यह वह वृक्ष था जिससे लोग ईर्ष्या करते l नदी के सामने भूमि में बढ़ता हुआ, इसे मौसम की सूचना, विध्वंशकारी तापमान, अथवा अनिश्चित भविष्य की चिंता नहीं थी l उसे नदी द्वारा पोषण और ठंडक मिलती थी, वह सूर्य की ओर अपनी टहनियाँ फैलाए और भूमि को जड़ों से पकड़े हुए, अपनी पत्तियों द्वारा हवा को स्वच्छ करते हुए, और सूर्य से ज़रुरतमंदों को छाया देकर अपने दिन बिताता था l 

इसके विपरीत, नबी यिर्मयाह एक अधमरे पेड़ की ओर इशारा करता है (यिर्म. 17:6) l जब वर्षा रूक गयी और तपन ने धरती को धुल में बदल दिया, अधमरा पेड़ मुरझा कर, किसी को भी छाया और फल न दे सका l

नबी तंदुरुस्त वृक्ष की तुलना एक अधमरे पेड़ से क्यों करता है? मिस्र के दास स्थलों से आश्चर्यजनक छुटकारे के समय के बाद क्या हुआ, नबी लोगों को याद दिलाना चाहता था l निर्जन प्रदेश में चालीस वर्षों तक, उन्होंने नदी के निकट लगे वृक्ष की तरह जीवन बिताया (2:4-6) l फिर भी अपने प्रतिज्ञात देश की समृद्धि में वे अपनी कहानी भूल गए; उन्होंने खुद पर और अपने बनाए देवताओं पर भरोसा किया (पद.7-8), और मदद के लिए मिस्र जाने की लालसा की (42:14) l

इसलिए यिर्मयाह के द्वारा परमेश्वर, भुलक्कड़ इस्राएलियों और हमसे प्रेमपूर्ण अपील करता है कि हम उस पर आशा और भरोसा रखकर उस अधमरे पेड़ की तरह नहीं वरन् तंदुरुस्त वृक्ष की तरह बने l