जब हम म्युनिक के बाहर ग्रामीण विश्रामगृह में रात बिताने पहुंचे तो काफी रात हो चुकी थी l हम अपना बाल्कनी वाला आरामदायक कमरा पाकर खुश थे, यद्यपि एक कष्टकर कुहरे से अँधेरे में देखना असंभव था l किन्तु कुछ घंटे बाद सूर्योदय होने पर, धुंध फटने लगा l तब जो रात के समय बहुत छुपा हुआ था अब हम देख सकते थे-एक सम्पूर्ण रमणीय दृश्य-शांत और हरा-भरा चारागाह, घास चरती भेड़ें जिनके गलों में बजती छोटी घंटियाँ, और आकाश में सफ़ेद बादल जो और बड़ी, रोयेंदार भेड़ों की तरह दिखाई देती थीं!

कभी-कभी जीवन निराशा के भारी कुहरे से ढक जाता है l हमारी स्थिति अत्यधिक अंधकारमय दिखाई देने के कारण आशा जाती रहती है l किन्तु जैसे सूरज से कुहरा फट जाता है, परमेश्वर में हमारा विश्वास सन्देह का शंका हटा देता है l इब्रानियों 11 में विश्वास की परिभाषा “आशा की हुयी वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है” (पद.1) l परिच्छेद आगे हमें नूह का विश्वास याद दिलाता है, जो “दिखाई न देनेवाली बातों के विषय चेतावनी पाया,” फिर भी परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहा (पद.7) l और अब्राहम जो परमेश्वर के मार्गदर्शन में चला-यद्यपि वह अपना गंतव्य नहीं जानता था (पद.8) l

यद्यपि हमनें उसे नहीं देखा है और हर समय उसकी उपस्थिति का आभास नहीं करते हैं, परमेश्वर हमेशा उपस्थित रहता है और हमारे अंधकारमय रातों में भी लिए चलेगा l