कोई भी दिन किसी न किसी तरह का अपमान, उपेक्षा और अनादर सहे बिना बिताना शायद असंभव है l कभी-कभी हम खुद के साथ भी ऐसा करते हैं l

दाऊद के शत्रुओं से धमकी देने, डराने और निंदा करने की बू आ रही थी l आत्म-सम्मान और भलाई का उसका भाव अचानक से धराशायी हो गया था (भजन 4:1-2) l उसने अपनी “सकेती” से निकलने के लिए सहायता मांगी l

तब दाऊद ने याद किया, “यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपने लिए अलग कर रखा है” (पद.3) l अंग्रेजी के विभिन्न अनुवाद दाऊद के दृढ़ उक्ति का पूर्ण भाव “भक्त” बताते हैं l यहाँ पर इब्रानी शब्द, हेसेद (hesed)  का शब्दशः सन्दर्भ परमेश्वर के प्रेम के वाचा से है और उसका अर्थ हो सकता है “जिनको परमेश्वर हमेशा, हमेशा, हमेशा के लिए प्रेम करेगा l”

यहाँ पर वह बात है जो हमें याद रखना है : उस प्रिय पुत्र की तरह हमसे सदा  प्रेम किया जाता है, हम विशेष रूप से अलग किये गए हैं l उसने हमें अनंतकाल के लिए अपनी संतान होने के लिए बुलाया है l

निराश होने की जगह, हम अपने पिता से प्राप्त प्रेम को याद करें जो हमें मुफ्त में मिला है l हम उसके अति प्रिय बच्चे हैं l अंत निराशा नहीं किन्तु शांति और आनंद है (पद.7-8) l वह हमें त्यागता नहीं, और वह कभी भी हमसे प्रेम करना नहीं छोड़ेगा l