मेरी असावधानी से रेस्टोरेंट काउन्टर पर पेय गिरकर फर्श पर फ़ैल गया l कोरी शर्मिंदगी में, मैं चुल्लू से उसे इकट्ठा करना चाही l मेरा ज्यादातर प्रयास असफल रहा; अधिकतर पेय मेरी उँगलियों के बीच से निकलकर बह गया l अंत में, मेरी हथेलियों में एक चम्मच से थोड़ा अधिक पेय था, और मेरे पाँव तलैया में थे l
मेरा जीवन के कई दिनों में ऐसा ही होता है l मैं समस्याओं का हल निकालने, विवरण निरीक्षण, और स्थितियों को संभालने में लगी रहती हूँ l मेरे कठिन प्रयास के बावजूद, मेरे निर्बल हाथ सभी टुकड़ों और हिस्सों को संभाल नहीं पाते l कुछ-न-कुछ मेरी उँगलियों के बीच से फिसलकर मेरे पाँव के पास फर्श पर गिरकर मुझे अभिभूत करते हैं l मैं हाथों को मोड़कर अथवा उँगलियों को दबोच कर भी सब कुछ संभाल नहीं सकती l
फिर भी परमेश्वर सक्षम है l यशायाह कहता है कि परमेश्वर विश्व के जल को-सभी महासागर और नदियाँ और वर्षा-को चुल्लू से माप सकता है (40:12) l केवल उसके हाथ उन्हें थाम सकते हैं l हम एक चम्मच से अधिक थामने का प्रयास न करें जो उसने हमारे थामने के लिए रचा है l पराजित महसूस करने पर, हम उसके समर्थ हाथों में अपनी देखभाल और चिंता छोड़ दें l
हम परमेश्वर पर हमें चिंतित करने वाली बातों को संभालने के लिए भरोसा करें l