ना 4:21) l केरेन उस प्रकार के प्रेम का एक दीप्त उदाहरण देती है l वह कुशल, प्रेमी, और एक चर्च परिवार को एक दुखित मित्र की सेवा हेतु प्रेरित करने वाली थी l एक ज़रूरतमन्द व्यक्ति के लिए उसका प्रेम गुणित व्यावहारिक प्रेम बन गया l

जैसा प्रतीत नहीं होता

डॉन, दक्षिणी लानकशायर, स्कॉटलैंड के एक फार्म में रहनेवाला एक बार्डर कुली है l एक दिन उसका मालिक और वह, एक छोटे वाहन में कुछ पशुओं को देखने गए l टॉम, वाहन में  ब्रेक लगाना भूलकर नीच उतार गया l डॉन, चालक के सीट पर बैठा था और वाहन सुरक्षित रुकने से पूर्व, ढलान पर और आगे दो पंक्तियों के यातायात में धीमी चलती गई l मोटर-चालकों को लगा जैसे कोई कुत्ता सुबह की सैर करने निकला है l बिल्कुल, बातें हमेशा जैसी होती हैं, वैसी दिखती नहीं l

ऐसा महसूस हो रहा था जैसे एलिशा और उसके सेवक को गिरफ्तार करके आराम के राजा के पास पहुंचाया जाएगा l राजा की सेना ने शहर को चारों ओर से घेर लिया था जहां एलिशा और उसका सेवक थे l सेवक का मानना था कि मृत्यु निकट है, किन्तु एलिशा ने कहा, “मत डर; क्योंकि जो हमारी ओर हैं, वह [शत्रु] ... से अधिक हैं” (2 राजा 6:16) l एलिशा की प्रार्थना पश्चात, सेवक स्वर्गिक सेना को उनकी सुरक्षा के लिए अपना मोर्चा संभाले देखा l

स्थितियाँ जो आशाहीन दिखाई देती हैं हमेशा वैसी नहीं होतीं जैसी हमें दिखती हैं l जब हम अभिभूत और संख्या में थोड़े महसूस करते हैं, हम स्मरण रखें परमेश्वर हमारी ओर है l वह “अपने दूतों को [हमारे] निमित्त आज्ञा [देगा] [कि वह हमारी] रक्षा करें” (भजन 91:11) l

पूर्ण उपहार

अमरीका में क्रिसमस के बाद के सप्ताह वर्ष का सबसे व्यस्त समय व्यवसाय के पुनः आरंभ होने का समय जब लोग अनचाहे उपहारों का लेन-देन वास्तविक ज़रुरतों की वस्तुओं से करते हैं l फिर भी शायद आप पूर्ण उपहार देनेवालों को जानते होंगे l उनको कैसे मालूम दूसरे व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण और अवसर के लिए उचित क्या है? सही उपहार देना दूसरों को सुनने और व्यक्ति की रुचि जानने से होती है कि वह किसमें आनंदित और प्रसन्नचित होते हैं l

यह परिवार और मित्रों के साथ सही है l किन्तु परमेश्वर के साथ क्या? क्या परमेश्वर को भेट करने के लिए कुछ अर्थपूर्ण और विशेष है? क्या कुछ है जो उसके पास नहीं है?

 रोमियों 11:33-36, परमेश्वर की महान बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और महिमा के लिए प्रशंसा के गीत पश्चात उसके प्रति हमारे समर्पण की बुलाहट है l ”इसलिए हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ l यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है” (पद. 12:1) l अपने चारो ओर के संसार के सदृश न बनकर, हमारे “मन के नए हो जाने से [हमारा] चालचलन भी बदलता जाए” (पद.2) l

आज हम कौन सा सर्वोत्तम उपहार परमेश्वर को दे सकते हैं? हम धन्यवाद, दीनता, और प्रेम में सम्पूर्ण रूप से अपने को दें-हृदय,मन,और इच्छा l प्रभु यही हमसे चाहता है l

धन्यवादी जीवन

अपने आत्मिक जीवन में परिपक्व और अधिक धन्यवादी होने की इच्छा से, सु ने धन्यवादी-जीवन मर्तबान बनाया l रोज़ शाम वह एक कागज पर परमेश्वर के प्रति धन्यवाद का विषय लिखकर मर्तबान में डाल देती थी l कुछ दिन उसके पास अनेक प्रशंसा होती थी; दूसरे कठिन दिनों में वह एक ढूँढने के लिए संघर्ष करती थी l वर्ष के अंत में उसने मर्तबान को खाली करके सभी पर्चे पढ़े l उसने अपने को परमेश्वर को उसके हर एक कार्य के लिए धन्यवाद  देते हुए पाया l उसने खुबसूरत सूर्यास्त  या पार्क में घुमने के लिए ठंडी शाम और दूसरे मौकों पर उसे  किसी कठिन समस्या के हल के लिए अनुग्रह या प्रार्थना का उत्तर जैसी सरल आशीषें दी थीं l

सु की खोज मुझे भजनकार दाऊद के अनुभव की ताकीद देती है (भजन 23) l परमेश्वर ने उसे “हरी हरी चराईयों” और “सुखदाई जल” से तरोताज़ा किया (पद.2-3) l उसने उसे  मार्गदर्शन, सुरक्षा, और शांति दी (पद.3-4) l दाऊद अंत करता है : “निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ-साथ बनी रहेंगी” (पद.6) l

मैं इस वर्ष धन्यवादी-जीवन मर्तबान बनाउँगी l शायद आप भी l मेरा विचार है हमारे पास परमेश्वर को धन्यवाद देने के अनेक कारण होंगे-मित्र और परिवार और उसके भौतिक, आत्मिक, और भावनात्मक ज़रूरतों के साथ l हम देखेंगे कि परमेश्वर की भलाई और करुणा और प्रेम हमारे साथ जीवन भर रहेंगे l