मैंने एक स्त्री से एक अदभुत ई-मेल प्राप्त किया, “1958 में पुटमेन सिटी में तुम्हारी माँ मेरी प्रथम कक्षा की शिक्षिका थी l वह बहुत अच्छी और दयालु, किन्तु सख्त शिक्षिका थी! उन्होंने हमें भजन 23 कंठस्थ करके पूरी कक्षा के सामना दोहराने को कहा, और मैं डर गया l किन्तु 1997 में मसीही बनने तक बाइबिल का मेरा एकमात्र संपर्क वही था l और इसे पुनः पढ़ते समय श्रीमति मैकेसलैंड की यादें सैलाब की तरह लौटती हैं l”
यीशु ने एक बड़ी भीड़ को विभिन्न प्रकार की भूमि कठोर, चट्टानी, झाड़ियों, और अच्छी भूमि पर-बीज बोनेवाले एक किसान का दृष्टान्त बताया (मत्ती 13:1-9) l जबकि कुछ बीज उगे नहीं, “अच्छी भूमि पर गिरी हुई बीज, सुनकर समझने वाले व्यक्ति का सन्दर्भ देता है” और “सौ गुना, कोई साठ गुना, और कोई तीस गुना [फलता है] (पद.23) l
उन बीस वर्षों में मेरी माँ ने पब्लिक स्कूल में पढ़ाते हुए, पठन, लेखन और गणित के साथ परमेश्वर के प्रेम का सन्देश और दयालुता के बीज बोए l
उसके पूर्व विद्यार्थी के ई-मेल के अंत में लिखा था, “मेरे जीवन के बाद के वर्षों में अवश्य ही, अन्य मसीही प्रभाव थे l किन्तु मेरा हृदय [भजन 23] और [आपकी माँ] के दयालु स्वभाव की ओर लौटता है l”
आज बोया गया परमेश्वर के प्रेम का एक बीज किसी दिन असाधारण फसल देगा l
हम बीज बोते हैं-परमेश्वर फसल देता है l