बोस्टन के नार्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में वायरल विषय वस्तु प्रोजेक्ट यह अध्ययन कर रहें है कि 1800 के दशक में मुद्रित विषय अखबारों द्वारा-उस काल का सोशल मीडिया नेटवर्क-कैसे फैलता था l यदि एक लेख पुनः 50 से अधिक बार छपती थी, वे उसे उस ओद्योगिक काल में “वाइरल” मानते थे l स्मिथसोनियन पत्रिका में लिखते हुए, ब्रिट पीटरसन ने पाया कि यीशु के किस अनुयायी की मृत्यु विश्वास के कारण कैसे हुई, एक उन्नीसवीं-शताब्दी के खबर लेख कम-से-कम 110 भिन्न प्रकाशनों में दिखाई दिया l
थिस्सलुनीके के मसीहियों को लिखते हुए प्रेरित पौलुस ने, उन्हें यीशु का साहसिक और आनंदित साक्षी बनने के लिए सराहाना की l “तुम्हारे यहाँ से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फ़ैल गई है” (1 थिस्स.1:8) l यीशु मसीह द्वारा रूपांतरित इन लोगों के जीवन द्वारा सुसमाचार वायरल हो गया l कठिनाई और सताव के बावजूद, वे शांत न रह सके l
हम प्रभु को जाननेवाले करुणामय हृदयों, मददगार हाथों, और ईमानदार शब्दों द्वारा मसीह में क्षमा और अनंत जीवन को फैलाते हैं l सुसमाचार हमें और हमसे मिलने वालों के जीवन रूपांतरित करता है l
आज भी हम सभों द्वारा सुसमाचार फैलता जाए!
सुसमाचार से बेहतर और कोई खबर नहीं है-वचन को फैलाएं!