आर्लिंग्टन नेशनल कब्रगाह में अज्ञात लोगों के कब्र पर शांत, शानदार सादगी के साथ  गार्डों की ड्यूटी की बदली ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है l सावधानी से नाटकीय ढंग से सज्जित अवसर उन सैनिकों के प्रति एक मार्मिक श्रद्धांजलि है जिनके नाम-और बलिदान- केवल “परमेश्वर को ज्ञात है l” उसी की तरह भीड़ के जाने के बाद सैनिकों के गंभीर चाल भी उतनी ही हृदयस्पर्शी हैं : आगे पीछे, हर घंटे, दिन प्रति दिन, कठिन मौसम में भी l

सितम्बर 2003 में, जब प्रचंड तूफ़ान इसाबेल वाशिंगटन डी सी पर थपेड़े मार रहा था, और गार्डों को सुरक्षित स्थानों में आश्रय लेने की अनुमति मिली l आश्चर्यजनक, लघभग सभी गार्डों ने इनकार कर दिया! तूफ़ान में भी उन्होंने अपने मृत सैनिकों को आदर देने हेतु अपने स्थान पर डटे रहे l

मैं विश्वास करता हूँ  कि मत्ती 6:1-6 में यीशु की बुनियादी शिक्षा में उसकी इच्छा हमारे लिए यह है कि हम उसके लिए निरंतर, आत्मत्यागी निष्ठा के साथ जियें l बाइबिल हमसे भले कार्य और पवित्र जीवन चाहती है, किन्तु यह कार्य उपासना और आज्ञाकारिता के हों (पद.4-6), आत्म-प्रशंसा के नहीं(पद.2) l प्रेरित पौलुस हमसे अपने शरीरों को “जीवित बलिदान” बनाने का अपील करके इस सम्पूर्ण जीवन में विश्वासयोग्यता की पुष्टि करता है (रोमियों 12:1) l

काश हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक क्षण आप प्रभु के प्रति हमारे समर्पण और हार्दिक समर्पण को प्रगट करे l