बारह वर्ष की उम्र में, मेरा परिवार मरुभूमि क्षेत्र के एक शहर में रहने लगा l अपने स्कूल में, गर्म हवा में जिम कक्षाओं के बाद, हम दौड़ कर पानी पीने नल के पास भागते थे l अपनी कक्षा में दुबला और छोटा, मुझे पंक्ति से बाहर धकेल दिया जाता था l अपनी उम्र से बड़ा और ताकतवर मेरा मित्र, जोस, यह होते देखकर अपना एक बाँह आगे करके मेरे लिए जगह बना दिया l “सुनो!” वह चिल्लाया, “ बैंक्स को पहले पीने दो!” उसके बाद मुझे पानी पीने में परेशानी नहीं हुयी l

सीमा से परे दूसरों की दयाहीनता सहना यीशु जानता था l बाइबिल हमसे कहती है, “वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था” (यशा.53:3) l किन्तु यीशु केवल दुःख पीड़ित नहीं था, वह पक्षसमर्थक भी है l अपना जीवन देकर, यीशु ने हमारे लिए परमेश्वर के साथ सम्बन्ध में प्रवेश हेतु “[नया] और [जीवता] मार्ग” खोल दिया है (इब्रानियों 10:19) l उसने हमारे लिए वह किया जिसमें हम अक्षम थे l अपने पापों से पश्चाताप कर उस पर भरोसा करके हम उसके द्वारा उद्धार का मुफ्त उपहार पा सकते हैं l

यीशु हमारा सर्वोत्तम मित्र है l उसने कहा, “जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा” (यूहन्ना 6:37) l दूसरे हमें अपनी ताकत से संभालेंगे अथवा धकेल देंगे, किन्तु परमेश्वर ने क्रूस द्वारा हमारे लिए अपनी बाहें फैलायी है l हमारा उद्धारकर्ता कितना सामर्थी है!