हाल ही की छुट्टियों में, मेरे दाढ़ी बढ़ाने पर अधिकतर मित्र और सहकर्मियों ने प्रशंसा की l हालाँकि, एक दिन, मैंने अपनी दाढ़ी देखकर कहा, “यह मैं नहीं हूँ l” और उस्तरा बाहर निकल आया l

हम कौन हैं, इस पर चिंतन करते हुए क्यों कोई न कोई बात हमारे व्यक्तित्व पर ठीक नहीं बैठती l सबसे पहले, इसलिए क्योंकि परमेश्वर ने हमें व्यक्तिगत भिन्नता और पसंद दी है l यह अच्छा है कि हमारे एक से शौक नहीं, समान भोजन नहीं, अथवा हम एक ही चर्च  नहीं l हम सब ख़ास हैं और “अद्भुत रीति से रचे गए हैं” (भजन 139:14) l पतरस अनुसार, हमारे पास परस्पर सेवा हेतु विशेष वरदान हैं (1 पतरस 4:10-11) l

यीशु के शिष्यों ने अपने चारित्रिक गुणों को उसके संसार में प्रवेश से पूर्व नहीं जांचा l यीशु की गरफ्तारी की रात पतरस आवेग में दास का कान काट दिया l मसीह के पुनरुथान पर विश्वास से पूर्व थोमा ने प्रमाण माँगा l अपरिपक्वता के कारण प्रभु ने यूँ ही उनको ख़ारिज नहीं किया l उसने उन्हें अपनी सेवा के लिए बनाकर आकार दिया l

प्रभु की सर्वोत्तम सेवा की चुनाव में अपने वरदान और गुणों को जांचकर कभी-कभी “यह मैं नहीं हूँ,” कहना बुद्धिमत्ता है l परमेश्वर हमें हमारे आरामदेह स्थिति से बाहर निकलकर  हमारे ख़ास वरदान और व्यक्तित्व को अपने अच्छे उद्देश्य के अनुकूल बनाएगा l हम उसके रचनात्मक स्वभाव के आदर हेतु उसे हमें उपयोग करने दें l