अंतर्राष्ट्रीय विपत्ति संकेत “Mayday” हमेशा तीन बार दोहराया जाता है-Mayday- Mayday- Mayday”-ताकि खतरनाक आपातकाल जैसी स्थिति बिल्कुल समझ में आ जाए l 1923 में, लन्दन क्रॉयडन एअरपोर्ट पर नियुक्त, वरिष्ठ रेडियो अफसर, फ्रेडरिक मोक्फोर्ड ने यह शब्द रचा था l वर्तमान में बंद इस सुविधा में पेरिस के ली बोरगेट एअरपोर्ट से लन्दन और वापस अनेक उड़ाने थीं l नेशनल मारीटाइम अजायबघर के अनुसार, मोक्फोर्ड ने Mayday शब्द को फ़्रांसीसी शब्द m’aidez, अर्थात्, मेरी सहायता करें” से बनाया l
दाऊद अपने सम्पूर्ण जीवन में, खतरनाक स्थितियों का सामना किया जिसका हल कठिन था l फिर भी, हम भजन 86 में पढ़ते हैं कि दाऊद का भरोसा सबसे कठिन समय में, परमेश्वर में था l “हे यहोवा, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन l संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूँगा क्योंकि तू मेरी सुन लेगा” (पद.6-7) l
दाऊद परमेश्वर का मार्गदर्शन माँगकर तात्कालिक खतरे से परे देखा l “हे यहोवा, अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूँगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूँ” (पद.11) l संकट समाप्ति के बाद भी, वह परमेश्वर के साथ चलना चाहता था l
हमारे द्वारा कठिनतम स्थिति का सामना प्रभु के साथ गहरे सम्बन्ध का द्वार खोल दे सकते हैं l यह हमारे संकट में, और दैनिक जीवन में उसके मार्ग पर चलने हेतु सहायता मांगने से आरंभ होता है l
परमेश्वर सहायता के लिए हमारी पुकार सुनकर अपने मार्ग में अगुवाई करता है l