हानि, और निराशा के हमारे अनुभव हमें क्रोधित, दोषी और भ्रमित करते हैं l चाहे हमारे चुनावों के कारण कुछ दरवाज़े नहीं खुलेंगे अथवा, हमारे दोष के बगैर, त्रासदी हमारे जीवनों में है, परिणाम अक्सर वही है जिसे ऑस्वाल्ड चेम्बर्स कहते हैं ‘हो सकता है’ का “अगाध दुःख l” हम दर्दनाक स्मृति को दबाने में असफल होंगे l

चैम्बर्स हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में क्रियाशील है l “जब परमेश्वर अतीत को वापस लाए कभी भयभीत न होना,” उसने कहा l “स्मृति को कार्य करने दें l यह डांट, दंड और दुःख के साथ परमेश्वर का मंत्री है l परमेश्वर ‘हो सकता है’ को भविष्य हेतु एक अद्भुत संस्कृति [उन्नति का स्थान] में बदल देगा l

जब परमेश्वर ने पुराने नियम के समय इस्राएलियों को बेबिलोन के निर्वासन में भेजा, उनको वापस उनके घर लाने तक उसने उनको उस विदेशी भूमि पर अपने विश्वास में बढ़ने को कहा l “क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अंत में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा” (यिर्मयाह 29:11) l

परमेश्वर ने उनको अतीत की घटनाओं को नज़रंदाज़ नहीं करने अथवा उनमें फंसने के बदले उस पर केन्द्रित होकर आगे देखने को कहा l परमेश्वर की क्षमा हमारे दुःख की स्मृति को उसके अनंत प्रेम में भरोसा में बदल सकती है l