मेरा बेटा ज़ेवियर बचपन में, मुझे फूल देना पसंद करता था l उसके द्वारा तोड़ा या अपने पिता के संग ख़रीदे गए छोटे-बड़े ताज़े फूल की मैं प्रशंसक थी, और मुरझाने तक उनको संयोजती थी l
एक दिन, ज़ेवियर ने मुझे बनावटी फूलों का एक सुन्दर गुलदस्ता दिया l वह सफ़ेद सोसन, पीला सूर्यमुखी, और बैंजनी सदाबहार फूलों को एक फूलदान में सजाते हुए मुस्करा कर बोला, “मम्मी, ये सदैव रहेंगे l मैं इसी तरह तुमसे प्रेम करता हूँ l”
अब मेरा बेटा युवा है l वे सफ़ेद पंखुड़ियां धूमिल हो गईं हैं l फिर भी सदाबहार फूल मुझे उसके गहरे प्रेम की याद दिलाते हुए, अचूक और चिरस्थायी वचन में वर्णित परमेश्वर के असीमित और अनंत प्रेम याद दिलाते हैं (यशा. 40:8) l
इस्राएलियों के निरंतर क्लेश में, यशायाह ने भरोसे से उनको परमेश्वर के चिरस्थायी वचन से सान्त्वना दी (40:1) l उसने घोषणा की कि परमेश्वर ने इस्राएलियों के पाप के दंड को चुकाया है (पद.2), भावी उद्धारकर्ता में उनकी आशा को सुरक्षित किया है (पद.3-5) l उन्होंने नबी पर भरोसा किया क्योंकि उसका केंद्र उनकी परिस्थितियाँ नहीं बल्कि परमेश्वर था l
अनिश्चितता और दुःख भरे संसार में, मनुष्य का विचार और हमारी अपनी भावनाएं भी हमारी नश्वरता की तरह बदलती और सीमित हैं (पद.6-7) l फिर भी, हम परमेश्वर के निरंतर और अनंत सत्य वचन में प्रगट उसके अपरिवर्तनीय प्रेम और चरित्र पर भरोसा कर सकते हैं l
परमेश्वर अपने प्रेम को भरोसेमंद और न बदलनेवाले वचन द्वारा निश्चित करता है,
जो अभी है और सदा रहेगा l