11वीं शताब्दी में राजा कैन्युट संसार का सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में एक था l वर्तमान में प्रसिद्ध किस्सा अनुसार, उसने उठते लहरों के किनारे एक कुर्सी रखने की आज्ञा दी l “उसने समुद्र से कहा, “तुम मेरे आधीन हो l “इसलिए मेरा आदेश है कि मेरी भूमि में मत उठो, न ही अपने मालिक के कपड़े या अंगों को भिगाओ l” किन्तु लहर ने उठकर राजा के पैर भिगो दिए l
यह कहानी अक्सर कैन्युट का घमंड दर्शाने हेतु बतायी जाती है l वास्तव में यह विनम्रता की कहानी है l कैन्युट आगे कहता है, “समस्त संसार जान ले कि राजाओं की सामर्थ्य शून्य है, उसको छोड़कर जिसकी आज्ञा स्वर्ग, पृथ्वी, और समुद्र मानते हैं l” कैन्युट की कथा एक बात कहती है : केवल परमेश्वर शक्तिशाली है l
अय्यूब ने भी यही पाया l पृथ्वी की नींव रखनेवाले की तुलना में (अय्यूब 38:4-7), जो सुबह होने की और रात ख़त्म होने की आज्ञा देता है (पद.12-13), जिसके पास हिम भण्डार है, और जो तारों को आदेश देता है (पद. 22,31-33), हम छोटे हैं l लहरों का शासक एक ही है, और वह हम नहीं हैं (पद.11; मत्ती 8:23-27) l
अपने घमंड और चतुराई के समय कैन्युट की कहानी दोहराना अच्छा है l समुद्र तट पर लहरों को शांत और सूर्य को एक ओर जाने को कहें l कौन वास्तव में सर्वोच्च है हम जल्द ही याद करके अपने जीवन शासक को धन्यवाद देंगे l
परमेश्वर महान है, हम छोटे हैं, और यह अच्छा है l