जब हम पति-पत्नी प्रकृति देखने जाते हैं, हम अपने कैमरे से अपने पाँवों के निकट संसार का सूक्ष्म रूप समान दिखाई दिखनेवाले पौधों के भी फ़ोटो पास से खींचते हैं l रात-ही-रात में उगने वाले, जंगलों में चमकीले नारंगी, लाल, और पीले रंगों की छठा बिखेरते कुकुरमुत्ते में हम अदभुत विविधता और सुन्दरता देखते हैं!

जीवन के चित्र मुझे अपनी आँखें अपनी केवल कुकुरमुत्ते को नहीं किन्तु आसमान के तारों को निहारने की प्रेरणा देते हैं l उसने अनंत विस्तार और विविधता का संसार अभिकल्पित किया l और उसने हमें इस खूबसूरती का आनंद लेने और इसको अपने अधिकार में करने हेतु रचकर इसके बीच रखा (उत्पत्ति 1:27-28; भजन 8:6-8) l

मेरा ध्यान हमारे परिवार के एक शिविर-स्थल भजन-जिसे हम आग के चारों ओर बैठकर पढ़ते हैं-की ओर जाता है l “हे यहोवा हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है! तू ने अपना वैभव स्वर्ग पर दिखाया है . . . जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चन्द्रमा और तारागन को जो तू ने नियुक्त किए हैं, देखता हूँ; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?” (भजन 8:1-4) l

यह कितना अदभुत है कि समस्त भव्यता के इस संसार का सृष्टिकर्ता आपकी और मेरी चिंता करता है!