मैं माता-पिता के शाम के समय बाहर जाने पर ख़ुशी से बच्चों की देखभाल करने हेतु सहमत हुई l उनको गले लगाकर मैंने लड़कों से उनके सप्ताहांत का अनुभव पुछा l (दोनों के अलग-अलग अनुभव थे l) तीन वर्षीय, ब्रिजर ने एक सांस में अपने अंकल और आंटी के संग एक रात बिताना, आइसक्रीम, हिंडोला में झुलना और एक फिल्म देखने का अनुभव बताया! पाँच वर्षीय सैमुएल ने कहा, “कैम्पिंग l” मैंने पुछा, “मजा आया?” “ज्यादा नहीं,” उसने दयनीय भाव में उत्तर दिया l

सैमुएल ने ईर्ष्या का पुराना भाव अनुभव किया l वह अपने भाई के उत्साहित होकर सप्ताहांत का अनुभव सुनते वक्त अपने पिता के साथ कैम्पिंग का आनंद भूल गया l

हम सब ईर्ष्या का शिकार होते हैं l राजा शाऊल दाऊद की प्रशंसा सुनकर ईर्ष्या के दानव से हार मान लिया : “शाऊल ने तो हज़ारों को, परन्तु दाऊद ने लाखों को मारा है” (1 शमूएल 18:7) l शाऊल क्रोधित होकर “उस दिन से दाऊद की ताक में लगा रहा” (1 शमूएल 18:9) l  वह चिढ़कर दाऊद को मारना चाहा!

तुलना का खेल मूर्ख और आत्म-घाती है l दूसरों के पास जो है वह हमारे पास नहीं है अथवा हमसे भिन्न अनुभव l किन्तु परमेश्वर ने हमें अनेक आशीषें, जिसमें पृथ्वी पर जीवन और सभी विश्वास करनेवालों के साथ अनंत जीवन की प्रतिज्ञा दी है l हम उसकी सहायता पर निर्भर होकर और धन्यवादी मन से उस पर केन्द्रित रहकर ईर्ष्या पर विजयी हो सकते हैं l