यदि आपके किसी कार्य-दिवस में प्रभु एक सन्देश लेकर आपके पास आता, आप क्या करते? एक प्राचीन यहूदी, गिदोन के साथ ऐसा हुआ l “उसको यहोवा के दूत ने दर्शन दिया, ‘हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है l’” गिदोन मूक रह सकता था, किन्तु उसने कहा, “यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती?” (न्या. 6:12-13) l मानो परमेश्वर ने अपने लोगों को त्याग दिया था, गिदोन जानना चाहता था l
परमेश्वर ने उस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया l गिदोन के सात वर्षों तक शत्रुओं का आक्रमण, भुखमरी और गुफाओं में छिपने के बाद, परमेश्वर ने हस्तक्षेप नहीं करने का कारण नहीं बताया l उसने इस्राएल के अतीत के पापों को न जताते हुए, उसको आशा दी l उसने कहा, “अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा l निश्चय मैं तेरे संग हूँ l (न्यायियों 6:14,16) l
क्या आपने कभी सोचा क्यों परमेश्वर ने आपके जीवन में दुःख आने दी? उस ख़ास प्रश्न के उत्तर के बदले, परमेश्वर आपको अपनी निकटता से आज संतुष्ट करके ताकीद देता है कि आप दुर्बलता में उसकी सामर्थ्य पर निर्भर हों l गिदोन के अंततः भरोसा करने पर कि परमेश्वर साथ था और मदद करेगा, उसने एक वेदी बनाकर उसको “यहोवा शालोम” नाम दिया (पद.24) l
इसमें शांति है कि हमारे हर काम और स्थान में, परमेश्वर साथ रहेगा l
हमारे क्यों प्रश्नों के जवाब प्राप्त करने से बेहतर क्या है?
भला और सामर्थी परमेश्वर पर भरोसा करना l