मेरी सहेली ग्लोरिया मुझे उत्तेजित होकर पुकारी l डॉक्टर से नियोजित भेंट के अलावा वह अपने घर से निकलने में असमर्थ थी l इसलिए मैं समझ गयी वह क्यों मुझसे कहने के लिए खुश थी, “मेरे पुत्र ने अभी-अभी मेरे कंप्यूटर में स्पीकर्स जोड़ा है, इसलिए अब मैं चर्च जा सकती हूँ!” अब वह अपने चर्च उपासना का सीधा प्रसारण सुन सकती थी l उसने परमेश्वर की भलाई की अत्यधिक चर्चा करी और “वह उपहार जो मेरा बेटा कभी मुझे दे सकता था!”
ग्लोरिया मुझे धन्यवादी हृदय रखना सिखाती है l उसके अनेक सीमाओं के बावजूद, वह छोटी बातों के लिए भी धन्यवादित है-सूर्यास्त, मददगार परिजन और मित्र, परमेश्वर के साथ शांत पल, अपने अपार्टमेन्ट में अकेले रहने की क्षमता l उसने परमेश्वर को जीवन भर उसकी ज़रूरतों को पूरा करते देखा है, और वह हर मिलनेवालों से परमेश्वर के विषय बताती है l
हम भजन 116 के रचयिता की कठिनाइयों को नहीं जानते हैं l कुछ बाइबिल टीकाकारों के अनुसार संभवतः बीमारी थी क्योंकि उसने कहा, “मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं” (पद.3) l किन्तु अपने प्रति प्रभु का अनुग्रह और करुणा देखकर वह धन्यादित है जब उसे “बलहीन किया गया” (पद.5-6) l
जब हम बलहीन होते हैं, ऊपर देखना कठिन है l फिर भी ऐसा करने पर, हम देखते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में सभी अच्छे उपहारों का देनेवाला है-बड़ा और छोटा-और हम धन्यवाद देना सीखते हैं l
परमेश्वर की आशीषों को गिनने पर उसके प्रति धन्यवाद स्वाभाविक है l