मेरे मित्र राईली ने कहा, “परमेश्वर पलक समान है” और मैंने आश्चर्य से पलक झपकाया l  उसके कहने का क्या अर्थ था?

मुझे और बताइये,” मैं कहा l मिलकर, हमदोनों परमेश्वर के आश्चर्यजनक चित्रों का अध्ययन कर रहे थे, जैसे परमेश्वर एक जच्चा (यशा. 42:14) या मधुमक्खी पालक की तरह है (7:18), किन्तु यह तो मेरे लिए नयी बात थी l राईली ने व्यवस्थाविवरण 32 की ओर इंगित की, जहाँ मूसा लोगों की देखभाल करने में परमेश्वर के तरीके की प्रशंसा करता है l पद 10 कहता है कि परमेश्वर अपने लोगों के चारों ओर रहकर उनकी रक्षा करता है, और अपनी आँख की पुतली के सामान उनकी सुधि लेता है l

और पुतली की रक्षा कौन करता है? जी हाँ, पलक! परमेश्वर पलक की तरह है, जो सहजज्ञान से कोमल आँख की सुरक्षा करता है l पलक आख को खतरे से बचाता है, और गंदगी और धूल को दूर रखता है l यह पसीने को दूर रखकर, आँख के गोले को चिकना रखता है l यह बंद होकर आँख को आराम देता है l

परमेश्वर को पलक की तरह देखते हुए, मैंने परमेश्वर को उन सभी अलंकारों के लिए धन्यवाद दिया जो उसने हमें उसके प्रेम को समझने के लिए दिये हैं l हमारी आँखों के रात में बंद होने और सूबह खुलने पर, हम हमारे प्रति सुरक्षा और देखभाल पर विचारकर परमेश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं l