एक सहेली के मुझे धोखा देने के बाद, मुझे मालूम था कि मुझे उसे क्षमा करना है, किन्तु मैं आश्वस्त नहीं थी कि मैं कर पाऊँगी l उसके शब्द मुझको चुभ गए थे, और मैं दर्द और क्रोध से भरी हुयी थी l यद्यपि हमनें इसके विषय बातें कीं और मैंने उससे कहा कि मैं क्षमा कर चुकी हूँ, बहुत समय तक उसे देखने पर मैंने चोट का दर्द महसूस किया, इसलिए मैं जानती थी कि मेरे अन्दर कुछ नाराज़गी थी l एक दिन, हालाँकि, परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे उसे छोड़ने की ताकत दी l आखिरकार मैं स्वतंत्र थी l

हमारे उद्धारकर्ता के साथ जो क्रूस पर मरते वक्त भी क्षमा दिया, क्षमा मसीही विश्वास का केंद्र है l यीशु ने उनको क्षमा किया जिन्होंने उसे क्रूसित किया, और पिता से उन्हें क्षमा करने को कहा l उसके अन्दर कड़वाहट अथवा क्रोध नहीं था, किन्तु उसने उसे दुःख पहुँचानेवालों पर अनुग्रह दिखाया और उनसे प्रेम किया l

यीशु के आदर्श का अनुसरण करते हुए अपने प्रभु के समक्ष किसी को भी जिन्होंने आपको चोट पहुँचाया है, क्षमा करने और उसका प्रेम दिखाने का यह ठीक समय है l जब हम परमेश्वर से उसकी आत्मा द्वारा क्षमा करने की मदद मांगेंगे, वह हमारी सहायता करेगा-चाहे हम क्षमा करने में अधिक समय लगाने की सोचते हैं l हमारे ऐसा करने पर, हम नहीं क्षमा करने के कैद से छूट जाएंगे l