लम्बे समय तक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रहे, डॉ. चार्ल्स डब्ल्यू इलियट, मानते थे कि साधारण लोग भी निरंतर विश्व के महान साहित्य से कुछ मिनट प्रतिदिन पढ़कर अनमोल ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं l 1910 में, उन्होंने विश्व-साहित्यों से कुछ भाग चुनकर द हार्वर्ड क्लासिक्स नाम से पचास पुस्तकें संकलित कीं l पुस्तकों के हर सेट में डॉ. इलियट की “हर दिन पंद्रह मिनट” शीर्षक की पठन मार्गदर्शिका थी जिसमें पूरे वर्ष हर दिन आठ से दस पृष्ठ पढ़ने की सलाह थी l

कितना अच्छा होता यदि हम प्रतिदिन पन्द्रह मिनट परमेश्वर का वचन पढ़ते? हम भजनकार के साथ बोल पाते, “मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे l मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला” (भजन 119:36-37) l

प्रतिदिन पन्द्रह मिनट जुड़कर एक वर्ष में इक्यानवे घंटे हो जाते हैं l किन्तु हम बाइबिल पठन के लिए जितना भी समय देते हों, रहस्य निरंतरता और मुख्य सामग्री सिद्धता नहीं किन्तु दृढ़ता है l यदि हम एक दिन अथवा एक सप्ताह भूल जाते हैं, हम पुनः आरंभ करें l जैसे पवित्र आत्मा सिखाता है, परमेश्वर का वचन हमारे मस्तिष्क से हृदय को ओर, उसके बाद हमारे हाथों और पैरों तक अर्थात हमें ज्ञान से रूपांतरण तक ले जाता है l

“हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अंत तक पकड़े रहूँगा” (पद.33) l